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न्यूज क्लिपिंग्स् | फिर सवालों के बीच 'बालको'- प्रियंका कौशल

फिर सवालों के बीच 'बालको'- प्रियंका कौशल

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published Published on Oct 10, 2013   modified Modified on Oct 10, 2013

छत्तीसगढ़ में उद्योग सारे नियम कायदे ताक पर रखकर मनमानी करने में लगे हुए हैं. इसका ताजा उदाहरण रायगढ़ के धरमजयगढ़ इलाके के तीन गांव रुकुंगा, बायसी और तराईमार में देखने में आया है. यहां भारत एल्युमिनियम कंपनी (बालको) ने ग्रामीणों के विरोध के बावजूद ग्राम सभा में भूमि व्यापवर्तन (डायवर्शन) का प्रस्ताव पास करवा लिया. प्रियंका कौशल की रिपोर्ट.

दरअसल धरमजयगढ़ में आने वाला दुर्गापुर तराईमार कोल ब्लॉक बालको को दिया जाना प्रस्तावित है. एक हजार 76 एकड़ में फैले इस कोल ब्लॉक का 365.56 हैक्टेयर इलाका वन राजस्व की जमीन है. इसी जमीन का डायवर्शन वन से बदलकर औद्योगिक इस्तेमाल के लिए किया जाना है. इसके लिए पहले 29 सितंबर को बायसी में ग्रामसभा बुलाई गई थी, लेकिन गांववालों ने इसका बहिष्कार कर दिया था. लेकिन कंपनी के अधिकारियों द्वारा स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर दोबारा 2 अक्टूबर को ग्राम सभा बुलाई और केवल 173 ग्रामीणों के हस्ताक्षर करवाकर प्रस्ताव पारित होने की मुनादी करवा दी. जबकि नियम कहते हैं कि एक हफ्ते के भीतर ही दूसरी बार ग्राम सभा नहीं बुलाई जा सकती. वहीं जिस बायसी गांव में ग्रामसभा हुई, उसमें 1300 मतदाता निवास करते हैं, उसमें से कम से कम 750 मतदाताओं को प्रस्ताव के समर्थन में हस्ताक्षर करना जरूरी था.

वन भूमि बचाओ संघर्ष समिति के सदस्य डीएस माल्या की मानें तो स्थानीय किसान बालको का विरोध कर रहे हैं. ऐसे में कंपनी कूटनीति रचकर प्रस्ताव पास होने का दिखावा कर रही है. वहीं समिति के ही अन्य सदस्य सजल कहते हैं कि यहां कि अधिकांश आबादी आदिवासियों और बांग्लादेशियों की है. जब बायसी में बांग्लादेशियों को लाकर बसाया गया था, तब यहां बंजर भूमि थी. बाद में अपनी मेहनत के बल पर किसानों से इसे दो फसली बना लिया. अब यहां का तरबूज और परवल देश भर में बिकने जाता है. ऐसे में किसान अपनी जमीन नहीं देना चाहते, लेकिन बालको जबरिया जमीन हथियाने की कोशिश में लगा हुआ है.

दूसरी महत्पूर्ण बात ये भी है कि जिन गांवों की जमीन बालको लेना चाह रहा है, वो 'एलिफेंट कॉरिडोर' वाला इलाका है. यहां से हाथी केवल गुजरते ही नहीं, बल्कि प्रजनन भी करते हैं. ऐसे में बालको को मिलने वाले कोल ब्लाक के कारण हाथियों के लिए भी खतरा पैदा हो रहा है.

इस बारे में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का कहना है, ' धोखा देना तो बालको का इतिहास रहा है. वे हमेशा से शासन-प्रशासन की मिलीभगत से संसाधनों का दुरुपयोग करते आ रहे हैं. ग्रामसभा दोबारा होनी चाहिए. गांववाले इस पर सहमत नहीं है, तो उन्हें भी आंदोलन करना चाहिए. ये धोखाधड़ी राज्य सरकार की मर्जी से ही हुई है. बगैर सरकार के सहयोग के कोई भी कंपनी इस तरह का कृत्य नहीं कर सकती है.'

धरमजयगढ़ से भाजपा के विधायक ओमप्रकाश राठिया कहते हैं, 'पूरे गांव को पता था कि ग्रामसभा में क्या हो रहा है. गांववाले इससे अनभिज्ञ नहीं थे. मैं जरूर उस ग्रामसभा में नहीं था, लेकिन मुझे उसकी पूरी जानकारी है. केवल तराईमार के निवासी पहले जमीन का पट्टा मांग रहे हैं, इसलिए सहमति नहीं दे रहे हैं. लेकिन बायसी की ग्राम सभा में ग्रामीणों की पूरी उपस्थिति थी, सबकी सहमति से ही प्रस्ताव पास किया गया है.'

इस पूरे मामले में भारत जनआंदोलन के प्रवर्तक और पूर्व प्रशासनिक अफसर बीडी शर्मा कहते हैं, 'ये बदमाशी तो हमेशा से चल रही है. सब राज्य सरकार की मिलीभगत से हो रहा है. ऊपर से नीचे तक सब मिले हुए हैं. गांववालों को इसका तीव्र विरोध करना चाहिए.'

बालको एक विदेशी कंपनी वेदांता–स्टरलाइट द्वारा संचालित है. बालको में वेदांता के 51 फीसदी शेयर हैं. बाकी 49 प्रतिशत शेयर केंद्र सरकार के पास हैं. जिसे भी वेदांता को बेचने की तैयारी चल रही है. ऐसे में सुदूर रायगढ़ इलाके में वेदांता का छल फिर एक बार कंपनी की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रही है.

http://www.tehelkahindi.com/rajyavar/%E0%A4%9B%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A5%80%E0%A4%B8%E0%A4%97%E0%A4%A2%E0%A4%BC/2055.html


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