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न्यूज क्लिपिंग्स् | नरेगा के कारण श्रमिकों के पलायन में कमी आई

नरेगा के कारण श्रमिकों के पलायन में कमी आई

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published Published on May 5, 2010   modified Modified on May 5, 2010

नई दिल्ली। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना [नरेगा] की वजह से गांवों से श्रमिकों के पलायन में कमी आने का दावा करते हुए सरकार ने मंगलवार को कहा कि देश में इस योजना के तहत रोजगार प्राप्त करने वाले आदिवासियों के प्रतिशत में आई गिरावट इस योजना का दायरा बढ़ने की वजह से नजर आ रही है।

ग्रामीण विकास मंत्री सी. पी. जोशी ने माकपा की वृंदा करात के पूरक प्रश्न के उत्तर में राज्यसभा में कहा कि पहले चरण में नरेगा को देश के 200 सबसे पिछड़े जिलों में लागू किया गया था। इन जिलों में आदिवासियों की संख्या ज्यादा होने के कारण उस वक्त इस योजना के तहत रोजगार पाने वाले आदिवासियों का प्रतिशत 36 था। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे इस योजना को आदिवासियों की कम संख्या वाले जिलों में भी लागू किया गया, वैसे-वैसे समेकित रूप से उनका प्रतिशत खुद-ब-खुद घटकर 21 प्रतिशत हो गया।

मंत्री ने कहा कि इसका मतलब यह कतई नहीं है कि नरेगा में आदिवासियों की भागीदारी में कमी आ गई है। जोशी ने कहा कि खानाबदोश आदिवासी लोगों को नरेगा का लाभ मिलना सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि देश के सभी नागरिकों को विशेष पहचान संख्या जारी होने पर खानाबदोश आदिवासी लोगों के रोजगार समेत विभिन्न हितों की रक्षा हो सकेगी।

शिवसेना के मनोहर जोशी के पूरक प्रश्न पर जोशी ने कहा कि वर्ष 2009-10 के दौरान महाराष्ट्र के सभी जिलों में नरेगा के तहत कुल 591539 परिवारों ने रोजगार की मांग की थी, जिनमें से 591517 को रोजगार दिया गया था। ग्रामीण विकास राज्यमंत्री प्रदीप जैन 'आदित्य' ने भागीरथी माझी के पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा कि एनएफआईडब्ल्यू, सेंटर फॉर साइंस एड एनवॉयरमेंट तथा कुछ अन्य संगठनों के अध्ययन के मुताबिक नरेगा लागू किए जाने के बाद से मध्य प्रदेश, बिहार, तमिलनाडु और उड़ीसा समेत देश के कई राज्यों में ग्रामीणों के शहरों में पलायन की दर में खासी कमी हुई है।

नरेगा के तहत काम करने वाले श्रमिकों की मजदूरी बढ़ाने के बारे में जैन ने कहा कि इस योजना को लागू करना और उनकी निगरानी राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है। अगर वे चाहें तो अपनी ओर से मजदूरी बढ़ा सकती हैं। नरेगा के तहत रोजगार दिवसों की संख्या को 100 से अधिक करने के सवाल पर राज्यमंत्री ने कहा कि आंकड़े बताते हैं कि मजदूर इस योजना के तहत 100 दिन भी काम नहीं करते हैं। लिहाजा रोजगार दिवसों की तादाद बढ़ाना व्यर्थ है।


http://in.jagran.yahoo.com/news/business/general/1_12_6386863/


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