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न्यूज क्लिपिंग्स् | महीने में 35 किलो गेहूं-चावल के भी लाले

महीने में 35 किलो गेहूं-चावल के भी लाले

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published Published on Mar 17, 2010   modified Modified on Mar 17, 2010

देहरादून। प्रदेश के एपीएल उपभोक्ताओं को सार्वजनिक वितरण प्रणाली से प्रतिमाह 35 किलो खाद्यान्न भी उपलब्ध नहीं हो रहा है। केंद्र से गेहूं व चावल का पर्याप्त कोटा नहीं मिलने से पिछले दो वर्ष से उत्तराखंड खाद्यान्न संकट का सामना कर रहा है। खाद्य मंत्रालय ने इस मामले में लगातार केंद्र से पत्राचार किया, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा।

राज्य में सार्वजनिक वितरण प्रणाली निरंतर कमजोर हो रही है। सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों से राशन कार्डधारकों को मानक के अनुसार गेहूं व चावल भी उपलब्ध नहीं हो रहा है। पिछले दो साल से राज्य के खाद्यान्न कोटे का मसला है कि सुलझने का नाम ही नहीं ले रहा। खाद्य मंत्रालय कई बार केंद्र को अपनी खाद्यान्न जरूरतों से अवगत करा चुका है पर केंद्र सरकार कुछ सुनने को ही तैयार नहीं है। इसके चलते एपीएल कार्डधारकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बीपीएल व अन्त्योदय में राज्य को केंद्र से आवश्यक कोटा उपलब्ध हो रहा है, लेकिन बीपीएल में ऐसा नहीं है। हालात यह है कि केंद्र सरकार ने चावल का कोटा तो बढ़ाने से ही इनकार कर दिया है और राज्य को गेहूं के अतिरिक्त कोटे से काम चलाने का सुझाव दिया गया है। ऐसे में 11 पर्वतीय जनपदों के एपीएल उपभोक्ताओं की फजीहत बढ़ी है।

राज्य के कुल 2273494 कार्ड धारकों में 1775494 कार्ड एपीएल के हैं, जबकि बीपीएल के 346760 तथा अन्त्योदय के 151240 कार्डधारक हैं। एपीएल में एक कार्ड पर प्रतिमाह 20 किलो गेहूं व 15 किलो चावल दिए जाने का प्रावधान है। ऐसे में कुल राशन कार्डो के सापेक्ष राज्य को 41135 एमटी गेहूं व 38438 एमटी चावल की आवश्कता है, लेकिन इसकी एवज में केंद्र से केवल 20390 एमटी गेहूं व 14130 एमटी चावल का आवंटन किया जा रहा है। एपीएल योजना में राज्य को 20744 एमटी गेहूं तथा 24307 एमटी चावल कम आवंटित किया जा रहा है। राज्य के 11 पर्वतीय जनपदों में 23892 एमटी गेहूं तथा 17919 एमटी चावल की जरूरत है। केंद्र से इसके सापेक्ष आधा कोटा भी नहीं मिल रहा है।

खाद्यान्न कोटा कम आवंटित होने से पर्वतीय जिलों में पीडीएस के तहत उपलब्ध कराए जाने वाला खाद्यान्न उपभोक्ताओं को नहीं मिल रहा है। खाद्यान्न के मामले में राज्य की केंद्र पर निर्भरता बनी है और केंद्र है कि राज्य की जरूरत पूरी करने में आनाकानी कर रहा है।


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6261615_1.html
 

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