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न्यूज क्लिपिंग्स् | महंगाई के जले पर नमक; अब नमक भी होगा महंगा

महंगाई के जले पर नमक; अब नमक भी होगा महंगा

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published Published on Mar 2, 2010   modified Modified on Mar 2, 2010
दाल, चीनी, तेल, सब्जियों के बाद अब नमक भी महंगा होने वाला है। गुजरात में नमक के मैदानों के लीज का किराया 100 फीसदी तक बढ़ने की वजह से इसकी कीमतों का बढ़ना तय है। हालांकि, कंपनियां इसका बोझ ग्राहकों पर डालेंगी या नहीं, इसका फैसला शनिवार को अहमदाबाद में होने वाली नमक मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों की बैठक में होगा।

इंडियन सॉल्ट मैन्युफैक्चररर्स एसोसिएशन (आईएसएमए) के अधिकारियों का कहना है कि गुजरात सरकार ने नमक उत्पादकों को किराए पर मिलने वाले सॉल्ट पैन (समुद्र के किनारे नमक वाले मैदान) पर लगने वाले लेवी को दोगुना कर दिया है और इसी वजह से यह स्थिति पैदा हुई है। लीज किराए में बढ़ोतरी से राज्य के छोटे एवं मध्यम नमक उत्पादकों पर भारी मार पड़ी है।

साल 1989 में गुजरात सरकार प्रति हेक्टेयर सॉल्ट पैन का किराया 12 रुपये लेती थी, जिसे 1996 में बढ़ाकर तीन गुना और साल 2001 में बढ़ाकर 150 रुपये कर दिया गया। इसके बाद नमक उत्पादकों के संगठन की मांग के बाद राज्य सरकार इसमें कोई बढ़ोतरी न करने पर सहमत हुई थी। लेकिन पिछले हफ्ते राज्य सरकार ने लेवी को 150 रुपये से बढ़ाकर 300 रुपये तक करने का फैसला लिया है। आईएसएमए के मानद सचिव भारत रावल ने बताया कि सॉल्ट पैन के लीज का किराया देने के अलावा नमक उत्पादकों को जरूरत की अन्य भूमि का किराया, जिला पंचायत कर, एजूकेशन सेस, पंचायत उपकर, रॉयल्टी, सेस और घाट शुल्क भी देना पड़ता है। नमक उत्पादकों के लिए बिजली की लागत भी बढ़ गई है।

साल 2000 में बिजली की एक यूनिट के लिए 3.75 रुपये देने पड़ते थे। इस साल टैरिफ बढ़ने से उत्पादकों को 6.75 से 7.50 रुपये प्रति यूनिट खर्च करने पड़ रहे हैं। इसके अलावा मजदूरी पर भी खर्च बढ़ा है। हाल के समय में मजदूरी 76 रुपये प्रति व्यक्ति से बढ़कर 155 रुपये तक पहुंच गई है। यदि इनमें अन्य स्थायी लाभ जैसे प्रॉविडेंट फंड, ग्रेच्युटी, बोनस और राज्य कर्मचारी बीमा की राशि को भी जोड़ लिया जाए तो प्रति मजदूर करीब 200 रुपये प्रति दिन की लागत आती है। यही नहीं, राज्य सरकार ने कहा है कि हर साल अब सॉल्ट पैन के किराए में 10 फीसदी की बढ़त जरूर की जाएगी। इस तरह से तो राज्य के नमक उत्पादकों की कमर ही टूट जाएगी। नमक उत्पादन की लागत बढ़ती जा रही है, लेकिन इसकी बिक्री कीमत में कोई बदलाव नहीं आ रहा है। साल 2000 से ही नमक की कीमत 250 रुपये प्रति टन बनी हुई है। इसलिए अब नमक उत्पादक कीमतें बढ़ाने के बारे में गंभीरता से सोच रहे हैं।
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http://hindi.economictimes.indiatimes.com/articleshow/5591043.cms?prtpage=1
 

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