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न्यूज क्लिपिंग्स् | मुंह फेरता मॉनसून खतरे की घंटी ।। कमलेश कुमार सिंह ।।

मुंह फेरता मॉनसून खतरे की घंटी ।। कमलेश कुमार सिंह ।।

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published Published on Jun 28, 2012   modified Modified on Jun 28, 2012
नयी दिल्ली : वैश्विक और घरेलू मोर्चो पर आर्थिक संकट की इस घड़ी में मॉनसून से राहत की उम्मीदें थीं, लेकिन मौसम विभाग की ताजा भविष्यवाणी इस उम्मीद पर भी पानी फेरती नजर आ रही है. मौसम विभाग, पुणे का कहना है कि देश को इस बार बीते 30 सालों के सबसे खराब मॉनसून का सामना करना पड़ सकता है.

जानकार इसे अर्थव्यवस्था के लिए खतरे की घंटी मान रहे हैं. कृषि विशेषज्ञ भास्कर गोस्वामी कहते हैं, कमजोर मॉनसून के चलते अगर कृषि क्षेत्र की विकास दर पर प्रभाव पड़ेगा, तो निश्चित तौर पर इसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा.

गोस्वामी की बातों से सहमत अर्थशास्त्री पीके चौबे कहते हैं, कमजोर मॉनसून का असर तात्कालिक से ज्यादा दीर्घकालिक होगा. किसानों की दुखती रग पर अगर इंद्रदेव ने भी हाथ डाल दिया, तो देश के सामने खाद्य सुरक्षा पर संकट छा सकता है.

ऐसी आशंका जताते हुए गोस्वामी कहते हैं, अर्थव्यवस्था में महंगाई का एक और दौर शुरू हो जायेगा. खरीफ फसल तो नष्ट हो ही जायेगी, नमी के कारण रबी पर भी प्रभाव पड़ेगा. इससे किसानों की आय घटेगी और महंगाई की मार और भयावह हो जायेगी. अर्थशास्त्री पीके चौबे एक दूसरी तसवीर पेश करते हैं. उनके अनुसार, जीडीपी में कृषि क्षेत्र का योगदान 15 फीसदी के करीब है.

इस लिहाज से कमजोर मॉनसून का खतरा जीडीपी की वृद्धि दर पर ज्यादा नहीं पड़ेगा. लेकिन जीडीपी से जुड़े कारकों पर इसका तात्कालिक असर दिखेगा, जो दीर्घकाल में जीडीपी को प्रभावित करेगा. कृषि पैदावार में कमी से रोजमर्रा की जिंदगी पर खासा असर पड़ेगा. कृषि उत्पादों पर आधारित उद्योगों की हालत भी खराब हो सकती है. मॉनसून के कमजोर रहने से ग्रामीण मांग घटेगी, जिससे अन्य उद्योगों पर भी असर होगा.

गोस्वामी सुझाते हैं कि मॉनूसन की विपरीत चाल की आशंकाओं के बीच सरकार को सजग रहना चाहिए. बाजार में खाद्यान्न आपूर्ति को बनाये रखने के लिए उचित कदम समय-समय पर उठाना चाहिए.

फिलहाल गेहूं और चावल का भंडार उचित मात्र में है. लेकिन दलहन और तिलहन दूसरे देशों से आयात करने पर इनकी कीमतों में वृद्घि होगी. सरकार को सूखे से निबटने के लिए अभी से कमर कस लेनी चाहिए.

* फिर शुरू हो गयी गरमी
झारखंड और बिहार के साथ पश्चिम बंगाल में पिछले हफ्ते मानसूंन की बारिश शुरू हुई, तो लोगों के चेहरे खिल उठे थे. लेकिन तीन-चार दिन बाद ही बादल साफ हो गये. अब फिर गरमी शुरू हो गयी है.

मंगलवार को तो असहनीय गरमी थी. अगर ऐसा ही रहा, तो फिर त्रहि-त्रहि मच जायेगी. हालांकि मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि जुलाई के पहले हफ्ते में फिर झमाझम बारिश शुरू हो सकती है.


http://www.prabhatkhabar.com/node/175479


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