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न्यूज क्लिपिंग्स् | नोटबंदी से पहले की तुलना में करीब 22 फीसदी नकदी बढ़ी

नोटबंदी से पहले की तुलना में करीब 22 फीसदी नकदी बढ़ी

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published Published on Jun 27, 2019   modified Modified on Jun 27, 2019
नई दिल्ली: नोटबंदी से पहले की तुलना में 31 मई 2019 तक प्रचलन में मुद्रा (करेंसी इन सर्कुलेशन) यानि कि नकद राशि 22 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी के साथ 21.71 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गई है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीते 25 जून को राज्यसभा में ये जानकारी दी. सपा सांसद विशम्भर प्रसाद निषाद के एक सवाल के जबाब में सीतारमण ने बताया कि नोटबंदी से पहले 4 नवंबर, 2016 तक 17.74 लाख करोड़ रुपये की मुद्रा कैश में थी.

हालांकि, अब करीब 22 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ ये राशि बढ़कर 21.71 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई है. यह दर्शाता है कि वित्तीय प्रणाली में भारी मात्रा में नकदी वापस आ गई है.

ध्यान देने वाली बात ये है कि मोदी सरकार ने नोटबंदी लागू के पीछे की वजह नकद राशि को कम करना, जाली नोटों और काले धन खत्म करना बताया था. हालांकि वित्त मंत्री द्वारा पेश आंकड़े बताते हैं कि मौजूदा समय में नकद राशि नोटबंदी से पहले की स्थिति के मुकाबले बहुत ज्यादा है.

हालांकि निर्मला सीतारमण का दावा है कि नकदी में ये बढ़ोतरी, 2014 से चली आ रही औसत बढ़ोतरी के मुकाबले कम है. उन्होंने कहा, ‘अक्टूबर 2014 से लेकर हर साल कैश राशि 14.51 फीसदी के दर से बढ़ती रही है. इस दर के हिसाब से 31 मई 2019 तक में नकद राशि 25.12 लाख करोड़ होनी चाहिए थी.'

उन्होंने आगे कहा, ‘चूंकि 31 मई 2019 तक में प्रचलन में मुद्रा 21.71 लाख करोड़ है, ऐसा नोटबंदी, डिजिटल लेनदेन में वृद्धि के कारण हो पाया है. इसके कारण नकद राशि में 3.40 लाख करोड़ की कमी आई है.'

सीतारमण के मुताबिक नवंबर 2016 में डिजिटल लेन-देन 112.27 करोड़ रुपये था, जो कि सितंबर 2018 में बढ़कर 188.07 लाख करोड़ रुपये हो गया.

द वायर हिन्दी पर प्रकाशित इस कथा को विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


http://thewirehindi.com/86415/currency-in-circulation-noteban-demonetization-nirmala-sitharaman/


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