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न्यूज क्लिपिंग्स् | बंद दरवाजे के पीछे से बोला मासूम- पढ़ना चाहता हूं, बापू स्कूल नहीं भेजते

बंद दरवाजे के पीछे से बोला मासूम- पढ़ना चाहता हूं, बापू स्कूल नहीं भेजते

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published Published on Jan 19, 2017   modified Modified on Jan 19, 2017

कोरबा, नईदुनिया न्यूज। मैं भी अन्य बच्चों की तरह सामान्य जिंदगी जीना चाहता हूं। स्कूल जाकर पढ़ाई करना चाहता हूं। बापू स्कूल नहीं जाने देते। जब घर में रहते हैं तो कुछ समय के लिए दरवाजा खोलते हैं। काम में जाने के पहले मुझे घर में बंद करके चले जाते हैं।

 

यह बात कमरे के अंदर बंद 8 साल के सोनसाय पंडो ने दरवाजे के झरोखे से झांकते हुए कही। दरअसल यह मामला पोड़ी-उपरोड़ा ब्लॉक के ग्राम कुम्हारीदर्री का है। यहां की सरपंच उर्मिला सिंह के पति कीरतारथ सिंह को पता चला कि मासूम सोनसाय को उसका पिता घर में कैद करके रखता है। इसकी शिकायत करने वे करीब तीन माह पहले पसान थाने गए थे, पर तात्कालीन थाना प्रभारी ने इसे पारिवारिक मामला बता कर उल्टे पांव वापस लौटा दिया। इसके बाद सरपंच बच्चे की हालत देखकर बेचैन रहे।

 

यह बात मीडिया तक पहुंचाने वे कमरे के अंदर से सोनसाय से बातचीत किए व उसकी पूरी वीडियो रिकार्डिंग तैयार कर ली। यह रिकार्डिंग हमारे पसान के प्रतिनिधि जुबेर खान को उपलब्ध कराई। वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि सोनसाय पंडो अंदर से सरपंच पति को अपनी व्यथा बता रहा।

 

उसके पिता जब कभी भी बाहर जाते हैं उसे ऐसे ही कमरे के अंदर बंद कर देते हैं। वह यह भी बता रहा है कि उसके पिता उसे पर्याप्त भोजन देते हैं। बताया जा रहा है कि कुम्हारीदर्री के पंडोपारा में संरक्षित आदिवासी जाति के रहने वाले संतोष पंडो पिछले 2 साल से अपने पुत्र को स्कूल नहीं भेज रहा है। सरपंच पति कीरतारथ सिंह ने बताया कि गांव के लोगों ने संतोष को समझाइश दी, किंतु वह मानने को तैयार नहीं। कीरतारथ का कहना है कि संतोष पंडो जब तक घर में उपस्थित रहता है, तब तक ही घर का दरवाजा खुला रखता है। इस बीच भी उसे बाहर निकलने नहीं देता।

 

पैसा दो तो दरवाजे के नीचे से देता है पाउच

आश्चर्यजनक बात यह है कि घर में ही गुटखा-पाउच, चाकलेट, बिस्किट की बिक्री संतोष करता है। वह सोनसाय को घर में बंद कर बाहर से ताला लगाकर चला जाता है। इस बीच कोई सामान खरीदने आता है तो वह बंद दरवाजे से ही बच्चे को आवाज लगाता है। दरवाजे के नीचे से पैसा देने पर सोनसाय उसे सामान देता है। ग्रामीणों का कहना है कि घर में संतोष व सोनसाय ही रहते हैं। उसकी पत्नी तंग आकर मायके चली गई है। सरपंच पति का कहना है कि बच्चे के स्कूल नहीं आने की जानकारी मिलने के बाद कई बार संतोष को समझा चुके हैं। वह लोगों को मारने भी दौड़ाता है।

 

दूसरी पढ़ाई के बाद नहीं पहुंचा स्कूल

गांव में संचालित स्कूल के दाखिल रजिस्टर में सोनसाय पंडो का नाम है। स्कूल के शिक्षक विजय बहादुर का कहना है कि वर्ष 2013 में दूसरी कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद मुश्किल से तीसरी की पढ़ाई शुरू कर पाया था। इसके बाद सोनसाय स्कूल नहीं आ रहा है। उसके पिता को सूचित किया जा चुका है, किंतु बच्चे को विद्यालय नहीं भेजा जा रहा है। उसके पिता का कहना है कि उसके बच्चे के साथ अन्य बच्चे मारपीट करते हैं, इसलिए वह कड़ी निगरानी में रखता है।

 

पसान थाने में मैं पिछले साढ़े तीन माह से पदस्थ हूं। मेरे कार्यकाल के दौरान इस तरह की शिकायत नहीं आई है। शिकायत आई तो कार्रवाई की जाएगी। - एसएस पटेल, थाना प्रभारी, पसान

 

मैं लिखित शिकायत लेकर पसान थाना गया था। तात्कालीन थाना प्रभारी ने इसे पारिवारिक मामला बताकर वापस लौटा दिया। मुझे पावती भी नहीं दी। मैं खुद बच्चे की दशा जानने उस वक्त गया जब उसे कमरे में बंद कर उसका पिता चला गया था। - कीरतारथ सिंह, सरपंच पति

 

यह शिकायत हमें इसके पहले कभी नहीं मिली थी। सच्चाई का पता लगाने चाइल्ड लाइन की टीम गुरूवार को कुम्हारीदर्री जाएगी। आसपास के लोगों से जानकारी एकत्रित की जाएगी। बच्चे की काउंसलिंग की जाएगी। साथ ही उसके पिता को बाल कल्याण समिति के समक्ष उपस्थित होना होगा। - डिक्सन मसीह, प्रोग्राम डायरेक्टर, चाइल्ड लाइन

 


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