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न्यूज क्लिपिंग्स् | महानदी जल विवाद: राज्यों में असली लड़ाई उद्योगों को पानी देने की

महानदी जल विवाद: राज्यों में असली लड़ाई उद्योगों को पानी देने की

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published Published on Sep 6, 2016   modified Modified on Sep 6, 2016
रायपुर। ब्यूरो। महानदी जल विवाद की मुख्य वजह पावर प्लांट के लिए पानी जुटाने की है। छत्तीसगढ़ सरकार ने महानदी पर सात बैरेज मुख्य रूप से पावर प्लांट को पानी पहुंचाने के लिए करवाया है तो ओड़िशा सरकार भी पीछे नहीं हैं। वर्तमान में आधा दर्जन से अधिक सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के पावर प्लांट को पानी दिया जा रहा है। वहीं ओड़िशा बार्डर में बन रहे कलमा बैराज से भी कुछ प्रोजेक्ट के लिए पानी मांगा गया है।

छत्तीसगढ़ में जा रहा पावर प्लांट्स को पानी

छत्तीसगढ़ सरकार ने महानदी पर बन रहे सात बैराज की योजना ही पावर प्लांट्स से पैसे लेकर बनाई है। बैराज में इकठ्ठा हो रहे पानी का 70 फीसदी उद्योगों को देना तय है। बाकी बचने पर 30 फीसदी पानी किसानों को दिया जाना प्रस्तावित है। लेकिन पिछले दो सालों से कम बारिश होने के कारण इन बैराजों का पूरा पानी उद्योगों ने दोहन किया है। कलमा बैराज रायगढ़ से आधा दर्जन से अधिक पावर प्लांट्स को पानी दिया जाना है।

शिवरीनारायण और साराडीह बैराज से चांपा-जांजगीर क्षेत्र में लगाए गए पावर प्लांट्स को पानी दिया जा रहा है। जैजैपुर में बन रहे मिरौनी बैराज का उपयोग भी उद्योगों को पानी देने के लिए होना है। जांजगीर-चाम्पा जिले के बम्हनीडीह में बंसतपुर के नजदीक महानदी पर बैराज निर्माण के लिए राज्य सरकार ने 209 करोड़ रुपए अग्रिम जल-कर के रूप में ले लिया गया है। इसका निर्माण पूरा होगा तो पहली प्राथमिकता उद्योग को पानी देना ही है। रायपुर के समोदा बैराज के पानी का उपयोग जीएमआर उद्योग कर रहा है। यहां से एक बूंद पानी किसानों को सिंचाई के लिए नहीं दिया जा रहा।

ओडिशा में पानी की कमी से खस्ताहाल

ओड़िशा में एनटीपीसी सहित दर्जन भर बड़े पावर प्रोजेक्ट्स के लिए पानी की जबदस्त किल्लत है। ये सभी उद्योग महानदी के किनारे बसे हुए हैं। अधिकांश उद्योग हीराकुंड बांध से पानी ले रहे हैं। बाकी उद्योगों के लिए महानदी पर बैराज बनाने की योजना वहां का जल संसाधन विभाग तैयार कर रहा है। विभाग के अफसरों के मुताबिक बरलीपाली स्थित एनटीपीसी को हीराकुंड बांध से पानी का बड़ा हिस्सा खींच रहा है। इनभारत पावर प्रोजेक्ट के लिए रायगढ़ के कलमा बैराज से पानी मांगा जा रहा है। ओड़िशा पावर जनरेशन कार्पोरेशन महानदी से पाइप लाइन बिछाकर पानी खींच रहा है। झारसुगुड़ा स्थित वेदांता पावर एंड स्टील और भूषण पावर एंड स्टील के लिए महानदी में बैराज बनाए जाने की तैयारी है।

महानदी कोलफील्ड लिमिटेड संबलपुर में पूरी तरह पानी के लिए महानदी पर निर्भर है लेकिन यहां स्टोरेज के लिए व्यवस्था नहीं की गई है। इसी तरह झारसुगुड़ा में ही हिंडाल्को और संबलपुर जिले के लपंगा में आदित्य बिड़ला का पावर प्रोजेक्ट आ रहा है जिसके लिए महानदी से पानी लेने की योजना है।

महानदी में जल का विवाद छत्तीसगढ़ और ओड़िशा दोनों के लिए पावर प्लांटों के लिए पानी के इंतजाम को लेकर है। ओड़िशा अनावश्यक रूप से इस विवाद का राजनैतिक लाभ ले रहा है वहीं छत्तीसगढ शासन उनके द्वारा पैदा किए विवाद का जोरदार ढंग से विरोध ना करके उनके राजनैतिक प्रयासों का समर्थन कर रही है। वास्तविकता तो यह है कि, उड़ीसा और छत्तीसगढ़ दोनो ही सरकार महानदी के पानी के समुचित दोहन नही कर सकी है, परिणाम स्वरूप 80 प्रतिशत से अधिक पानी व्यर्थ ही बहकर समुद्र में मिल रहा है। अपनी असफलता को छुपाने के लिए प्रदेश की जनता को गुमराह करने की इस नये विवाद को सामने लाया गया है। -धनेंद्र साहू, विधायक, अभनपुर

 


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