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न्यूज क्लिपिंग्स् | मनरेगा में भी नकली नोटों की घुसपैठ

मनरेगा में भी नकली नोटों की घुसपैठ

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published Published on May 28, 2010   modified Modified on May 28, 2010

नई दिल्ली [नीलू रंजन]। संप्रग सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना [मनरेगा] के तहत काम करने वाले भोले-भाले मजदूरों को शायद अंदेशा भी नहीं होगा, लेकिन यह सच है। उन्हें उनके खून-पसीने की कमाई के तौर पर जो रकम दी जा रही है, उसमें नकली भारतीय नोट भी हो सकते हैं। उत्तरप्रदेश के बहराइच जिले में स्थित इलाहाबाद बैंक की एक शाखा के कैशियर की गिरफ्तारी के बाद पता चला है कि मनरेगा में नकली भारतीय नोटों के सौदागरों ने घुसपैठ कर ली है। यह जानकारी मिलने के बाद सुरक्षा एजेंसियां सकते में हैं।

राजस्व अभिसूचना महानिदेशालय [डीआरआई] ने पिछले महीने रामपाल तिवारी नाम के एक कैशियर को गिरफ्तार किया था। तिवारी ने पूछताछ में कुबूल किया है कि जब मनरेगा के तहत काम करने वाले मजदूर बैंक से अपना पैसा निकालने आते थे तो वह उन्हें असली के साथ-साथ नकली नोट भी पकड़ा देता था। बताते चलें कि मनरेगा के तहत गरीबी की रेखा के नीचे रहने वाले मजदूरों को सौ दिन का काम दिया जाता है। मजदूरों के हितों की रक्षा और उन्हें बिचौलियों से बचाने के लिए बैंकों में उनका खाता खोलकर मजदूरी का पैसा सीधे उसमें डाल दिया जाता है।

सूत्रों के अनुसार, तिवारी के पास पाकिस्तान में छापे गए नकली भारतीय नोट बरामद हुए हैं। उसे इन नोटों की सप्लाई नेपालगंज में रहने वाला रहमत नाम का कोई व्यक्ति करता था। रहमत पहले नकली नोटों की सप्लाई के लिए बदनाम माजिद मनिहार के लिए काम करता था। पिछले साल अक्टूबर में आईएसआई एजेंटों की आपसी रंजिश में माजिद मनिहार मारा गया। इसके बाद रहमत नकली नोटों के उसके कारोबार को संभाल रहा है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों की पिछले कई महीने से तिवारी पर नजर थी। एजेंसियां उसकी गिरफ्तारी के पहले यह पता लगाना चाहती थीं कि रहमत के नेतृत्व में काम कर रहे इस गिरोह में तिवारी जैसे और कौन-कौन से लोग शामिल हैं। इसी बीच तिवारी की करतूत की डीआरआई को सूचना मिल गई और उसने आनन-फानन में उसे गिरफ्तार कर लिया। जाहिर है, तिवारी की गिरफ्तारी के साथ ही पूरा गिरोह सचेत हो गया।

सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि मनरेगा जैसी योजना के माध्यम से नकली नोटों को आम चलन में पहुंचाने का यह पहला मामला है। इसमें बैंक के कैशियर के शामिल हो जाने के बाद किसी को भी बैंक से मिलने वाले नोटों पर नकली होने का संदेह नहीं हो सकता था। इसके पहले उत्तर प्रदेश के ही डुमरियागंज के बैंक मैनेजर को बड़े पैमाने पर बैकिंग सिस्टम में नकली नोट खपाने केआरोप में गिरफ्तार किया जा चुका है।


http://in.jagran.yahoo.com/news/national/crime/5_18_6440336.html


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