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न्यूज क्लिपिंग्स् | प्रदेश में एससी-एसटी के लिए प्रारंभ हो रही मुरगी व बकरीपालन योजना

प्रदेश में एससी-एसटी के लिए प्रारंभ हो रही मुरगी व बकरीपालन योजना

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published Published on Dec 15, 2014   modified Modified on Dec 15, 2014
प्रभात खबर,पटना: राज्य में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) को आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाने के लिए पशुपालन विभाग ने एक खास योजना शुरू की है. इस योजना को फिलहाल छह जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया है.

कुछ समय बाद इसे सभी जिलों में समान रूप से लागू कर दिया जायेगा. ‘बैकयार्ड पॉल्ट्री' यानी घर के पीछे मुरगीपालन नामक इस योजना का मुख्य उद्देश्य एससी-एसटी समुदाय के लोगों को आर्थिक व शारीरिक रूप से सक्षम बनाना है. छह में से दो जिले ऐसे हैं, जहां मुरगी के साथ बकरीपालन भी होगा.

कटिहार व पूर्णिया में एसटी तथा गया व समस्तीपुर में एससी परिवार को 15-15 की संख्या में तीन बार यानी कुल 45 चूजे दिये जायेंगे. तीन बार चूजे देने के बीच में कुछ समय का अंतराल रखा जायेगा. जिन परिवारों को चूजे दिये जायेंगे, उन्हें एक-एक हजार रुपये शेड निर्माण के लिए दिये जायेंगे. चूजे मुफ्त मिलेंगे. इसके अलावा किशनगंज और अररिया में मुरगी के साथ-साथ ‘रॉयल बंगाल' नस्ल की बकरी भी दी जायेगी. प्रत्येक परिवार को तीन-तीन बकरी देने की योजना है. इसकी खरीद लाभुक किसी पशु हाट या अन्य बाजार से कर सकते हैं. इन्हें ऑन द स्पॉट पेमेंट दिया जायेगा. अनुदान के रुपये बैंक एकाउंट या चेक के माध्यम से नहीं दिये जायेंगे. बकरी की पूरी कीमत उसी समय उस दलित लाभुक को दे दी जायेगी. इन दोनों जिलों में प्रत्येक गांव में इसी नस्ल के बकरे भी दिये जायेंगे.

मदर यूनिट का होगा निर्माण

जिन जिलों में यह योजना चलेगी, वहां चूजा तैयार करने के लिए एक-एक ‘मदर यूनिट' बनाया जायेगा. चूजा जब 28 दिनों का हो जायेगा, तो इसका वितरण दलित परिवारों के बीच मुफ्त में कर दिया जायेगा. इस यूनिट को एससी-एसटी वर्ग का व्यक्ति खोल सकता है. सरकार इसमें हर तरह से मदद करेगी और इसे तैयार करने में जितने रुपये खर्च होंगे, इसे सरकार देगी. इन यूनिटों से 28 दिनों बाद जो चूजे वितरण के लिए लिये जायेंगे, इसके पेमेंट के रूप में प्रति मुरगी 60 रुपये विभाग की ओर से दिये जायेंगे. इससे मदर यूनिट लगाने वाले को दोहरी आमदनी होगी. एक अनुमान लगाया गया है कि मुरगी पालन की इस योजना से एक दलित परिवार को प्रति वर्ष 24 हजार रुपये की आमदनी हो सकती है. इस आधार पर प्रत्येक परिवार को 45 चूजे दिये जा रहे हैं.

 

दलित परिवारों को आर्थिक दृष्टि से सुदृढ़ बनाने के लिए यह खास योजना शुरू की जा रही है. इसका पायलट प्रोजेक्ट अच्छा रहा, तो इसे पूरे राज्य में लागू कर दिया जायेगा.

आलोक रंजन घोष, निदेशक , पशुपालन विभाग


http://www.prabhatkhabar.com/news/bihar/story/226682.html


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