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न्यूज क्लिपिंग्स् | भूमि अधिग्रहण कानून में सुधार: वास्तविक तस्वीर-- अरुण जेटली

भूमि अधिग्रहण कानून में सुधार: वास्तविक तस्वीर-- अरुण जेटली

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published Published on Jul 17, 2015   modified Modified on Jul 17, 2015
सरकार ने 31 दिसंबर 2014 को भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनरुद्धार संशोधन कानून, 2013 में उचित मुआवजे के अधिकार और पारदर्शिता के कुछ प्रावधानों में संशोधन के लिए अध्यादेश जारी किया। आखिरकार इस कानून में संशोधन की क्या जरूरत पड़ी और इन संशोधनों के क्या मायने हैं?
इस बात का बार-बार उल्लेख होता रहा है कि भूमि अधिग्रहण कानून, 1894 पुराना पड़ चुका है और इसमें संशोधन की जरूरत है। 1894 कानून में मुआवजे का प्रावधान अपर्याप्त था। इसलिए जरूरी था कि पुनर्वास और पुनरुद्धार के साथ ज्यादा मुआवजे का प्रावधान हो। 2013 कानून में ऐसा किया गया है। मैं सही मायने में 2013 कानून का समर्थन करता हूं। लेकिन संसद के तेरह कानून, जो भूमि अधिग्रहण के लिए बने, को कानून के चौथे अनुच्छेद में जोड़ा गया। 2013 कानून के अनुच्छेद 105 में यह व्यवस्था की गई है कि कानून के प्रावधान इन छूट वाले कानूनों पर लागू नहीं थे। इस अनुच्छेद में प्रावधान है कि सरकार अधिसूचना जारी कर सकती है और निर्देश दे सकती है कि मुआवजा या पुनर्वास और पुनरुद्धार से जुड़े कानून का कोई भी प्रावधान छूट वाले कानून पर लागू होगा।
'प्रस्तावित' अधिसूचना को 30 दिन के भीतर संसद के समक्ष रखा जायेगा और संसद को उसे स्वीकार, अस्वीकार या प्रस्तावित अधिसूचना को संशोधित करने का अधिकार होगा।
अध्यादेश लाने की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि इस बारे में एक अधिसूचना को जुलाई-अगस्त, 2014 में बजट सत्र में संसद के समक्ष लाया जाना था और उसके अनुरूप इसे स्वीकार अथवा अस्वीकार किया जाता। इस अधिसूचना के लिए 31 दिसंबर 2014 आखिरी दिन था इसलिए सरकार ने छूट वाले 13 कानूनों के 2013 कानून के मुआवजा पुनर्वास और पुनरुद्धार के सभी प्रावधानों को लागू करने और अनुच्छेद 105 में संशोधन करने का निर्णय लिया। वर्तमान अध्यादेश के इस प्रावधान में व्यवस्था है कि अगर छूट वाले किसी भी कानून के तहत भी भूमि अधिग्रहित की जाती है तो किसान को ज्यादा मुआवजा मिलेगा। यह 2013 कानून के मुकाबले एक कदम आगे होगा। इसमें साल के अंत में अध्यादेश लाने की जरूरत का उल्लेख है क्योंकि ऐसा नहीं होने पर सरकार के लिये 2013 कानून में स्वीकृति के प्रावधानों के जटिल होने का खतरा बना रहता।
2013 कानून में अनेक मामलों में अलग-अलग प्रतिशत के हिसाब से भूमि मालिकों की सहमति के लिए प्रावधान था। ऐसे में जब भूमि मालिक अपनी भूमि के अधिग्रहण की सहमति देते तभी सरकार अधिग्रहण की प्रक्रिया आरंभ कर सकती थी। इसके साथ ही कानून के सामाजिक प्रभाव का विस्तृत अध्ययन कराने का प्रावधान है। इसमे खाद्य सुरक्षा के बारे में भी विशेष प्रावधान है।
ऐतिहासिक दृष्टि से भूमि हासिल करने का अधिकार एक सार्वभौमिक अधिकार है। सरकार को किसी भी तरह के विकास के लिए भूमि की जरूरत होती है। भूमि की मकान बनाने ,शहर बसाने, शहरीकरण एवं औद्योगिकीकरण करने शहर और गांव दोनों जगह पर बुनियादी ढांचा खड़ा करने ,सिंचाई आक्रमण जैसी स्थिति में भारत की सेनाओं के लिये जरूरत होती है। इस जरूरत की सूची का अंत नहीं होगा। व्यापक जनहित निजी हितों से सदैव ऊपर होते हैं। लेकिन जिसकी भूमि ली जाती है उसे पर्याप्त से ज्यादा मुआवजा मिलना चाहिए। भूमि अधिग्रहण की अत्यधिक जटिल प्रक्रिया देश के विकास में बाधक हो सकती है। जब 1894 के कानून में 21वीं सदी में संशोधन किया गया, इसमें 21वीं सदी के हिसाब से मुआवजा देने और 21वीं सदी के विकास की जरूरतों को ध्यान में रखकर संशोधन किया जाना चाहिए था। समाज के विकास की जरूरतों और जनादेश की उपेक्षा करके भारत का विकास नहीं हो सकता।
वर्तमान संशोधन पांच अपवादों को सत्यापित करता है जिन पर यह अधिग्रहण की यह जटिल प्रक्रिया लागू नहीं होगी। हालांकि मुआवजे का प्रावधान अछूता रहेगा। तकरीबन जितनी भी छूट दी गई है उससे ग्रामीण भारत को फायदा होगा। इससे उनकी भूमि की कीमत बढ़ेगी , रोजगार सृजन होगा और ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर ढांचा और सामाजिक ढांचा तैयार होगा। ज्यादा मुआवजा देने के साथ सभी तेरह कानूनों में पुनर्वास और पुनरुद्धार के सभी प्रावधानों को जोड़ा गया है।
इस प्रकार जो संशोधन किए गए हैं उसमें भमि मालिकों को ज्यादा मुआवजा देने के साथ भारत विशेष तौर पर ग्रामीण भारत की विकास जरूरतों को ध्यान में रखा गया है।
इस 2013 कानून में प्रारूप की 50 से अधिक गलतियां थीं। इनको सुधारने के लिए प्रावधान का इस्तेमाल किया जायेगा। कुछ को इस अध्यादेश के जरिये 2013 कानून में प्रदत्त प्रावधान को बदल दिया जायेगा जिनमें अधिग्रहण के पांच साल बाद भी इस्तेमाल नहीं होने पर भूमि को वापस करना होता था। 2013 कानून के प्रारूप में ऐसी व्यवस्था थी जिसके तहत कोई भी निजी शैक्षिक संस्थान या अस्पताल अधिग्रहित भूमि का इस्तेमाल नहीं कर सकते थे। आखिर स्मार्ट शहर और नगर बस्ती कैसे बन पाएंगी? क्या वहां केवल सरकारी स्कूल-कालेज रहेंगे और स्वास्थ्य और शिक्षा की बाकी संस्थाएं बनाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। अध्यादेश में अधिग्रहित भूमि पर अस्पताल और शैक्षणिक संस्थाओं को बनाने की अनुमति दी जाएगी।
आधुनिक और विकसित भारत की जरूरत है कि संतुलित रवैया अपनाया जाए। विकास और भूमि मालिक के साथ न्याय साथ-साथ होना चाहिए। संशोधित अध्यादेश अधिकतर राजनीतिक पार्टियों के समर्थन और राज्य सरकारों से सलाह मशविरे के बाद लाया गया है। जो इसका विरोध कर रहे हैं वे अपनी पार्टी की राज्य सरकारों को इसका इस्तेमाल नहीं करने के लिए कह सकते हैं। इतिहास इस बात को साबित करेगा कि कैसे संघवाद की स्पर्धा के युग में ये राज्य किस तरह पिछड़ गए।
छूट वाले प्रमुख पांच उद्देश्य ये हैं
भारतकी रक्षा और सुरक्षा को छूट वाला प्रयोजन बनाया गया है। 2013 के कानून में इसकी पूरी तरह से उपेक्षा की गई थी।
विद्युतीकरण सहित ग्रामीण बुनियादी ढांचा एक छूट प्राप्त उद्देश्य है। सड़कें, राजमार्ग, फ्लाईओवर, विद्युतीकरण और सिंचाई ये सभी कुछ किसानों की जमीनों की उपयोगिता बढ़ा देंगी। यह छूट पूरी तरह से ग्रामीण भारत के हित में है।
गरीबोंके लिए सस्ते आवास एक छूट प्राप्त उद्देश्य है। गांवों से शहरों और उप शहरी क्षेत्रों में पलायन जहां रोजगार के अवसर उपलब्ध हैं, एक वास्तविकता है। इस छूट से ग्रामीण इलाकों से पलायन करने वाले लोगों को लाभ मिलेगा।
औद्योगिक गलियारे जो विभिन्न राजमार्गों के साथ-साथ कम दूरी पर बन रहे हैं वह उन ग्रामीण इलाकों के समग्र विकास को बढ़ावा देंगे। दिल्ली-मुम्बई औद्योगिक गलियारे से हजारों गांवों को फायदा मिलेगा। कृषि योग्य भूमि के नजदीक औद्योगिक गलियारा बनने से ग्रामीण इलाकों को जो अवसर मिलेंगे वह कहीं और नहीं मिल सकते। इससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे और जमीन की कीमत और बढ़ जाएगी।
सार्वजनिक निजी भागीदारी सहित बुनियादी ढांचा और सामाजिक बुनियादी ढांचा परियोजनाएं, जहां भूमि का स्वामित्व सरकार के पास है। इससे पूरे देश को, खासतौर से ग्रामीण इलाकों की जनता को लाभ मिलेगा जहां बुनियादी ढांचा और सामाजिक बुनियादी ढांचा अपर्याप्त है।

http://money.bhaskar.com/news/PERS-PFPR-reform-in-land-acquisition-act-real-picture-4862700-NOR.html


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