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न्यूज क्लिपिंग्स् | पाले से 40% तुअर फसल तबाह

पाले से 40% तुअर फसल तबाह

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published Published on Jan 13, 2011   modified Modified on Jan 13, 2011
भोपाल. हाल का पाला गर्मी में भी आम आदमी की रूह कंपाने वाला साबित होगा। सालों का रिकार्ड तोड़ने वाली ठंड ने पूरे प्रदेश की तुअर को बर्बाद कर दिया है। नतीजन किसानों को तो करोड़ों का नुकसान हुआ ही है, इससे कहीं आगे अब यह आशंका सताने लगी है कि कहीं बीते साल अचानक बढ़ी कीमतों के चलते पतली हो चली दाल इस बार थाली से गायब ही न हो जाए।

प्रारंभिक आकलन के अनुसार प्रदेश में औसतन 35 से 40 फीसदी तुअर फसल बर्बाद हो चुकी है। मप्र में अरहर का सर्वाधिक रकवा नरसिंहपुर जिले में करीब 35 हजार हेक्टेयर (87 हजार एकड़) है।

बीते 15 दिनों में ठंड और पाले की की वजह से यहां लगभग 60 फीसदी अरहर को बर्बाद कर दिया है। 60 फीसदी फसल का मतलब है 52 हजार एकड़ का उत्पादन प्रभावित होना है।

एक एकड़ में औसत 4 क्विंटल उत्पादन होता है। यानी 2 लाख 8 हजार क्विंटल अरहर की दाल इस बार बाजार में नहीं पहुंच सकेगी। यह स्थिति सिर्फ नरसिंहपुर जिले की है। प्रदेश में अरहर की फसल मुख्यरूप से छिंदवाड़ा, दमोह, छतरपुर, रीवा, सीधी, सिंगरौली, सतना,उमरिया, खरगौन, खंडवा, रायसेन और बैतूल जिले में ली जाती है।

सभी जिलों में पाले के कारण अरहर को प्रारंभिक नजरी आंकलन के अनुसार औसतन 35 से 40 फीसदी तक नुकसान हुआ। खासतौर से उन इलाकों में जहां फसल तराई क्षेत्रों में थी, पूरी तरह नष्ट हो चुकी है। अरहर के पौधे काले पड़ गए हैं और फल्लियां फट गई हैं।

प्रदेश में अरहर का कुल रकबा तकरीबन तीन लाख 62 हजार हेक्टेयर था। जिससे करीब 30 लाख 80 हजार क्विंटल पैदावार की उम्मीद थी। यदि औसतन 40 फीसदी नुकसान भी माना जाए, तो प्रदेश की करीब 12 लाख 32 हजार क्विंटल अरहर पाले की भेंट चढ़ गई है। यानी इतनी दाल इस साल बाजार में नहीं पहुंच सकेगी।

किसानों को करोड़ों का नुकसान

यूं तो नुकसान कुल उत्पादन का करीब 25 फीसदी निकल रहा है, लेकिन जब किसानों की लागत के हिसाब देखते हैं तो नुकसान करोड़ों में जाता है। अरहर का मौजूदा मंडी भाव 4 हजार रुपए प्रतिक्विंटल के आसपास चल रहा है, यह भाव भी पिछले 15 दिनों में बढ़े हैं। इस हिसाब से 12 लाख 32 हजार क्विंटल अरहर 492 करोड़ 80 लाख की बनती है।

उमरिया में 100त्न नुकसान

उमरिया में कडाके की ठंड और पाला से अरहर की फसल सौ फीसदी नष्ट हो गई है। कृषि विभाग के उपसंचालक जेएस पन्द्राम ने बताया जिले में 6,990 हेक्टेयर में अरहर की फसल बोयी गई थी। जिले के करकेली एवं पाली विकासखंड में फसलों को सर्वाधिक क्षति हुई।

प्रदेश में 6 लाख क्विंटल की खपत: थोक व्यापारियों के मुताबिक प्रदेश में हर माह करीब पांच हजार क्विंटल अरहर की खपत होती है। इस दृष्टि से साल में करीब छह लाख क्विंटल अरहर की जरूरत मध्यप्रदेश को ही होती है। यह पूर्ति प्रदेश के उत्पादन से तो होती ही है,इसके अलावा महाराष्ट के लातूर, सोलापुर और गुजरात से भी अरहर यहां आती है। खबर है कि इन राज्यों में भी ठंड से फसल प्रभावित हुई है।


केंद्रीय कृषि मंत्री को बताए हाल

नरसिंहपुर सांसद राय उदय प्रताप सिंह ने बताया कि वे पिछले पंद्रह दिनों से लगातार गांवों का दौरा कर रहे हैं। नरसिंहपुर, होशंगाबाद और छिंदवाड़ा जिले में अरहर को 85 फीसदी तक नुकसान हुआ है। सैकड़ों किसानों के खेत के खेत नष्ट हो गए हैं।

नुकसान को लेकर मंगलवार को केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार से मुलाकात कर अवगत कराया गया है। साथ उनसे आने वाले समय में मांग और आपूर्ति के अंतर पर नियंत्रण के लिए जमाखोरों पर पैनी नजर रखने की बात भी कही है।

अरहर का मैदान साफ

प्रदेश में नरसिंहपुर, रायसेन को अरहर का मैदान माना जाता है। नरसिंहपुर का वह इलाका जो नर्मदा के किनारे आता है (गाडरवारा तहसील का चिचोली, साईंखेड़ा), तुषार से पूरी तरह साफ हो चुका है। 40- 40 एकड़ की फसल पाले से काली पड़ गई है।

सताने लगी चिंता

दलहन के मामले में आत्मनिर्भर होने के बावजूद बीते साल पड़ोसी राज्यों में तुअर के कम उत्पादन के चलते प्रदेश में तुअर दाल 90 रु.प्रति किलो तक बिकी। इसका बड़ा कारण जमाखोरी,वायदा बाजार भी था। इस बार प्रदेश में ही अरहर की फसल चौपट हो गई है। आने वाले दिनों में यदि जमाखोरी में नजर नहीं रखी गई तो भाव पिछला रिकार्ड भी तोड़ देंगे।

http://www.bhaskar.com/article/MP-BPL-40-percent-of-the-sowed-pulse-crop-damaged-due-to-hail-frost-in-mp-1750922.html


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