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न्यूज क्लिपिंग्स् | नक्सली हमलों से रेलवे को 500 करोड़ का नुकसान

नक्सली हमलों से रेलवे को 500 करोड़ का नुकसान

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published Published on Apr 23, 2010   modified Modified on Apr 23, 2010

नई दिल्ली। सरकार ने शुक्रवार को कहा कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में हिंसा की आशंका के मद्देजनर वह यात्रियों की जान खतरे में डालकर सुपरफास्ट ट्रेनों का तेज गति से परिचालन नहीं कर सकती। सभी राज्यों से यह अनुरोध किया गया है कि वे ट्रेनों की सुरक्षा की ओर ध्यान दें।

राज्यसभा में आज प्रश्नकाल के दौरान रेल मंत्री ममता बनर्जी ने प्रोफेसर अलका क्षत्रिय के सवाल के जवाब में स्वीकार किया कि कई क्षेत्रों में नक्सली वारदात के चलते ट्रेनों का परिचालन संवेदनशील हो गया है। रेल मंत्री ने कहा कि रेलवे आज साफ्ट टारगेट बन गया है और नक्सली हमलों की वजह से रेलवे को 500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि रेलवे की संपत्ति को हुए नुकसान का विस्तृत आकलन किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों में सुपरफास्ट ट्रेनों के परिचालन के लिए हम यात्रियों की जान खतरे में नहीं डाल सकते। ममता ने कहा कि हाल के समय में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं जब नक्सलियों ने विस्फोट कर रेल पटरियां क्षतिग्रस्त कर दीं। ऐसे में ट्रेनों का परिचालन कठिन हो जाता है। ट्रेनों के परिचालन के लिए सुरक्षा मुहैया कराना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है क्योंकि कानून व्यवस्था राज्यों का जिम्मा है।

रेल मंत्री ने कहा कि रेलवे की टक्कर रोधी प्रणाली 100 फीसदी अचूक नहीं है और इस पर अभी और काम किया जा रहा है। यह प्रणाली महंगी है और जब यह पूर्ण रूप से विकसित हो जाएगी तो इसे लागू करने पर विचार किया जाएगा। मोइनुल हसन के पूरक प्रश्न के उत्तर में ममता ने कहा कि नक्सली हिंसा की स्थिति में रेलवे प्राथमिकी भी दर्ज कराता है।

ईश्वर सिंह के पूरक सवाल पर उन्होंने कहा कि देश की आबादी 100 करोड़ से अधिक है और ऐसे में सुरक्षा मुश्किल काम हो जाता है। रेलवे की ट्रेनों का परिचालन क्षेत्र 65,000 किलोमीटर में फैला है। हर एक इंच पर हम सुरक्षा मुहैया नहीं करा सकते।

ममता ने कहा कि गत 21 जनवरी को रेलवे महानिदेशक ने विभिन्न राज्यों के आला पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की। इसमें राज्यों से यह अनुरोध किया गया कि वे ट्रेनों के परिचालन के लिए अपने-अपने प्रदेशों में सुरक्षा पर ध्यान दें।

राज्यसभा में आज मानव रहित रेलवे क्रासिंग पर दुर्घटनाओं के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब देने के दौरान रेल मंत्री ममता बनर्जी आपा खो बैठी और सवाल किया कि क्या मैं अमानवीय हूं।

प्रश्नकाल के दौरान मानव रहित रेलवे क्रासिंग पर होने वाली दुर्घटनाओं के बारे में पूरक प्रश्न पूछे जा रहे थे। जवाब दे रही रेल मंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं की तुलना में मानव रहित रेलवे क्रासिंग पर होने वाली दुर्घटनाओं की संख्या बहुत कम है। इसके बाद ममता ने पिछले कुछ वर्षो की सड़क दुर्घटनाओं और मानव रहित रेलवे क्रासिंग पर होने वाली दुर्घटनाओं के आंकड़े बताने शुरू किए। इसी बीच भाजपा के राजीव प्रताप रूड़ी ने कहा कि ऐसी तुलना कैसे की जा सकती है जबकि यह अत्यंत संवेदनशील मामला है। रूड़ी के इतना कहते ही ममता आपा खो बैठीं और बोल पड़ीं क्या मैं अमानवीय हूं। क्या हमें लोगों की जान बचाने की फिक्र नहीं है। यात्रियों की जानमाल की रक्षा हमारी पहली प्राथमिकता है।

ममता बनर्जी ने आज इस बात से इनकार किया कि कोयले की ढुलाई के लिए मालगाड़ियों के पर्याप्त डिब्बे मुहैया नहीं कराए जा रहे हैं।

ममता ने राज्यसभा में टी. के. रंगराजन के सवाल के जवाब में इस दावे को भी खारिज कर दिया कि मालगाड़ियों के पर्याप्त डिब्बों की अनुपलब्धता के चलते अंतत:1500 मेगावाट बिजली का कम उत्पादन हो रहा है।

बनर्जी ने कहा कि कोयला, उसके लिए डिब्बों की उपलब्धता और बिजली उत्पादन अलग-अलग मुद्दे हैं और सदस्य इस बारे में एक मंत्री के कथन की पुष्टि दूसरे मंत्री से नहीं करा सकते।


जागरण-23 अप्रैल 2010 http://in.jagran.yahoo.com/news/national/general/5_1_6359770.html


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