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न्यूज क्लिपिंग्स् | बच्चा पढ़ाना है तो पढ़ाओ, फीस इतनी ही रहेगी

बच्चा पढ़ाना है तो पढ़ाओ, फीस इतनी ही रहेगी

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published Published on Mar 15, 2010   modified Modified on Mar 15, 2010

जागरण प्रतिनिधि, शिमला : राजधानी शिमला सहित प्रदेशभर के निजी स्कूलों ने फीस में भारी-भरकम बढ़ोतरी कर दी है। इससे पहले बाकायदा स्कूलों की ओर से अभिभावकों के नाम एक सर्कुलर जारी किया गया। इसके अनुसार छठे वेतन आयोग की सिफारिशों का बहाना लेकर अभिभावकों से सहयोग करने की बात कही गई है। पिछले साल भी निजी स्कूलों ने भारी फीस वृद्धि की थी। अभिभावकों ने आंदोलन किया, लेकिन उन्हें दो-टूक कहा गया कि बच्चों को पढ़ाना है तो पढ़ाओ, वरना घर ले जाओ, फीस इतनी ही रहेगी।

शिमला के ताराहाल कान्वेंट स्कूल ने बच्चों के फीस कार्ड जारी कर दिए हैं। इसके अनुसार हर क्लास की फीस में अधिकतम छह सौ रुपये की बढ़ोतरी की गई है। यह ट्यूशन फीस के रूप में हो जो पिछले साल चार महीने के लिए 3200 रुपये थी और अब बढ़कर 3800 रुपये कर दी गई है। यदि पूरा हिसाब लगाया जाए तो नर्सरी क्लास की फीस इस साल 23,600 रुपये वार्षिक बनती है।

सेंट एडवर्ड स्कूल से अभी अभिभावकों तक फीस कार्ड नहीं पहुंचे हैं, लेकिन उन्हें मौखिक तौर पर बता दिया गया है कि वे फीस बढ़ोतरी के लिए तैयार रहें। सेंट एडवर्ड स्कूल में विगत वर्ष सालाना फीस स्ट्रक्चर अधिकतम 14,300 रुपये तक था। फीस बढ़ाने को लेकर अभिभावकों ने विरोध जताना शुरू कर दिया है, लेकिन निजी स्कूल प्रबंधक इस बारे में बातचीत करने को तैयार नहीं हैं। उनका संक्षिप्त-सा जवाब है कि आवश्यकता अनुसार ही फीस बढ़ाई जाती है और उसके अनुपात में बच्चों को वैसी ही सुविधाएं दी जाती है।

और भी फंड वसूले जाते हैं

फीस के अलावा सालाना कई तरह के फंड वसूले जाते हैं। शिमला के सेंट एडवर्ड स्कूल में री-एडमिशन के नाम पर भारी शुल्क वसूला जा रहा है। विगत वर्ष नर्सरी से फ‌र्स्ट क्लास में जाने पर हर छात्र से एक हजार रुपया वसूल किया जाता था, जिसे इस बार बढ़ाकर तीन हजार रुपये कर दिया गया है। ताराहाल स्कूल में नर्सरी क्लास की फीस इस साल सालाना 23,600 रुपये रखी गई है। यही हाल अन्य स्कूलों का है। सभी स्कूलों ने विभिन्न क्लासों की फीस में अधिकतम तीन हजार की बढ़ोतरी कर दी है।

लाखों के मिसलेनियस चार्जिज

स्कूलों मिसलेनियस चार्जिज के नाम पर भी मनमानी की जाती है। इसके अलावा मेंटेनेंस एंड डवलपमेंट फंड के नाम पर भारी शुल्क लिया जाता है। शहर के एक जाने-माने स्कूल में मिसलेनियस चार्जिज, डवलपमेंट फंड आदि की मद में एक साल में लगभग तीस लाख की रकम जुड़ी है।

फीस वृद्धि के खिलाफ आंदोलन की पैरवी कर रहे माकपा के जिला सचिव संजय चौहान ने कहा कि स्कूल प्रशासन बताए, इस फंड का पैसा कहां-कहां खर्च होता है।

फाइनेंस संबंधी नियंत्रण राज्य सरकार का हो

हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष प्रो. सीएल गुप्त का कहना है कि अधिकांश स्कूल सीबीएसई व आईसीएसई से नियंत्रित हैं। हिमाचल में इनका कोई प्रतिनिधि नहीं बैठता। कई के क्षेत्रीय कार्यालय चंडीगढ़ में हैं। स्कूल प्रशासन सीबीएसई व आईसीएसई को अंधेरे में रखता है। उन्होंने कहा कि फीस संबंधी नियंत्रण राज्य सरकारों का होना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट कहा कि ये स्कूल व इनके बोर्ड प्रदेश का शैक्षणिक वातावरण खराब कर रहे हैं।

नियंत्रण को लेकर विचार कर रही सरकार : धीमान

शिक्षा मंत्री ईश्वर दास धीमान का कहना है कि अभिभावकों को सरकारी स्कूलों में भरोसा जताना चाहिए। उन्होंने स्वीकार किया कि निजी स्कूल मनमानी फीस बढ़ा रहे हैं और उनकी शिकायतें मिल रही हैं। फीस रेग्युलेशन को लेकर सरकार विचार कर रही है।

माकपा ने दी आंदोलन की धमकी

माकपा के जिला शिमला सचिव संजय चौहान ने कहा कि उनकी पार्टी निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ आंदोलन करेगी। इस बारे में सरकार पर दवाब डाला जाएगा। निजी स्कूल प्रबंधकों का घेराव किया जाएगा। उन्होंने कहा कि निजी स्कूल पूरी तरह से मनमानी पर उतर आए हैं। छठे वेतन आयोग की सिफारिशों का बहाना बनाकर फीस में भारी बढ़ोतरी कर दी गई। यह चालीस से लेकर साठ फीसदी तक है। उन्होंने कहा कि जब तक फीस का ढांचा तर्कसंगत नहीं किया जाता, उनका आंदोलन जारी रहेगा। इसके लिए अभिभावकों से संपर्क कर उन्हें भी तैयार किया जाएगा।


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/himachalpradesh/4_11_6256140_1.html
 

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