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न्यूज क्लिपिंग्स् | मिर्जापुर में सड़क पर उतरे किसान

मिर्जापुर में सड़क पर उतरे किसान

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published Published on Oct 22, 2009   modified Modified on Oct 22, 2009

मिर्जापुर। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) ने चुनार में किसान मजदूरो पर गैंग्स्टर एक्ट लगाने के विरोध में प्रदर्शन किया। पार्टी ने इसके साथ ही 26 को सोनभद्र, चंदौली और मिर्जापुर में प्रदर्शन का भी एलान किया है। पर्त्यी का आरोप है कि चुनार (मिर्जापुर) में सीमेंट फैक्टरी के लिए अपनी जमीन देने वाले किसानो ने जब अपने हक की मांग उठाई, तो मायावती सरकार ने उन पर गैंगस्टर एक्ट लगा दिया। 23 ग्रामीण गैंग्स्टर एक्ट में मिर्जापुर की जेल में बन्द हैं। इनमे 16 वर्ष का एक छात्र कमला प्रसाद भी है। भाकपा (माले) के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने इसे मायावती सरकार की दमनात्मक कार्रवाई बताते हुए कहा कि भाकपा (माले) इसके विरोध में आन्दोलन करेगी।


माले राज्य सचिव ने बताया कि इसके पूर्व बीते छह अक्तूबर को आस-पास के गांवों से बड़ी संख्या में किसान अपना हक मांगने के लिए जब चुनार तहसील मुख्यालय आ रहे थे, तो रास्ते में घेर कर पुलिस ने उन पर लाठियां बरसायीं। ग्रामीणें का कहना है कि प्रदेश सरकार ने उनके साथ दगाबाजी की है। उत्तर प्रदेश सीमेंट निगम की चुनार फैक्टरी के निर्माण के लिए राज्य सरकार ने किसानों से जब जमीन ली थी, तो समझौते में क्षतिपूर्ति के रूप में सीमेंट फैक्टरी में नौकरी देने का वादा किया था।


फैक्टरी बनने के बाद जमीन देने वाले किसानों को नौकरी तो दी गयी, लेकिन सन् 2006 में तत्कालीन मुलायम सरकार ने चुनार सीमेंट फैक्टरी निजी क्षेत्र (जेपी ग्रुप) को सौंप दी। इस सौदे में ‘एक खरीदो-एक मुफ्त पाओ’ की तर्ज पर मात्र 459 करोड़ रुपये में पूरे उत्तर प्रदेश सीमेंट निगम को बेच दिया गया और इसके साथ-साथ उत्तर प्रदेश राज्य खनिज निगम के खनन अधिकार भी मुफ्त में खरीदार को सौंप दिये गये थे, जबकि ये दोनों निगम अलग-अलग संस्थायें थीं। इसमें 300 करोड़ रुपये से भी अधिक के घोटाले का आरोप मुलायम सरकार पर लगा था।


बहरहाल, उत्तर प्रदेश सरकार ने जेपी ग्रुप से चुनार सीमेंट फैक्टरी का सौदा करते वक्त उसमें उन ग्रामीणों का ध्यान नहीं रखा, जिनकी जमीनें सीमेंट फैक्टरी के लिए ली गयी थीं और नौकरी देने का वादा किया गया था। नये मालिक (जेपी ग्रुप) ने जब चुनार सीमेंट फैक्टरी पुनः चालू की, तो नये सिरे से भर्तियां की गयीं और जमीन दे चुके ग्रामीणों को नौकरी नहीं दी गयी। नौकरी की आस में जमीन दे चुके किसान अब कहीं के नहीं रहे। जमीन भी गयी और नौकरी भी।
इतना ही नहीं, चुनार में फैक्टरी के नाम पर मालिकानों ने आस-पास के रास्तों पर भी धीरे-धीरे कब्जा जमा लिया है और गावों को जाने वाले रास्ते घेर कर बन्द करा दिया है।


इससे ग्रामीणों को भारी असुविधा हो रही है। फैक्टरी चलाने के लिए भारी पैमाने पर जल दोहन किया जा रहा है, जिससे इलाके में जल स्तर काफी नीचे चला गया है। पर्यावरण को क्षति पहुंची है और फसल को भी नुकसान हुआ है। मालिकों ने सीमेंट फैक्टरी खरीदते वक्त आस-पास के पांच गांवों को गोद लेने और बिजली-पानी देने का वादा गांव वालों से किया था, लेकिन आज तक उसे पूरा नहीं किया।इसे लेकर इलाके के ग्रामीणों में जबर्दस्त रोष व्याप्त है। पार्टी ने राज्यपाल को पत्र लिखकर प्रकरण में हस्तक्षेप करने और प्रभावित हजारों ग्रामीणों को न्याय दिलाने की मांग की है।


http://www.bhaskar.com/2009/10/22/091022135442_janadesh_news_uttar_pradesh.html
 

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