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न्यूज क्लिपिंग्स् | पुनर्नवा से बढ़ेगा खून, चूली से बनेगी हेल्थ ड्रिंक वाइन

पुनर्नवा से बढ़ेगा खून, चूली से बनेगी हेल्थ ड्रिंक वाइन

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published Published on Apr 19, 2010   modified Modified on Apr 19, 2010
हमीरपुर. हिमाचल में महिलाओं में खून की काफी कमी पाई जाती है। यह बात एनीमिया जांच शिविरों से साबित हो चुकी है। खून की इस कमी को अब औषधीय पौधा पुनर्नवा दूर करेगा। हर्बल गार्डन नेरी में इस प्लांट को बड़े स्तर पर उगा कर इसे घरों में लगाने के लिए लोगों को उपलब्ध करवाया जाएगा। लोअर हिमाचल में इस पौधे के लिए उपयुक्त जलवायु है।

वेस्टलैंड और कम पानी में भी कामयाब



पुनर्नवा बहुवर्षीय औषधीय पौधा है। ये बेल की तरह जमीन और दीवार पर फैलता है। जुलाई माह में इसे लगाया जाता है। इस पर गुलाबी रंग के छोटे-छोटे फूल लगते हैं। इसकी जड़ें दवाई बनाने के काम आती हैं। इन्हें सुखाना पड़ता है। पौधा बंजर भूमि में और बिना पानी के भी पनप जाता है। आयुर्वेदिक दवाएं बनाने वाली फार्मेसियों में अच्छी मांग।



किन रोगों में फायदेमंद



पुनर्नवा का प्रयोग खून की कमी पूरी करने वाली दवाइयां बनाने में तो होता ही है। साथ ही यह किडनी और यूरीनरी समस्याओं को भी ठीक करने में लाभकारी है। हर्बल गार्डन नेरी के इंचार्ज उज्जवल शर्मा ने बताया कि पुर्ननवा औषधीय गुणों से भरपूर है। अनीमिया और यूरीनरी बीमारियों के लिए यह रामबाण है। गार्डन नर्सरी में इसे बड़े पैमाने पर उगा कर लोगों को दिया जाएगा।



नौणी यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने तैयार की वैज्ञानिक विधि



जनजातीय क्षेत्रों में पाई जाने वाली चूली (जंगली खुरमानी) से क्वालिटी वाइन तैयार होगी। वैज्ञानिक विधि से तैयार होने वाली यह वाइन जहां स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होगी, वहीं इससे लोगों की आर्थिक हालत भी सुदृढ़ होगी। डॉ. यशवंत सिंह परमार यूनिवर्सिटी नौणी के पोस्ट हार्वेस्ट विभाग ने चूली से वाइन बनाने का फामरूला तैयार किया है।



किन्नौर में प्रचुर मात्रा में मिलती है



चूली (वाइल्ड एपरीकोट) प्रदेश के किन्नौर जिले के जंगलों में प्रचुर मात्रा में मिलती है। चूली को लोग एकत्र करके इसकी गुठलियों का तेल निकाल कर बादाम के तेल का विकल्प बनाते हैं।फल आकार में छोटा व खट्टा होता है। गुठली का तो तेल निकालते हैं और फल के पल्प को फेंक देते थे। पल्प से ही यह वाइन तैयार की जाएगी।



10 फीसदी एल्कोहोल 90 फीसदी फ्रूट



डॉ. परमार यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रहे शोधार्थी घनश्याम ने चूली से तीन स्तरों (वाइन, मीड व वरमूथ) बनाने की वैज्ञानिक विधि तैयार की है। उन्होंने यह कार्य यूनिवर्सिटी के पोस्ट हार्वेस्ट विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. वीके जोशी की देखरेख में किया। जोशी और घनश्याम ने बताया कि यह वाइन हेल्थ ड्रिंक का कार्य करेगी। इसमें 10 फीसदी एल्कोहोल, 90 फीसदी फ्रूट जूस के अलावा शुगर, मिनरल, धातु व विटामिन-सी होने से यह पौष्टिक होगी। इसकी तकनीक जल्द हस्तांतरित की जाएगी।


http://www.bhaskar.com/2010/03/29/punrnwa-grow-blood.html


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