Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | बड़े पत्रकार, बड़े दलाल

बड़े पत्रकार, बड़े दलाल

Share this article Share this article
published Published on May 22, 2010   modified Modified on May 22, 2010
पद्मश्री बरखा दत्त और वीर सांघवी. दो ऐसे नाम, जिन्होंने अंग्रेज़ी पत्रकारिता की दुनिया पर सालों से मठाधीशों की तरह क़ब्ज़ा कर रखा है. आज वे दोनों सत्ता के दलालों के तौर पर भी जाने जा रहे हैं. बरखा दत्त और वीर सांघवी की ओछी कारगुज़ारियों के ज़रिए पत्रकारिता, सत्ता, नौकरशाह एवं कॉरपोरेट जगत का एक ख़तरनाक और घिनौना गठजोड़ सामने आया है. देश की जनता हैरान है कि एनडीटीवी की ग्रुप एडिटर एवं एंकर बरखा दत्त और हिंदुस्तान टाइम्स के पूर्व संपादक, मौज़ूदा संपादकीय सलाहकार एवं स्तंभकार वीर सांघवी ने पत्रकार होने के अपने रुतबे और साख को दौलत की अंधी चमक से कलंकित कर दिया. एक सवाल और भी है, जो लोगों को परेशान कर रहा है कि दलाली में इतने बड़े दो नाम एक साथ भला कैसे हो सकते हैं. वैसे मीडिया के लोगों को कमोबेश इस बात की जानकारी है कि वीर सांघवी और बरखा दत्त के बीच क्या कनेक्शन है. पर आम लोगों को शायद ही पता हो कि वीर और बरखा, दोनों ही बेहद घनिष्ठ मित्र हैं. जब वीर सांघवी को न्यूज़ एक्स से इस्ती़फा देना पड़ा था, तब कहा गया था कि इसकी वज़ह भी बरखा ही बनी थी. शायद इसलिए दलाली में भी दोनों ने साथ ही हाथ काले किए.

    पिछले दिनों एक कार्यक्रम में प्रेस काउंसिल के अध्यक्ष जस्टिस गजेंद्र नारायण रे ने टिप्पणी की थी कि आज की पत्रकारिता वेश्यावृत्ति में बदल गई है. बरखा दत्त और वीर सांघवी ने अपने कुकृत्य से उनकी बात पर मुहर भी लगा दी है. पत्रकारिता के पेशे की आड़ में काली कमाई कर रहे इन दोनों नामचीन पत्रकारों के नाम आयकर विभाग और सीबीआई की सूची में बतौर दलाल दर्ज हो चुके हैं.

जनवरी 2006 में जब ए राजा पर्यावरण मंत्री थे, तब होटल ताज मानसिंह में बरखा दत्त, वीर सांघवी और नीरा राडिया की एक लंबी मुलाकात हुई थी. नीरा की राजा से यह पहली मुलाकात थी. यह कमरा नीरा राडिया के नाम से बुक था. इसके बाद उनके मिलने का सिलसिला चल निकला. सीबीआई सूत्र बताते हैं कि बात भले ही चार कंपनियों की जा रही है, पर कंपनियों की कुल संख्या नौ है. कुल तीन सौ दिनों तक नीरा की बातें टेप की गई हैं. जो बातें निकल कर सामने आई हैं, उसकी बिना पर कल यह खुलासा भी हो सकता है कि इन नौ कंपनियों में बरखा और वीर की भी हिस्सेदारी हो.

पिछले दिनों एक कार्यक्रम में प्रेस काउंसिल के अध्यक्ष जस्टिस गजेंद्र नारायण रे ने टिप्पणी की थी कि आज की पत्रकारिता वेश्यावृत्ति में बदल गई है. बरखा दत्त और वीर सांघवी ने अपने कुकृत्य से उनकी बात पर मुहर भी लगा दी है. पत्रकारिता के पेशे की आड़ में काली कमाई कर रहे इन दोनों नामचीन पत्रकारों के नाम आयकर विभाग और सीबीआई की सूची में बतौर दलाल दर्ज हो चुके हैं. आयकर विभाग और सीबीआई के पास इन दोनों के ख़िला़फ सबूतों की लंबी फेहरिस्त है. सीबीआई और आयकर महानिदेशालय के पास मौज़ूद टेपों में इन दोनों दिग्गज पत्रकारों को दलाली की भाषा बोलते हुए सा़फ सुना जा सकता है. सीबीआई की एंटी करप्शन शाखा ने जब टेलीकॉम घोटाले के सिलसिले में नीरा राडिया के ख़िला़फ 21 अक्टूबर 2009 को मामला दर्ज किया और छानबीन शुरू की, तब पाया कि नीरा राडिया अपनी चार कंपनियों के ज़रिए टेलीकॉम, एविएशन, पावर और इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े कॉरपोरेट सेक्टरों के फायदे के लिए बिचौलिए का काम करती हैं. नीरा अपने काम को पूरा कराने के लिए देश के नामचीन पत्रकारों को मोहरे के तौर पर इस्तेमाल करती हैं, जिसकी भरपूर क़ीमत भी नीरा इन पत्रकारों को देती हैं. सीबीआई के एंटी करप्शन ब्यूरो के डीआईजी विनीत अग्रवाल को जब इस बात के प्रमाण मिले तो उन्होंने आयकर महानिदेशालय के इंवेस्टीगेशन आईआरएस मिलाप जैन से नीरा राडिया से जुड़ी जानकारी मांगी. आयकर महानिदेशालय के ज्वाइंट डायरेक्टर आशीष एबराल द्वारा सीबीआई को भेजे गए सरकारी पत्र में जवाब आया कि नीरा राडिया पहले से ही संदिग्ध हैं और इस बिना पर गृह सचिव से अनुमति लेकर नीरा और उनके सहयोगियों का फोन टेप किया जा रहा था. इस दरम्यान ही यह कड़वी हक़ीक़त सामने आई कि वैष्णवी कॉरपोरेट कंसल्टेंट, नोएसिस कंसल्टिंग, विटकॉम और न्यूकॉम कंसल्टिंग कंपनियों के माध्यम से टाटा, अंबानी जैसे कॉरपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने की खातिर नीरा राडिया बरखा दत्त और वीर सांघवी जैसे रसूखदार पत्रकारों का इस्तेमाल करती हैं. बरखा और वीर सांघवी नीरा राडिया जैसी बिचौलिया के ज़रख़रीद बन सियासी गलियारों में तोल-मोल का खेल रचते हैं. पत्रकारिता के बूते बने अपने संपर्कों का उपयोग वे मंत्रिमंडलीय जोड़-तोड़ में करते हैं. अपने मतलब के कॉरपोरेट घरानों की सहूलियत के मुताबिक़ मंत्रियों को विभाग दिलवाते हैं और बदले में भारी-भरकम दलाली खाते हैं. सबूत कहते हैं कि दलालीगिरी का खेल ये दोनों बहुत पहले से करते आ रहे हैं, पर इनका भांडा फूटा ए राजा को संचार मंत्री बनवाने के बाद. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी नहीं चाहते थे कि आरोपों से घिरे ए राजा को संचार मंत्री बनाया जाए. मनमोहन सिंह ने ए राजा के नाम पर ग़ौर करने तक से मना कर दिया था. मनमोहन सिंह चाहते थे कि देश को अत्याधुनिक सूचना क्रांति से जोड़ कर समाज को समृद्घ बनाने में बेहद अहम भूमिका निभाने वाला संचार मंत्रालय ऐसे व्यक्ति के हाथ में जाए, जो कॉरपोरेट घरानों की कठपुतली न हो. उसकी छवि बेदाग़ हो. पर नीरा राडिया के हाथों बिक चुके बरखा दत्त और वीर सांघवी ने कांग्रेस के पावर कॉरिडोर में ऐसी ज़बरदस्त घेराबंदी की कि प्रधानमंत्री तो बेबस हो ही गए, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की भी एक न चली. सीबीआई और आयकर विभाग की फाइलों और टेलीफोन टेपों में बरखा और वीर सांघवी के ख़िला़फ दर्ज़ साक्ष्य उनकी दलाली की हौलनाक कहानी कहते हैं कि देश के नामचीन पत्रकार होने का इन दोनों ने किस क़दर ओछा लाभ उठाया. नीरा राडिया के हाथों की कठपुतली बन कर दोनों ने ही टाटा और अंबानी जैसे देश के टॉप कॉरपोरेट घरानों को व्यवसायिक फायदा पहुंचाने की गरज़ से लगातार पैरवी कर सरकार के कई नीतिगत फैसलों को बदलवाया. एयरटेल के मालिक सुनील भारती मित्तल के ज़बरदस्त विरोध के बा़वज़ूद दयानिधि मारन की बजाय ए राजा संचार मंत्री बने तो इसी कारण कि बरखा दत्त और वीर सांघवी जैसे स़फेदपोश बड़े पत्रकार राजा की पैरवी कर रहे थे. जांच से यह बात भी सामने आई है कि नीरा राडिया, बरखा दत्त और वीर सांघवी की तिकड़ी पुरानी है. नीरा राडिया की चारों कंपनियों में बतौर अधिकारी तमाम रिटायर्ड नौकरशाहों की भरमार है. इन सभी को वीर सांघवी और बरखा की तैयार की गई सूची के आधार पर ही रखा गया हैं. ये वे अधिकारी हैं, जिन्होंने विभिन्न मंत्रालयों में ऊंचे पदों पर काम किया है और जिन्हें मंत्रालयों के अंदरूनी कामकाज की बख़ूबी जानकारी है. इन्हें पता है कि मुना़फे के फेर में किस तरह सरकार को करोड़ों-अरबों का चूना लगाया जा सकता है. किस तरह विदेशी पूंजी निवेश क़ानून की धज्जियां उड़ा कर अरबों के वारे-न्यारे किए जाते हैं.

बहरहाल, फिलहाल तफ्तीश चल रही है. सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच के जिस डीआईजी विनीत अग्रवाल की जांच पर नीरा, बरखा और वीर की दलाली के खेल का पर्दा़फाश हुआ है, उनका ट्रांसफर किया जा चुका है. अपनी गिरफ्तारी की आशंका से नीरा राडिया पहले ही देश छोड़कर भाग चुकी हैं. हर ख़बर पर बावेला मचाने वाला मीडिया इस मसले पर चुप है. तो क्या उम्मीद की जाए कि इतने बड़े घोटाले और महान पत्रकारों की दलाली का सच सामने आ पाएगा? अभी एक नाम आना और बाकी है. एक बड़े न्यूज़ चैनल के प्रबंध संपादक का नाम, जो इस तिकड़ी को दलाल चौकड़ी बना देगा. बस कुछ दिन और इंतज़ार कीजिए.


http://www.chauthiduniya.com/2010/05/bade-patrakar-bade-dalal.html


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close