Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | नीतियां सही, पर समय गलत-- डा. भरत झुनझुनवाला

नीतियां सही, पर समय गलत-- डा. भरत झुनझुनवाला

Share this article Share this article
published Published on Feb 28, 2017   modified Modified on Feb 28, 2017
बीते बजट की अधिकतर अर्थशास्त्रियों ने सराहना की है. बावजूद इसके इस पाॅलिसी के सफल होने में संदेह है. वर्तमान समय में यह पाॅलिसी अनुपयुक्त है जैसे मातम के समय शहनाई अनुपयुक्त होती है. वित्त मंत्री ने इनकम टैक्स में छोटे करदाताओं को छूट दी है. छोटे करदाताओं को पूर्व में 2.5 लाख रुपये की छूट थी, जिसे बढ़ा कर 3 लाख रुपये कर दिया है. इस छूट के बाद बाजार से अधिक माल खरीदा जायेगा. सोच है कि बाजार में मांग बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था चल निकलेगी. इनकम टैक्स में छूट का यह सार्थक पक्ष है. परंतु, दूसरी तरफ वित्त मंत्री ने इन्हीं उपभोक्ताओं से अधिक टैक्स वसूलने की योजना बनायी है.


अब तक तमाम कारोबार नकद में किये जाते थे. इस पर एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स और वैट आदि अदा नहीं दिये जाते थे. सरकार का प्रयास है कि नकद कारोबार बंद हो. सभी लेन-देन बैंक के माध्यम से हों. ऐसा होने पर उपभोक्ता पर टैक्स का भार बढ़ेगा. अधिक मात्रा में टैक्स की वसूली अर्थशास्त्र के अनुसार उचित है. आर्थिक विकास का मूल मंत्र है कि खपत कम करके निवेश बढ़ाओ. जैसे आॅटो रिक्शा धारक वर्तमान में 300 रुपये प्रतिदिन कमाता है.


उसने खपत पर नियंत्रण किया. मात्र 200 रुपये में घर चलाया. 100 रुपये की बचत की. इस बचत का उसने टैक्सी खरीदने में निवेश किया. टैक्सी से उसे प्रतिदिन 500 रुपये की कमाई हुई. तब उसने अपनी खपत बढ़ा कर 350 रुपये कर दिया. खपत में कटौती करके रकम का निवेश करने से उसकी आय उत्तरोत्तर बढ़ सकती है. इसी प्रकार देश का आर्थिक विकास होता है. आम आदमी को डिजिटल इकाेनॉमी में लाकर वित्त मंत्री ने उससे अधिक मात्रा में टैक्स वसूलने की योजना बनायी है और अधिक मात्रा में रेल तथा हाइवे में निवेश की घोषणा की है. यह नीति सही है, जैसे आॅटो रिक्शा धारक खपत कम करके टैक्सी में निवेश करता है.


इस नीति में समस्या वर्तमान आर्थिक परिदृश्य की है. इस समय अर्थव्यवस्था पर चार आर्थिक संकट एक साथ आ पड़े हैं. पहला संकट तेल के बढ़ते अंतरराष्ट्रीय मूल्य का है. हम भारी मात्रा में ईंधन तेल का आयात करते हैं. तेल के दाम बढ़ने से हमें इन आयात के लिए बड़ी रकम चुकानी होगी.


इससे देश की आय में गिरावट आयेगी. जैसे तेल के दाम बढ़ जाये, तो आॅटो रिक्शा धारक की आय में गिरावट आती है. दूसरा संकट विकसित देशों में बढ़ रहे संरक्षणवाद का है. इंगलैंड ने यूरोपीय यूनियन से बाहर आने का निर्णय लेकर साफ कर दिया है कि वह अपने देश की खुली दीवारों को पुनः बंद करना चाह रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्पष्ट रूप से आयातों के विरुद्ध मुहिम छेड़ी है. मेक्सिको से आयात की जा रही कार पर 35 प्रतिशत आयात कर लगाने की धमकी दी है. इन कदमों से हमारे निर्यात दबाव में आयेंगे. तीसरा संकट अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरों में वृद्धि का है.


वहां ब्याज दरों में वृद्धि के चलते विश्व से निवेशकों की प्रवृत्ति भारत से पूंजी को निकाल कर अमेरिका में निवेश करने की बन रही है. ऐसे में हमें विदेशी निवेश कम मिलेगा, बल्कि अपने देश से पूंजी का पलायन होगा. इन कारणों से वर्तमान समय में अर्थव्यवस्था दबाव में है. ऐसे में आम आदमी पर डिजिटल इकाेनॉमी का बोझ डालने से वह दबाव में आयेगा. आॅटो रिक्शा तेजी से दौड़ रहा हो, तो वह बढ़े टैक्स का भार वहन कर सकता है. जब आॅटो रिक्शा धारक को स्टैंड पर घंटों ग्राहक की राह देखनी हो, तो उसके लिए बढ़ा टैक्स अदा करना कठिन हो जाता है.


फिर किया क्या जाये? देश के आर्थिक विकास के लिए खपत में कटौती और निवेश में वृद्धि करना जरूरी है. परंतु, तेल के बढ़ते मूल्य, विकसित देशों में बढ़ रहे संरक्षणवाद तथा अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दर बढ़ाने से खपत पहले ही कम हो रही है. ऐसे में अधिक मात्रा में टैक्स की वसूली अर्थशास्त्र के अनुचित है. इस वसूली से तमाम धंधे बंद हो जायेंगे.


उपाय है कि सरकार विदेशों से ऋण लेकर घरेलू निवेश में वृद्धि करे. जनता पर टैक्स का बोझ घटाये, जिससे तेल के बढ़ते मूल्य आदि के प्रभाव से उस पर विपरीत प्रभाव न पड़े. साथ ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसी संस्थाओं से ऋण लेकर निवेश करे. इस ऋण का रीपेमेंट भविष्य में हुई आय से किया जा सकेगा. वर्तमान में देश के नागरिकों को राहत मिलेगी, उनके द्वारा बचत और निवेश का सुचक्र स्थापित हो सकेगा और अर्थव्यवस्था चल निकलेगी.

लेकिन, मध्य धारा के अर्थशास्त्री ऋण लेकर निवेश करने को अच्छा नहीं मानते हैं. उनकी सोच है कि सरकार ऋण लेगी, तो सरकार का वित्तीय घाटा बढ़ेगा और विदेशी निवेशक भाग खड़े होंगे.

 


यह बात सही है, परंतु जिस समय विदेशी निवेशक पहले ही भारत छोड़ कर भाग रहे हों, उस समय उन्हें आकर्षित करने के प्रयास बेकार सिद्ध होंगे. विदेशी निवेशकों के पीछे भागने के स्थान पर देश की अपनी पूंजी को निवेश में लगाने के प्रयास करने चाहिए. वर्तमान पॉलिसी अर्थशास्त्र के नियमों के अनुकूल होने के बावजूद सफल नहीं होगी, चूंकि यह सामयिक नहीं है. किसी पाॅलिसी की सफलता के लिए उपयुक्त समय की आवश्यकता होती है.

 


http://www.prabhatkhabar.com/news/columns/story/948672.html


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close