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न्यूज क्लिपिंग्स् | बीपीएल परिवारों को स्वास्थ्य बीमा लाभ

बीपीएल परिवारों को स्वास्थ्य बीमा लाभ

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published Published on Nov 2, 2013   modified Modified on Nov 2, 2013

राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना वर्ष 2008-09 में शुरू की गयी और अब भी जारी है. यह बीपीएल परिवारों के सदस्यों के स्वास्थ्य बीमा के लिए है. इसके तहत बीपीएल परिवार को कैशलेस बीमा कार्ड दिया जाता है. इसके आधार पर बीपीएल परिवार के अधिक-से-अधिक पांच सदस्य साल में 30 हजार रुपये तक का मुफ्त इलाज करा सकते हैं.

यह कार्ड सरकार बीमा कंपनी के माध्यम से लाभुकों को उपलब्ध कराती है.  इस योजना के तहत कैशलेस कार्डधारी परिवारों का कोई सदस्य गंभीर रूप से बीमार पड़ता है, तो  देश भर में 384 ऐसे निजी अस्पताल और नर्सिग होम हैं, जहां साल भर में 300 रुपये तक का उसका मुफ्त इलाज होता है. इसके लिए कैशलेस कार्ड अस्पताल के कैश काउंटर पर देना होता है. इलाज के बाद कार्ड वापस मिल जाता है.

इन अस्पतालों की सूची सभी जिला अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों के पास है. कार्डधारियों को भी इन अस्पतालों के बारे में जानकारी दी जाती है. सरकार ने 2011-12 में 15.70 लाख बीपीएल परिवारों को स्मार्ट कार्ड दिया. 2012-13 में 38,450 रोगियों को अस्पताल और नर्सिग होम में भर्ती किया गया और उन्हें 22.21 करोड़ रुपये के इलाज का लाभ दिया गया. वर्ष 2013-14 में  अनुसूचित जाति के 2.50 लाख और अनुसूचित जनजाति के 6.50 लाख कार्डधारियों को इस योजना का लाभ दिलाने के लिए  20 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.

इन्हें मिलना है लाभ

बीपीएल परिवार के पांच सदस्य

गलियों में फरी लगाने वाले

बीड़ी मजदूर

घरेलू नौकर

भवन एवं अन्य निर्माण में लगे श्रमिक
मनरेगा के वैसे मजदूर, जिन्होंने साल भर में कम-से-कम 15 दिन काम किया हो.

उग्रवाद प्रभावित जिलों के युवाओं के कौशल विकास की योजना
राज्य के उग्रवाद प्रभावित दस जिलों पश्चिम सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम, लोहरदगा, गुमला, लातेहार, पलामू, गढ़वा, हजारीबाग, चतरा और बोकारो के युवाओं के कौशल विकास के लिए यह योजना संचालित है. इसमें कम अवधि और लंबी अवधि के  प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाये जाते हैं. इसके तहत इन सभी जिलों में एक आइटीआइ एवं दो एसडीसी की स्थापना की योजना है. इनकी स्थापना पर केंद्र सरकार 75 प्रतिशत और राज्य सरकार 25 प्रतिशत धन देगी. राज्य सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च करने की योजना बनायी है. प्रशिक्षण कार्यक्रम पर पूरा का पूरा खर्च भारत सरकार का होगा.

राज्य सामाजिक सुरक्षा योजना
इस योजना के तहत राज्य की 60 साल की विधवाओं, नि:शक्त एवं असहाय व्यक्तियों तथा 18 साल से अधिक उम्र के मुक्त कराये गये बंधुआ मजदूरों को 400 रुपये प्रतिमाह की दर से पेंशन का लाभ दिया जाता है. विधवाओं और नि:शक्तों के लिए इस योजना का लाभ पाने के लिए यह जरूरी है कि अगर वे ग्रामीण क्षेत्र में रहते हैं, तो उनकी वार्षिक आय 5000 रुपये तथा शहरी क्षेत्र में रहते हैं, तो वार्षिक  आय 5500 रुपये से अधिक नहीं हो.

प्रबंधन सूचना प्रणाली
यह योजना आधारभूत संरचना के आधुनिकीकरण और विकास से जुड़ा है. इस योजना पर चालू वित्त वर्ष में सरकार 10 लाख रुपये खर्च कर रही है. इसके तहत रोजगार और प्रशिक्षण निदेशालय को आइटीआइ और फिल्ड अफसरों से नेटवर्किग के तहत जोड़ना है. यह निदेशालय को ‘पेपर-लेस’ यानी कागज विहीन और गतिशील बनाने के लिए है. अब तक हर काम कागज-कलम से होता था. उसके रिकॉर्ड रखे जाते थे, जो कागज के होते थे. अब इन सब का स्थान इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम लेगा. कागज की जगह इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क से काम करना की व्यवस्था इस योजना के तहत है.

प्रशिक्षण और प्रशासनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर का आधुनिकीकरण
यह योजना आइटीआइ के प्रशिक्षण और प्रशासनिक संसाधनों के विकास के लिए शुरू की गयी है. इसके तहत सभी आइटीआइ, महिला आइटीआइ और इससे जुड़े कार्यालयों को इलेक्ट्रॉनिक सामानों, उपकरण और उपस्करों से लैस किया जाना है. इस योजना के जरिये इन सभी प्रतिष्ठानों और उनके  कार्यालयों का कायाकल्प करना चाहती है, ताकि ये ज्यादा बेहतर और प्रभावी रूप से काम कर सकें तथा इनका लाभ इनसे जुड़े युवाओं को मिल सके. इस साल सरकार इस योजना पर 4.05 करोड़ रुपये खर्च कर रही है.

व्यावसायिक प्रशिक्षण का विस्तार
यह योजना भी राज्य के युवाओं को ज्यादा-से-ज्यादा लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से ही शुरू की गयी है. इसके तहत औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों की स्थापना की लागत का आकलन आधुनिक जरूरतों के  हिसाब से किया जाना है और उसकी पूर्ति भी की जानी है. आम लोगों को इसके  बारे जानना इसलिए जरूरी है कि वह इस पर होने वाले खर्च की निगरानी कर सकें. इस तरह की योजना आम आदमी की जानकारी में नहीं होती हैं. लिहाजा उनके कार्यान्वयन की दिशा और दशा भी अपनी तरह की होती है. सरकार इस साल इस योजना के तहत 16 करोड़ रुपये खर्च कर रही है.

विशेषज्ञों की सेवा योजना
यह योजना भी आम तौर पर लोगों की नजरों से ओझल रहती है. इस पर सरकार हर साल लाखों रुपये खर्च करती है. इस साल इस पर 60 लाख रुपये खर्च होने हैं. इसके तहत विषय विशेषज्ञों की व्यावसायिक सेवा कंसल्टेंसी के तौर पर ली जाती है. इसका मकसद उनकी विशेषज्ञता का लाभ राज्य के मानव और तकनीकी संसाधन के विकास के लिए लेना है.

आइटीआइ में कंप्यूटर प्रशिक्षण
सरकार राज्य में कंप्यूटर साक्षरता को बढ़ाना चाहती है. इसके लिए इस योजना को शुरू किया गया है.  इस योजना का उद्देश्य कर्मचारियों और आइटीआइ के प्रशिक्षुओं को कंप्यूटर का प्रशिक्षण प्राप्त कराना है. चालू वित्त वर्ष में इस योजना पर सरकार 10.00 लाख रुपये खर्च कर रही है.

दुमका-आदित्यपुर में निदेशालय स्तर के कर्मी
राज्य सरकार ने श्रम, प्रशिक्षण एवं रोजगार निदेशालय के काम के विकेंद्रीकरण का फैसला किया है. यह काम के बोझ को कम करने और लोगों की सहूलियत के लिए है. इसके तहत निदेशालय रांची, उपराजधानी दुमका और आदित्यपुर में निदेशालय स्तर के राजपत्रित और अराजपत्रित कर्मचारियों के अतिरिक्त पद सृजित किये गये हैं. इनके कार्यालय के सुदृढ़ीकरण पर 55 लाख रुपये इस साल खर्च हो रहे हैं.

राज्य में 20 नये आइटीआइ
13वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर राज्य के पिछड़े इलाकों में 20 आइटीआइ की स्थापना की जा रही है. सात आइटीआइ अनुसूचित जनजाति उप योजना (टीएसपी) और 13 आइटीआइ अन्य उप योजना (ओएसपी) के तहत बनने हैं. चालू वित्त वर्ष में सरकार इस पर 50 करोड़ रुपये खर्च कर रही है.

कहां-कहां बनने हैं आइटीआइ
झिकपानी (पश्चिमी सिंहभूम), कुड़ू (लोहरदागा), जरमुंडी व सरैयाहाट (दुमका), करमाटांड़ (जामताड़ा), भंडरिया (गढ़वा), सुंदरपहाड़ी (गोड्डा), पोड़ैयाहाट (गोड्डा), गोला (रामगढ़), बड़कागांव (हजारीबाग), इचाक (हजारबाग), कसमार (बोकारो), सेमरिया (चतरा), इटखोरी (चतरा), डोमचांच (कोडरमा), बगोदर (गिरिडीह), डुमरी (गिरिडीह), सतबरवा (पलामू), बाघमारा (धनबाद) एवं गोविंदपुर (धनबाद).

88 उद्योग असंगठित कार्य क्षेत्र
असंगठित कार्य क्षेत्र के अंदर वर्तमान में 88 प्रकार के उद्योग आते हैं. इस सूची को सरकार नये उद्योगों को भी शामिल कर सकती है.

शिल्पकार कौन है
शिल्पकार उन व्यक्तियों को माना गया है, जो अपनी रोजीरोटी इन व्यवसायों से चलाते हों : लोहारगिरी, टोकरी निर्माण, बैलगाड़ी, साइकिल ठेला चालन, बढ़इगिरी, रंगरेज, रिक्शा चालन, खिलौना निर्माण, पशुपालन, पशु चराना (चरवाही), कशीदाकारी, रस्सी निर्माण, कुम्हारगिरी, नाइगिरी, हस्तकरघा, मल्लाहगिरी, मदारीगिरी, छाता मरम्मती एवं निर्माण, भेंड़-बकरी पालन, दर्जीगिरी, रफुगिरी, पत्थर काटना, फेरी लगाना, ठठेरागिरी, पटरी दुकानदार, ऑटो रिक्शा चालन, सब्जी एवं फल बिक्री, मूर्ति निर्माण, कपड़ा रंगाई, बुनाई.

असंगठित कामगारों-शिल्पकारों व उनके आश्रितों को श्रम संसाधन विभाग से मिलने वाला लाभ

स्वाभाविक मृत्यु                 30,000

दुर्घटना मृत्यु                    1,00,000

पूर्ण स्थायी नि:शक्तता          75,000

आंशिक नि:शक्तता                 37,500

दुर्घटना पर पांच दिन अस्पताल में भर्ती रहने पर        5,000

कैंसर ऑपरेशन                25000

कैंसर चिकित्सा                15000

हृदय रोग डबल वाल्भ        30000

हृदय रोग पेस मेकर        25000

स्टेनोसिस/बैलून भालभोटोमी        15000

किडनी ऑपरेशन                30000

ब्रेन ट्यूमर छोटा ऑपरेशन        10000

ब्रेन ट्यूमर बड़ा ऑपरेशन        20000

एड्स                 25000

पूर्ण कुल्हा या घुटना ऑपरेशन        10000

बड़ा मसक्यूलरलर ऑपरेशन        10000

बोन मैरो ट्रांसप्लाटेशन        10000

स्पाइनल ऑपरेशन                7500

कामगारों-शिल्पकारों के दो बच्चों को छात्रवृत्ति
कक्षा 9वीं से 12वीं, सरकारी पॉलीटेक्निक तथा सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में लंबी अवधि के व्यवसायिक पढ़ाई करने के लिए माह 100 रुपये की दर से एकमुश्त 1200 रुपये वार्षिक छात्रवृत्ति.

सांप काटना भी दुर्घटना है
रेल या सड़क दुर्घटना, बिजली का करंट, सांप का काटना, पानी में डूबना, आग में जलना, पेड़ या मकान से गिरना, जंगली जानवरों का हमला, आतंकवाद तथा आपराधिक हमला आदि दुर्घटना है.

180 दिन के अंदर हुई मौत दुर्घटना मृत्यु
किसी दुर्घटना में अगर किसी की मौत होती है, तो वह दुर्घटना मृत्यु है. अगर दुर्घटना में कोई घायल होता है और उस चोट के कारण घटना से 180 दिनों के अंदर मौत हो जाती है, तो वह भी दुर्घटना मृत्यु के दायरे में आयेगा.


http://www.prabhatkhabar.com/news/58431-story.html


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