Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | पहली सालगिरह पर ‘क्रैश’ हुई उम्मीदें

पहली सालगिरह पर ‘क्रैश’ हुई उम्मीदें

Share this article Share this article
published Published on May 22, 2010   modified Modified on May 22, 2010
इस त्रासद संयोग के बाद घमंड चूर हो जाना चाहिए। एयर इंडिया का प्लेन क्रैश ठीक उस दिन हुआ जब यूपीए2 पहले साल की उपलब्धियों की विशाल फेहरिस्त जारी करने वाला था। सरकार की अंदरूनी हालत बताती है कि इस तरह का हादसा होना ही था। पिछले पांच महीनों में सरकार की प्रतिष्ठा जितनी धूल-धूसरित हुई है उतनी पहले पांच सालों में नहीं हुई। ए राजा अगर आज भ्रष्टाचार का दूसरा नाम है, तो विमानन मंत्रालय बर्बादी, जी-हुजूरी, बिचौलियों और आत्मसंहार का अखाड़ा बन गया है।

किसी भी दूसरे मंत्रालय की हालत अच्छी नहीं है। एकमात्र अपवाद वित्त मंत्रालय है जिसे प्रणव मुखर्जी ने अमीरों के लिए बजट की छवि से मुक्त कर दिया है। रक्षा मंत्रालय मृतप्राय है। विदेश मंत्रालय की लंगड़ाहट पाकिस्तान के साथ अज्ञात समझौते की तरफ बढ़ते हुए उसकी चाल में दिखाई देती है। रेलवे को बोझ की तरह त्याग दिया गया है। अनाज की कीमतों के लिए जो जिम्मेदार है उसे तो देश निकाला दे देना चाहिए। गड़बड़ी का अहसास बादलों की तरह घुमड़ रहा है जो दावों और आंकड़ों से नहीं हटेगा। गृह मंत्रालय सबसे ज्यादा खबरों में है और इसकी वजह केवल नक्सलवादी नहीं हैं। पी चिदंबरम जिस भी मंत्रालय में होते हैं उस पर मीडिया का ध्यान ज्यादा ही होता है। शक्तिमान गृह मंत्री ने नक्सल विरोधी लड़ाई में अभी तक जल सेना को नहीं बुलाया है लेकिन तूफानों की आहट और मानसून की चाल को देखते हुए किसी भी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। पता नहीं दंतेवाड़ा में कब बाढ़ आ जाए और तैरने में अप्रशिक्षित सीआरपीएफ की कलई खुल जाए।



नाकामी का दोष दूसरों पर डालने का जाना-पहचाना तरीका अब चुक रहा है। श्रेय लेने के लिए कतार में खुद सबसे आगे और दोषारोपण के लिए मुख्यमंत्री, यह भला कब तक चल सकता है? गृह राज्य तमिलनाडु में लोग चिदंबरम को कितने नंबर देंगे? यह सवाल कांग्रेस के केंद्रीय हलकों में अभी तक नहीं पूछा जा रहा है। लेकिन पार्टी के लिए चिदंबरम की अहमियत का पहला इम्तहान एक साल के भीतर तमिलनाडु विधानसभा के चुनाव के समय होगा। तमिलनाडु में नक्सलवादी नहीं हैं, पर यह मानना बेवकूफी होगी कि वहां के गरीब देश भर में चल रही बहसें नहीं सुन रहे होंगे। वे एक ही सवाल की छुरी से हर घटना की चीर-फाड़ करेंगे : सरकार हमारी तरफ है या अमीरों की तरफ?



देखा जाए तो तमिलनाडु में कांग्रेस को दोबारा खड़ा करने के लिए स्थिति पकी-पकाई है। वहां पार्टी ने 1967 में सत्ता गंवाई थी। लेकिन तमिलनाडु में जबरदस्त द्रविड़ आंदोलन ने कांग्रेस का रास्ता रोक दिया। खुद उसका प्रांतीय नेतृत्व भी बेदम और गुटों में बंटा था। यहां तक कि जब डीएमके बंटवारे के राष्ट्रीय रोग का शिकार हुआ, तब भी कांग्रेस दोबारा जीवित करने के मौके का लाभ नहीं उठा पाई।



आज चार दशक बाद दोनों ही द्रविड़ पार्टियों की साख पर बट्टा लग चुका है। करुणानिधि के परिवार के नेतृत्व में डीएमके ने भ्रष्टाचार के जैसे कीर्तिमान कायम किए हैं, कोई भी दूसरी पार्टी उनका मुकाबला नहीं कर सकती। अब जब पितृ पुरुष बीमार है, परिवार में उत्तराधिकार की इतनी कटु लड़ाई छिड़ी है कि उसके आगे नेता की प्रिय फिल्मी पटकथाएं तक फीकी दिखाई देंगी। ठीक यहीं वह संभावना निहित है, चिदंबरम जिसका लाभ उठाने की श्रेष्ठतम स्थिति में हैं। लेकिन अगर उनकी भाषा इसी तरह लड़ाकू और वंचित जनता के प्रति शत्रुतापूर्ण बनी रही तो वह और उनकी पार्टी यह अवसर गंवा देंगे। नक्सलियों के तरीके गलत हो सकते हैं, लेकिन वे अमानवीय स्तर की भूख और शोषण की उपज हैं। उन्हें रोकना चाहिए, लेकिन दमन अलग बात है।



वित्त मंत्री के रूप में चिदंबरम का दिल ‘राइजिंग इंडिया’ के साथ था, तब भी जब उनका दिमाग कहता था कि उन्हें ‘पराजित’ भारतीयों के साथ होना चाहिए। लोग धैर्यवान हैं। वे बहुत नाटकीय नतीजों की उम्मीद नहीं करते। लेकिन वे लंबे समय तक दयनीयता और निराशा भी बर्दाश्त नहीं करते।


http://www.bhaskar.com/article/ABH-on-the-first-anniversary-of-crash-expectations-were-992363.html


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close