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न्यूज क्लिपिंग्स् | पश्चिम बंगाल के कोयला खदान के पास रहने वालों का अभी तक पुनर्वास नहीं

पश्चिम बंगाल के कोयला खदान के पास रहने वालों का अभी तक पुनर्वास नहीं

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published Published on Oct 27, 2023   modified Modified on Oct 27, 2023

मोंगाबे हिंदी, 27 अक्टूबर

जैसे ही आप पश्चिम बंगाल के इस गांव की चौड़ी और टूटी-फूटी हुई सड़क पर चलते हैं, यह साफ हो जाता है कि यहां कुछ विनाशकारी हुआ है। चारों ओर टूटे-फूटे मकान हैं। इन्हीं में से एक घर तपन पाल का है। उनके घर की दो मंजिला इमारत का एक हिस्सा जुलाई 2020 की रात में भरभराकर गिर गया था। इसकी ईंटें यहां-वहां बिखरी पड़ी हैं।

आगे चलने पर आपको सभी घरों में कुछ न कुछ दिक्कतें नजर आएंगी। खपरैल वाली छतें, टूटी दीवारें, टूटी खिड़कियां। ज्यादातर घरों को छोड़कर लोग जा चुके हैं। वह वीरान पड़े हुए हैं। आखिर कौन इन टिक-टिक करते टाइम बमों के अंदर रहना चाहेगा?

यह भारत के पूर्वी राज्य पश्चिम बंगाल के पश्चिम बर्दवान जिले के अंडाल ब्लॉक का एक गांव हरीशपुर  है।

जुलाई 2020 में, केंद्रीय स्वामित्व वाली कोल इंडिया लिमिटेड की सहायक कंपनी ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (ईसीएल) ने कथित तौर पर हरीशपुर में दो अवैध ओपन-कास्ट खनन कार्य किए थे। पहला 14 जुलाई, 2020 को और दूसरा 20 जुलाई, 2020 को किया गया था। स्थानीय लोगों का आरोप है कि ईसीएल के पास रिहायशी इलाके के इतने नजदीक खनन कार्य करने के लिए न तो आवश्यक अनुमति थी और न ही उनके पास पर्यावरण मंजूरी नहीं थी। उनका कहना है कि ईसीएल के अवैध खनन के कारण जमीन के धंसने और भूमिगत आग लगने की कई घटनाएं हुई हैं।

तपन पाल के घर का ढहना खनन के बाद हुई जमीन धंसने की घटनाओं का जीता जागता नमूना है। जुलाई 2020 में धंसाव के कारण 25 से अधिक घर गिर गए और 1,000 से ज्यादा परिवार घर खाली करके कहीं और रहने के लिए वहां से चले गए। हरीशपुर में अब कोयला खनन नहीं हो रहा है।

पूरी रपट- मोंगाबे हिंदी


मोंगाबे हिंदी, 27 अक्टूबर https://hindi.mongabay.com/2023/10/27/promised-rehabilitation-eludes-residents-living-near-one-of-indias-earliest-coal-mines/
 

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