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न्यूज क्लिपिंग्स् | भारत में भूजल का घटता भंडार

भारत में भूजल का घटता भंडार

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published Published on Aug 20, 2009   modified Modified on Aug 20, 2009

अमेरिकी संस्था नासा ने चिंताजनक शोध जारी किया है. शोध यह है कि पिछले एक दशक के दौरान समूचे उत्तर भारत में हर साल औसतन भूजल स्तर एक फुट नीचे गिरा है. इस शोध का चिंताजनक पहलू यह तो है कि भूजल स्तर गिरा है लेकिन उससे अधिक चिंताजनक पहलू यह है कि इसके लिए सामान्य मानवीय गतिविधियों को जिम्मेदार बताया जा रहा है.

13 अगस्त 2009 को प्रकाशित “नेचर” पत्रिका के Vol.460 की एक रिपोर्ट के मुताबिक उपग्रह आधारित चित्रों से पता चला है कि भारत के जल स्रोत और भण्डार तेजी से सिकुड़ रहे हैं और जल्दी ही किसानों को परम्परागत सिंचाई के तरीके छोड़कर पानी की खपत कम रखने वाले आधुनिक तरीके और फ़सलें अपनानी होंगी। भारत में अस्थाई उपलब्धता भविष्य में खेती पर गम्भीर असर डालने वाली है और एक भीषण जल संकट की आहट सुनाई देने लगी है, परम्परागत फ़सलों और खेती के तरीके पर भी काली छाया मंडराने लगी है।

नासा के वैज्ञानिक मैथ्यू रोडेल ने अपने सहयोगियों के साथ Gravity Recovery and Climate Experiment (GRACE) उपग्रह, जो कि नासा और जर्मनी की संस्था DLR द्वारा संचालित किया जाता है, भारत के विभिन्न क्षेत्रों की उपग्रह तस्वीरें खींची और उसमें स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है कि राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और देश की राजधानी दिल्ली में भूजल स्तर में भारी कमी आई है। अक्टूबर 2002 से अक्टूबर 2009 के बीच मात्र सात वर्षों में 109 क्यूबिक किलोमीटर पानी की कमी आई है, अर्थात 109 बिलियन टन पानी ज़मीन के नीचे से निकला जा चुका है और उसका स्तर नीचे खिसकता जा रहा है। आसानी से समझने के लिये कहें तो, पानी की यह मात्रा भारत के सबसे बड़े जलाशय “अपर वैनगंगा” के पानी से दोगुनी और अमेरिका के सबसे बड़े जलाशय नेवादा स्थित लेक मीड के कुल पानी से तीन गुना है। GRACE और कोलोरेडो विश्वविद्यालय द्वारा संयुक्त रूप से संचालित किये गये एक अन्य शोध में बताया गया है कि उत्तरी भारत, पूर्वी पाकिस्तान और बांग्लादेश के कुछ हिस्सों में भूजल का स्तर 54 क्यूबिक किमी प्रतिवर्ष की दर से कम हो रहा है।

शोध रपट आगे कहती है कि इस पूरे इलाके में जिस तरह से पानी का दोहन किया जा रहा है उससे यहां रहनेवाले 11 करोड़ 40 लाख लोगों के जीवन पर संकट गहरा होता जाएगा. ज्ञात हो कि उत्तर भारत में यही वो इलाके हैं जहां औद्योगिक और कृषि क्रांतियों का जन्म हुआ था. पंजाब और हरियाणा तो इस बात के जीते जागते उदाहरण बन गये हैं कि पिछले दौर में हरित क्रांति के नाम पर उन्होने जिस तरह से प्राकृतिक संसाधनों का दोहन किया था उसका नतीजा अब उन्हें भुगतना पड़ रहा है. न केवल भूजल स्तर गिरा है बल्कि माटी और हवा भी बुरी तरह से प्रदूषित हुई है. दो दिन पहले ही भारत के पर्यावरण पर रिपोर्ट जारी करते हुए भारत सरकार ने स्वीकार किया है देश में 45 फीसदी जमीन बेकार और बंजर हो चुकी है.

पढें पूरा आलेख निम्नलिखित लिंक पर

http://hindi.indiawaterportal.org/content/%E0%A4%AD%E0%A4%
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