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न्यूज क्लिपिंग्स् | मजदूरों के हाथ-पांव में कीलें ठोंकी

मजदूरों के हाथ-पांव में कीलें ठोंकी

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published Published on May 25, 2011   modified Modified on May 25, 2011

रोजी-रोटी की तलाश में झारखंड से चेन्नई गये छह मजदूरों को नक्सली कह कर पीटा गया, उनके पैरों में कीलें ठोंकी गयी. हर साल लगभग पचास हजार मजदूर काम की तलाश में बाहर जाते हैं. अन्य राज्यों में यहां से काम और पढ़ाई के लिए गये मजदूरों व छात्रों को कठिनाइयों को सामना करना पड़ता है. रांची के दो छात्रों की मुंबई में हुई हत्या भी साबित करती है कि झारखंड से गये लोग बाहर सुरक्षित नहीं हैं.

जमशेदपुर : झारखंड के छह मजदूरों को चेन्नई में नक्सली बता कर बेरहमी से पीटा गया. उनके हाथ-पांव में कीलें ठोंकी गयी. उन्हें 15 दिनों तक भूखा रखा गया. वापस अपने घर जाने की बात कहने पर सभी को करंट लगा कर टॉर्चर किया गया. ये मजदूर किसी तरह जान बचा कर वहां से भागे हैं. इनकी हालत खराब है. ठीक से चल तक नहीं पा रहे हैं. मुश्किल से बातचीत कर पा रहे हैं. बताते हैं किसी तरह पांव घसीट कर गांव पहुंचे हैं. इनमें से एक को जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल में भरती कराया गया है.

लेकर गये थे ठेकेदार :

जमशेदपुर : डुमरिया के भुदरुकोचा गांव के घासीराम हांसदा, पलासबनी पंचायत के वकील किस्कू, टेम्पो, सोरा सहित कुल छह मजदूरों को काम दिलाने के नाम पर ठेकेदार अप्रैल के अंतिम सप्ताह में चेन्नई ले गये थे. ट्रेन से उतरने के बाद उन्हें काम करने के लिए एक गांव में ले जाया गया. पर वहां स्थानीय लोगों ने उनकी पिटाई शु कर दी. उन पर नक्सली होने का आरोप लगाया. कहा गया कि वे काम करने नहीं, बल्कि इलाके की रेकी (घटना को अंजाम देने के लिए इलाके का निरीक्षण) करने आये हैं.

इनकी योजना नक्सली वारदात को अंजाम देने की है.किसी तरह भागेएमजीएम में भरती घासीराम हांसदा बताते हैं स्थानीय लोगों ने हमें पहले दौड़ा-दौड़ा का पीटा. इसके बाद पकड़ कर हाथ-पांव में कीलें ठोंक दी. इसी स्थिति में एक कमरे में बंद कर दिया. बाद में कीलें निकाली गयीं. इसके बाद कमरे में 15 दिनों तक भूखा रखा गया. रात में किसी तरह भाग कर चेन्नई स्टेशन पहुंचे. टाटानगर की ट्रेन का पता किया और उसमें सवार हो गये.परिजनों ने दर्ज कराया था सनहाइधर, काम पर जाने के बाद से संपर्क नहीं होने पर परिजन परेशान रहे.

घासीराम और वकील किस्कू के परिजनों ने दोनों के लापता होने का सनहा भी दर्ज करवा दिया था. इसमें कहा था कि सभी को मजदूरी के लिए ले जाया गया, तभी से लापता हैं. घासीराम के पिता बताते हैं हमलोगों ने खोजने का काफी प्रयास किया. अब इनके लौटने पर राहत मिली है.सीएम को लिखा पत्रझामुमो की केंद्रीय पदाधिकारी रमेश हांसदा, सागेन पूर्ति, रामो हेंब्रम, बालहो मार्डी, आंता टुडू ने मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा को पत्र लिखा है. कहा है कि मजदूरों को तत्काल न्याय दिलाया जाये. वहां की पुलिस ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की, इसकी जांच की जानी चाहिए.

घटना की मुङो अभी तक जानकारी नहीं मिली है. यदि ऐसा हुआ है, तो गंभीर बात है. तमिलनाडु सरकार से बात करेंगे. मामले में जो भी उचित कार्रवाई होगी, झारखंड सरकार अपने स्तर से करेगी.अर्जुन मुंडा, मुख्यमंत्री

पेट में अनाज रहता, तो क्यों जाता चेन्नई : घासीराम

मजदूर घासीराम हांसदा एमजीएम अस्पताल में भरती हैं. बताते हैं उन दिनों को याद कर सिहर उठता हूं. अगर पेट में अनाज होता, तो क्यों चेन्नई जाता. घटना के बाद घासीराम काफी सहमे हैं. झारखंड के मजदूरों से बाहर नहीं जाने की अपील करते हैं. सरकार से राज्य में ही बेहतर इंतजाम का अनुरोध भी किया. घासीराम हांसदा की पत्नी दुलारी हांसदा कहती है भले भूखे मर जायेंगे, लेकिन कमाने के लिए बाहर जाने नहीं देंगे.

15 दिनों तक दी गयी प्रताड़ना

-दौड़ा-दौड़ा कर पीटा
-हाथ-पांव में कीलें ठोंकी गयी
-फ़िर कमरे में बंद कर दिया गया
-15 दिनों तक भूखा रखा गया
-करंट लगा कर टार्चर किया गया
-जान बचा कर भागे
-रात में किसी तरह कमरे से बाहर आये सभी मजदूर
-स्टेशन पहुंच कर ट्रेन पकड़ी
-यहां चल रहा है इलाज
-सभी मजदूरों की हालत खराब
-एक को एमजीएम में भरतीकराया गया
-पूर्वी सिंहभूम के है मजदूर
-डुमरिया प्रखंड के भुदरुकोचा गांव के घासीराम हांसदा, पलासबनी पंचायत के वकील किस्कू, टेम्पो, सोरा और दो अन्य


http://www.prabhatkhabar.com/node/7281


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