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न्यूज क्लिपिंग्स् | बुनियादी ढांचे के नीचे दम तोड़ती कश्मीर के करेवा की उपजाऊ जमीन

बुनियादी ढांचे के नीचे दम तोड़ती कश्मीर के करेवा की उपजाऊ जमीन

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published Published on Feb 28, 2023   modified Modified on Mar 2, 2023

मोंगाबे हिंदी, 28 फरवरी

केसर की धरती कहे जाने वाले पंपोर इलाके के बीच से एक राष्ट्रीय राजमार्ग (NH44) होकर गुजर रहा है। केसर की खेती करने वाले इश्फाक अहमद यहां खड़े होकर इस जमीन के भविष्य को लेकर अजीब सी उधेड़बुन में व्यस्त हैं। केसर की क्यारियों से निकली हरी-हरी टहनियों पर उनकी निगाहें टिकी हैं। वह उत्सव के रंगों में सरोबार उन खूबसूरत दिनों को याद करते हैं जो कभी इन विशाल करेवा पहाड़ी मैदानों (टेबललैंड्स) में एक आम दृश्य हुआ करते थे।

करेवा की नरम मिट्टी कश्मीर घाटी की कृषि के लिए खास है। कश्मीर के प्रतिष्ठित केसर, सेब और बादाम इसी की देन हैं। यह प्राचीन पठार और पौधों के जीवाश्मों का घर भी है और पृथ्वी के अतीत के कई सुराग भी यहां छिपे हुए हैं। लेकिन ये प्राचीन भूवैज्ञानिक संरचनाएं अब तेजी से हो रहे शहरीकरण, अनियोजित विकास और खनन की गिरफ्त में हैं।

भारतीय जीवाश्म विज्ञानी/पुरावनस्पतिशास्त्री बीरबल साहनी ने 1936 के एक लेख में इस जगह का वर्णन करते हुए लिखा था कि लगभग 40 लाख साल पहले बने ये करेवा (या वुदुर) कमोबेश समतल चबूतरे या पहाड़ी मैदान हैं जो कश्मीर घाटी के एक बड़े हिस्से को कवर करते हैं, खासकर झेलम के बाएं किनारे को।” 
पूरी खबर- मोंगाबे हिंदी


मोंगाबे हिंदी, 28 फरवरी https://hindi.mongabay.com/2023/02/28/nourishing-soils-of-kashmirs-karewas-crumble-under-infrastructure/
 

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