Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | मुस्लिम महिलाओं को मिली बड़ी जीत - क्षमा शर्मा

मुस्लिम महिलाओं को मिली बड़ी जीत - क्षमा शर्मा

Share this article Share this article
published Published on Aug 23, 2017   modified Modified on Aug 23, 2017
22 अगस्त, 2017 की तारीख खासकर मुस्लिम महिलाओं के लिए ऐतिहासिक कही जाएगी। सुप्रीम कोर्ट की जिस पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार देने वाला फैसला सुनाया, उसमें विभिन्न् धर्मों को मानने वाले न्यायाधीश थे। इस फैसले से मुस्लिम औरतों के मन से शादी के बाद हमेशा बना रहने वाला तलाक का डर खत्म हो जाएगा। धर्म की आड़ लेकर पुरुषों ने जिस तरह से उन्हें लगातार तलाक के डंडे से पीटा, सताया और बेसहारा छोड़ दिया, समझिए कि यह दु:स्वप्न अब खत्म हुआ।

 

तीन तलाक जैस कुप्रथा की शिकार औरतों की हालत पर कुछ साल पूर्व राष्ट्रीय महिला आयोग के लिए सईदा हमीद ने एक रिपोर्ट तैयार की थी - वॉयस ऑफ द वॉयसलैस। इसमें इन औरतों की जिस दुर्दशा का वर्णन है, उसके बारे में जान रोंगटे खड़े हो जाते हैं। अफसोस तो यह है कि बहुत से वामपंथियों ने भी कट्टरपंथियों की हां में हां मिलाते हुए तीन तलाक को पर्सनल लॉ के तहत माना और इसमें किसी भी तरह के बदलाव की मुखालिफत की। इन्हें तीन तलाक बोलकर सारी जिम्मेदारियों से मुक्त हो जाने वाले पुरुषों का कोई कसूर नहीं दिखा। 'तलाक-तलाक-तलाक जैसे तीन शब्दों ने लाखों औरतों की जिंदगी बर्बाद की, ऐसा बहुत सी मुसलमान औरतों ने ही चर्चा के दौरान कहा। इसके अलावा निकाह हलाला के जरिए भी औरतों के साथ भारी अन्याय किया गया। जिस पति ने उसे तलाक दिया है, अगर वह फिर से उस औरत से शादी करना चाहे तो पहले औरत को किसी और से शादी करके उसके साथ रात बितानी पड़ती है। कई लोगों ने इसे औरतों के शोषण का धंधा बना रखा था। वे ऐसी औरतों से एक रात के लिए शादी करके ऐय्याशियां करते थे और कोई कुछ नहीं कहता था। शायरा बानो नामक जिस महिला ने तीन तलाक के खिलाफ याचिका दी थी, उसने कहा था कि सब लोग कहते हैं कि लड़कियों को पढ़ना चाहिए, लेकिन पढ़ाई भी मेरे किसी काम नहीं आई। मैं एमबीए हूं, मगर मेरे पति ने मुझे तलाक दे दिया और किसी ने मेरी मदद नहीं की।

 

बहरहाल, यह तो कहना होगा कि शाह बानो से शायरा बानो तक आते-आते तीन तलाक से पीड़ित मुस्लिम महिलाओं की दुनिया बदल गई। शाह बानो को उच्चतम न्यायालय ने न्याय दिया था, लेकिन उस समय केंद्र की सत्ता पर काबिज कांग्रेस सरकार ने इसे पलट दिया था। इसके उलट मौजूदा केंद्र सरकार ने पूरी तरह से न केवल शायरा बानो, बल्कि तमाम सताई गई मुस्लिम महिलाओं का साथ दिया है। प्रधानमंत्री खुद कई बार तीन तलाक के खिलाफ और मुसलमान महिलाओं के पक्ष में बोल चुके हैं। आखिर किसी में तो इतनी हिम्मत आई कि वह सताई गई मुसलमान औरतों के पक्ष में निडर भाव से खड़ा हो सका। शाह बानो को जिस तरह राजीव गांधी और उनकी सरकार ने मुस्लिम कट्टरपंथियों से डरकर बलि चढ़ा दिया, वह बेहद शर्मनाक और दुखद है। स्थिति की भयावहता तो देखिए कि उच्चतम न्यायालय ने शाहबानो के पक्ष में फैसला दिया था, लेकिन शाहबानो ने एक इंटरव्यू में कहा कि उच्चतम न्यायालय ने उसके पक्ष में फैसला देकर गलत किया है। कभी ऐसा बयान सुना है आपने कि जिसे कानूनी लड़ाई में जीत मिली हो, वह कहे कि उसकी जीत गलत है। बाद में शाहबानो ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा था कि अगर वह ऐसा न कहती तो देश में खून की नदियां बह जातीं।

 

बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट का ताजा फैसला आने से पहले कांग्रेस के सलमान खुर्शीद को कहना पड़ा कि जब बहुत से मुस्लिम देशों में ऐसा नहीं है, तो यहां ही इसकी क्या जरूरत है। उन्होंने ये भी कहा कि अपने देश में यह कोई खास समस्या नहीं है, सियासी कारणों से इसे अधिक तूल दिया जा रहा है। खुर्शीद साहब मान लीजिए कि आपकी गाड़ी छूट गई। महिलाओं के नाम पर घड़ियाली आंसू तो आप व आपकी पार्टी हमेशा बहाती रही है, मगर हकीकत यही है कि मुस्लिम औरतों के लिए आपने कुछ नहीं किया। मोदी सरकार की हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी कि उन्होंने मुसलमान महिलाओं की तकलीफ को समझा और इस संदर्भ में स्पष्ट रुख अख्तियार किया। इस फैसले के बाद देशभर में मुस्लिम महिलाओं में जिस तरह खुशी की लहर दौड़ी और वे एक-दूसरे को मिठाई खिलाती नजर आईं, वह दर्शाता है कि उनके लिए ये जीत कितनी बड़ी है।

 

तीन तलाक के खिलाफ एक पक्षकार भारतीय मुस्लिम महिला मंच की जकिया सोमन ने कहा कि इस जीत के लिए हमें कड़ा संघर्ष करना पड़ा। अब संसद का यह कर्तव्य है कि वह मुस्लिम औरतों को भी पूरे हक दिलाएं। उन्होंने यह भी कहा कि अभी बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी व संपत्ति में अधिकार की बात भी है। ये भी औरतों को मिले। बहुविवाह और निकाह हलाला भी खत्म होना चाहिए। सच बात है।

 

तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला मुस्लिम महिलाओं की तकदीर बदलने वाला है। इसके लिए न्यायपालिका, इस कुप्रथा के खिलाफ आवाज उठाने वाली साहसी महिलाएं और वे संगठन जिन्होंने तमाम दवाबों, धमकियों के बावजूद इन औरतों को न्याय दिलाने में अहम भूमिका निभाई, बधाई के पात्र हैं। यह फैसला मुस्लिम महिलाओं के जीवन में एक नया उजास लेकर आया है।

 

(लेखिका स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)


http://naidunia.jagran.com/editorial/expert-comment-a-huge-victory-for-muslim-women-1286991?utm_source=naidunia&utm_medium=home&utm_campaign=editorial


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close