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न्यूज क्लिपिंग्स् | बिहार, यूपी की ऑर्केस्ट्रा डांसरों की कहानी: पिंजरे में बंद लड़कियां और गिद्ध की तरह झपटते लोग

बिहार, यूपी की ऑर्केस्ट्रा डांसरों की कहानी: पिंजरे में बंद लड़कियां और गिद्ध की तरह झपटते लोग

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published Published on Jul 11, 2021   modified Modified on Jul 13, 2021

-बीबीसी,

रिकार्डिंग रूम छोटा है. कुछ महिलाएं इंतज़ार में खड़ी हैं. उन्हें अपनी कहानियां रिकॉर्ड करानी हैं. उन्हें बताया गया कि यह उनके लिए मददगार साबित हो सकती है. कोई उनकी कहानियों को पढ़ या सुन कर उन्हें बचाने के लिए आगे आ सकता है. उनके लिए यह उम्मीद की हल्की किरण जैसी थी.

उम्र के तीसरे दशक के आख़िर में चल रही एक महिला इन लड़कियों का परिचय कराती है. ये लड़कियां बिहार के कुछ इलाक़ों की शादियों या पार्टियों में बुलाए जाने वाले ख़ास तरह के ऑर्केस्ट्रा बैंड में नाचने-गाने का काम करती हैं. लेकिन अपने फ़न के प्रदर्शन के दौरान अक्सर उनके साथ ज़्यादतियां होती हैं.

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उन्हें ज़बरदस्ती छुआ जाता है. उनकी छाती पकड़ ली जाती है और कई बार उनके साथ रेप भी हो जाता है.

शादियों पर होने वाले इस जमावड़े में की जाने वाली फ़ायरिंग तो आम है. अक्सर ऐसी फ़ायरिंग में इन लड़कियों के मारे जाने की ख़बरें आती रहती हैं. 24 जून को नालंदा में ऐसे ही एक शादी समारोह में हुई फ़ायरिंग में स्वाति नाम की लड़की की मौत हो गई. गोली उसके सिर में घुस गई. एक पुरुष डांसर को भी गोली लगी.

लड़कियों का कहना है कि कोरोना महामारी ने उन्हें और कमज़ोर बना दिया है. लॉकडाउन की वजह से काम मिलना मुश्किल हो गया है. कहां से किराया दें और परिवार कैसे पालें. ऑर्केस्ट्रा बैंड में गाने वाली रेखा वर्मा कहती हैं कि कुछ को तो देह के धंधे में उतरना पड़ा है.

रेखा राष्ट्रीय कलाकार महासंघ की अध्यक्ष हैं. ऑर्केस्ट्रा में काम करने वाले ऐसे ही पुरुष और महिला कलाकारों के हक़ की लड़ाई के लिए 2018 में उन्होंने यह संगठन बनाया था.

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इन्हीं महिलाओं में से एक अपनी आपबीती सुनाते हुए सिसक पड़ती हैं. आंसुओं से उनका चेहरा भीग गया है और मस्कारा लुढ़क कर गालों तक उतर आया है. बालों में भूरा शेड है. नीले रंग का लाइक्रा का कुर्ता और सलमे-सितारे वाली सलवार पहनी इस महिला के हाथ में गोल्डन पर्स है.

आंखें बड़ी हैं और बाएं हाथ में तितली का टैटू बना है. नाम दिव्या है लेकिन यह असली नहीं है. महिला का कहना है उसे दिवंगत अभिनेत्रा दिव्या भारती बहुत अच्छी लगती थीं. वह उन्हीं की तरह बनना चाहती थीं. इसलिए अपना नाम दिव्या रख लिया है. लेकिन ज़िंदगी आसान नहीं है.

दिव्या प्रदर्शन के लिए घेर कर बनाई गई जगह या स्टेज पर डांस करती हैं. उन्हें शराब के नशे में घिरे पुरुषों के बीच नाचना पड़ता है. ये लोग इन महिला डांसरों की छाती पकड़ लेते हैं. उन पर पत्थर फेंकते हैं और यहां तक कि उन पर बंदूक़ भी तान देते हैं. दिव्या ऑर्केस्ट्रा कहे जाने वाले ऐसे ही जमावड़े का हिस्सा हैं.

पति की प्रताड़ना से स्टेज तक का सफ़र
दिव्या बिहार के पूर्णिया में पैदा हुई थीं. वह जब किशोरी थीं, तो उनका परिवार काम की तलाश में पंजाब चला गया था. 13 साल की उम्र में ही उनकी शादी कर दी गई. इसके बाद वह पति के साथ रहने चली आईं.

पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


चिंकी सिन्हा, https://www.bbc.com/hindi/india-57790230


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