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न्यूज क्लिपिंग्स् | दिल्ली जल बोर्ड ने किया 100 करोड़ का बड़ा घोटाला

दिल्ली जल बोर्ड ने किया 100 करोड़ का बड़ा घोटाला

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published Published on Nov 3, 2014   modified Modified on Nov 3, 2014

दिल्ली जल बोर्ड एक ऐसी संस्था जो दिल्ली में पानी की आपूर्ति करने के लिए जिम्मेदार है। जिसका सारा काम पानी से जुड़ा है। लेकिन अगर हम कहें कि इसका सड़क से भी वास्ता है तो यह सोचना थोड़ा मुश्किल हो जाएगा कि जल बोर्ड का सड़क से क्या लेना-देना? लेकिन ये सड़क ही है जिसके कारण दिल्ली जल बोर्ड 100 करोड़ के बड़े घोटाले में फंसा है।

बता दें कि दिल्ली जल बोर्ड पर आरोप है कि उसने सड़क पुनर्निर्माण के नाम पर दिल्ली की अनाधिकृत कॉलोनियों में रहने वालों से रुपए ऐंठे हैं। पानी की पाइपलाइन बिछाने के बाद सड़कों की मरम्मत कराने के लिए दिल्ली जल बोर्ड ने यहां के निवासियों से 800-800 रुपए लिए थे।

सबसे बड़ी बात तो यह है कि दिल्ली जल बोर्ड जो इन कॉलोनियों में सड़क की मरम्मत के लिए जिम्मेदार नहीं है उसने लोगों से लिए पैसों का क्या किया या वो पैसे कहां गए?

एक आरटीआई में जवाब मांगने पर जब दिल्ली जल बोर्ड ने कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया तो राजधानी के कई आरडब्ल्यूए ने लामबंद होकर दिल्ली जल बोर्ड के जरिए इकट्ठे किए गए पैसों पर स्टे लगाने के लिए केंद्र सरकार के पास गुहार लगाना तय किया है।

पैसों का इस्तेमाल जल बोर्ड ने कैसे किया इस बात का जवाब देने में नाकाम रहने पर आरडब्लूए ने बोर्ड पर 100 करोड़ के आर्थिक हेर-फेर का भी आरोप लगाया है।

दिल्ली की 1639 अवैध कॉलोनियों में लगभग 8-10 लाख परिवार हैं, जिनकी आबादी 40 लाख के करीब है। यह दिलचस्प है कि इन कॉलोनियों में किसी भी सरकारी संस्था को कोई भी काम करने का अधिकार नहीं है। फिर चाहे वह नगर निगम ही क्यों न हो।

जानकारी के अनुसार कई सारे आरडब्ल्यूए ने मिलकर इस साल अगस्त में एक आरटीआई दायर की थी। इसमें पूछा गया था कि क्या दिल्ली जल बोर्ड को किसी भी तरह का अधिकार प्राप्त है कि वो अवैध कॉलोनियों में सड़क निर्माण के लिए पैसे इकट्ठा कर सकें। आरडब्ल्यूए ने यह जानकारी शहरी विकास मंत्रालय से मांगी थी।

उन्होंने यह जानकारी भी मांगी थी कि क्या दिल्ली सरकार या शहरी विकास मंत्रालय ने अवैध कॉलोनियों में विकास कार्यों की जिम्मेदारी तीनों नगरपालिकाओं को सौंपी है?

इन पूछे गए प्रश्नों के जवाब में जल बोर्ड ने जानकारी देने से मना कर दिया और कहा कि इन सवालों के जवाब वित्त विभाग देगा। हालांकि जल बोर्ड ने यह जरूर बताया कि उसे सड़क मरम्मत के लिए पैसे इकट्ठे करने के लिए शहरी विकास मंत्रालय से पूछने की जरूरत नहीं है।

शास्त्री पार्क एक्सटेंशन आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष, आरडी पाल ने ही यह आरटीआई डाली थी। इस आरटीआई के साथ ही उन्होंने यह शिकायत भी डाली थी कि अवैध कॉलोनियों के लोगों को सड़क की मरम्मत के नाम पर पानी के बिल के साथ 800 रुपए अलग से लिए गए।

उन्होंने आरटीआई में ये भी पूछा था कि क्या जो पैसा लोगों से सड़क मरम्मत के नाम पर लिया गया है वो दिल्ली सरकार के पास जमा किया गया या नहीं तो इस सवाल का जवाब भी जल बोर्ड नहीं दे सकी।

इसके बाद पाल ने एक और आरटीआई डाली जिसमें उन्होंने सड़क निर्माण के लिए एकत्र की गई पूरी राशि के बारे में जानकारी मांगी और ये भी पूछा कि वो राशि किस विभाग में ट्रांसफर की गई है।

उन्होंने ये भी पूछा कि क्या जल बोर्ड जिस सड़क मरम्मत के लिए पैसे इकट्ठे कर रही थी, उस काम को पूरा कर रही है? जल बोर्ड ने इन प्रश्नों का भी उत्तर नहीं दिया और कहा कि इसका जवाब सीनियर अधिकारी ही दे सकते हैं।

यूनाइटेड रेजिडेंट्स ऑफ दिल्ली (यूआडी) के जनरल सेक्रेटरी सौरभ गांधी ने दिल्ली जल बोर्ड पर आरोप लगाया है कि बोर्ड आर्थिक हेर-फेर में शामिल है।

दिल्ली जल बोर्ड ने हर पानी उपभोक्ता से 440 रुपए प्रति स्क्वायर मीटर के हिसाब पानी कनेक्शन के पैसे लिए हैं। 250 रुपए पानी का कनेक्शन चालू करने के लिए और 250 रुपए सिक्योरिटी के नाम पर वसूल किए हैं और इसके अलावा रोड की मरम्मतत के लिए 800-800 रुपए वसूले हैं।

जानकारी के अनुसार दिल्ली की पिछली सरकारों ने अवैध कॉलोनियों को नगरपालिका को नहीं सौंपा है इसलिए इन कॉलोनियों में कोई भी सरकारी संस्था विकास कार्य नहीं कर सकती। इस तरह से दिल्ली जल बोर्ड ना तो इन कॉलोनियों में कोई मरम्मत कार्य कर सकती है ना ही किसी अन्य सरकारी संस्था को फंड जारी कर सकती है कि वो यहां काम करें।

इसलिए यूआरडी के जनरल सेक्रेटरी गांधी कहते हैं कि यह एक जांच का विषय है। इसलिए यूआरडी ने जो दिल्ली की 1248 आरडब्ल्यूए की एसोसिएशन है ने केंद्र सरकार से गुहार लगाई है कि वो सड़क मरम्मत के लिए लिए जा रहे पैसों पर स्टे लगाए।


http://www.delhincr.amarujala.com/feature/delhi-news-ncr/100-crore-scam-in-djb-in-the-name-of-road-restoration-hindi-news-pt/page-5/


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