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न्यूज क्लिपिंग्स् | मुख्यमंत्री के वादे के बाद भी जमीन के लिए तरस रहे किसान

मुख्यमंत्री के वादे के बाद भी जमीन के लिए तरस रहे किसान

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published Published on Sep 28, 2011   modified Modified on Sep 28, 2011

भोपाल। करीब एक साल पहले राजधानी में उजागर हुए 1600 एकड़ जमीन घोटाले में अब तक न तो दोषियों के खिलाफ एफआईआर हुई है और न ही रजिस्ट्री निरस्त करने की कोई कार्रवाई। मुख्यमंत्री की घोषणा के बावजूद 169 किसानों में से किसी को भी जमीन वापस नहीं मिल सकी है।

 

पिछले साल 13 अक्टूबर को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भूमि विकास बैंक द्वारा भोपाल जिले के किसानों की जमीन औने-पौने दाम में बेचे जाने के इस मामले में नौ अफसरों को निलंबित करने की घोषणा की थी। उन्होंने किसानों को उनकी जमीन वापस दिलाने और जरूरी कानूनी सहायता उपलब्ध कराने की भी बात कही थी।

 

जिला प्रशासन द्वारा हाल ही में सहकारिता विभाग के प्रमुख सचिव को भेजी रिपोर्ट बताती है कि जिन 18 किसानों की जमीन का नामांतरण खरीददारों के पक्ष में हो गया था उनमें से 10 में फिर किसान के पक्ष में नामांतरण करा दिया गया है। पांच प्रकरणों में नामांतरण की कार्रवाई भी जल्द पूरी हो जाएगी। दो मामले न्यायालय में स्टे के कारण अटके हैं।

 

यानी फौरी तौर पर ऐसा लगता है जैसे पूरा मामला निपट गया। लेकिन तस्वीर का दूसरा पहलू यह है कि जिन खरीददारों के नामांतरण निरस्त हो गए उनमें से ज्यादातर फिर कोर्ट में चले गए। इसके अलावा जिन डेढ़ सौ से अधिक मामलों में रजिस्ट्री हो गई थी, उसे निरस्त कराने की सहकारिता विभाग ने कार्रवाई भी शुरू नहीं की। दोषियों के खिलाफ एफआईआर अब तक नहीं कराई गई। अलबत्ता लोकायुक्त पुलिस अब तक इस घोटाले में तीन प्रकरण दर्ज कर चुकी है।

 

मामला एक नजर में

 

बैंक ने दीर्घकालिक ऋण के लिए किसानों की गिरवी रखी जमीन कलेक्टर रेट से भी कम दाम पर प्रभावशाली लोगों को नीलाम कर दी थी। नीलामी की इस कार्रवाई पर भोपाल जिला सहकारी बैंक अध्यक्ष विजय तिवारी ने शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत पर पिछले साल सितंबर में लोकायुक्त पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया। श्री चौहान को जानकारी मिलने पर उन्होंने सहकारिता विभाग व बैंक के नौ अफसरों को सस्पेंड करते हुए किसानों की समस्याओं के निराकरण के निर्देश दिए थे।

 

एक साल पुराने इस प्रकरण की मुझे जानकारी नहीं है। संबंधित अधिकारियों से रिपोर्ट बुलवा कर कार्रवाई की जाएगी।

 

-पीसी मीणा, रजिस्ट्रार (सहकारिता)

जमीन घोटाले का मामला

कुल जमीन 1600 एकड़ कीमत 5 से 10 लाख प्रति एकड़ कुल लोन 50 लाख शिकायत जून 2007 में हुई थी


http://www.bhaskar.com/article/MP-BPL-ground-had-not-yet-returned-to-farmers-2464701.html?C3-MP=


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