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न्यूज क्लिपिंग्स् | मैं निर्मल ग्राम हूं, खुले में शौच ‘मेरी परंपरा’

मैं निर्मल ग्राम हूं, खुले में शौच ‘मेरी परंपरा’

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published Published on Jul 18, 2017   modified Modified on Jul 18, 2017

अनदेखी . कैथ गांव को 2010-11 में राष्ट्रपति भी कर चुके हैं सम्मािनत

 

नीमाचांदपुरा : मैं निर्मल ग्राम कैथ हूं, मुझे निर्मल ग्राम का सौभाग्य प्राप्त है. स्वच्छ व निर्मल ग्राम के उपलक्ष्य में वर्ष 2010-11 में राष्ट्रपति भी सम्मानित कर चुके हैं, लेकिन, मैं इस सम्मान से खुश नहीं हूं, बल्कि अपने आपको शर्मिंदा महसूस कर रहा हूं, क्योंकि मैं निर्मल ग्राम की पात्रता पूरी नहीं कर पा रहा हूं. 

 

दर्द यह है कि 75 प्रतिशत लोग आज भी खुले में शौच जाने को बाध्य हैं. जहां-तहां गंदगी का अंबार हमारे सम्मान को ठेस पहुंचा रहा है. सरकार द्वारा देश को स्वच्छ बनाने के लिए हर वर्ष अरबों रुपये खर्च किये जा रहे हैं.

 


लेकिन, वास्तविकता इसके विपरीत है. सरकार ने जिन ग्राम पंचायतों के बल पर भारत को निर्मल बनाने का सपना देखा है, उसकी बुनियाद ही कच्ची है, नतीजा सरकार का सपना चकनाचूर होता दिख रहा है. सिर्फ कागजों पर निर्मल ग्राम दिखायी पड़ रहा है. सरकार ने इस ग्राम को निर्मल ग्राम का दर्जा दे रखा है, लेकिन वास्तविकता है कि निर्मल गांव कहलाने के लायक नहीं है.

सूर्योदय व सूर्यास्त का करना पड़ता है इंतजार :कहने को तो निर्मल ग्राम का दर्जा प्राप्त है, लेकिन गांव में सभी परिवारों के पास शौचालय नहीं है. मैला ढोने की कुप्रथा यहां आज भी बरकरार है.

शुद्ध पेयजल की बात करना बेकार है. स्थिति यह है कि घरों में शौचालय नहीं रहने से लोगों को सूर्योदय और सूर्यास्त का इंतजार करना पड़ता है. लोगों ने बताया कि सूर्योदय से पहले व सूर्यास्त के बाद अंधेरे में महिलाएं खुले में शौच जाने को बाध्य हैं. हालांकि, इससे उन्हें काफी परेशानी भी होती है. सड़क के किनारे शौच व कूड़े-कचड़े का लगा अंबार निर्मल ग्राम की पोल खोल रहा है.

पांच गांवों से बनी है कैथ पंचायत :निर्मल ग्राम कैथ बेगूसराय सदर प्रखंड में पड़ता है. बरैठ, चेरिया, बनवारा, दमदमा व सांगोकोठी गांव को मिला कर एक कैथ पंचायत बनी है. इस पंचायत की आबादी लगभग 18 हजार है, जबकि वोटरों की संख्या 6009 है. महिला दलित बहुल्य इस पंचायत में बीपीएल परिवारों की संख्या दो हजार से अधिक है. विद्यालयों की संख्या छह है.

अस्पताल के नाम पर एक स्वास्थ्य उपकेंद्र है, जो खंडहर बनता जा रहा है.

कुछ घरों में शौचालय बना, पर घटिया: सूत्रों की मानें तो निर्मल ग्राम बनने से पहले पीएचइडी विभाग द्वारा एनजीओ के माध्यम से बीपीएल परिवारों के गिने-चुने घरों में शौचालय बनाया गया था, जो इतना घटिया किस्म का कि छह माह के अंदर ही ध्वस्त हो गया. कुछ में तो सीट ही बैठ गयी. फर्श व दीवार तो बनी ही नहीं. नतीजा इसका उपयोग नहीं किया जा सकता है.

निर्मल ग्राम की पात्रता

सभी परिवार के पास शौचालय की सुविधा

खुले में शौच रहित पंचायत सभी विद्यालयों में छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय व मूत्रालय
आंगनबाड़ी केंद्र में बाल उपयोग शौचालय
ग्राम में पर्यावरणीय स्वच्छता

ग्राम में मैला ढोने की कुप्रथा की समाप्ति
गांव में सौ प्रतिशत शौचालय व सबके लिए स्वच्छ पेयजल उपलब्ध होना
क्या कहते हैं जनप्रतिनिधि

निर्मल ग्राम सिर्फ कागजी है. धरातल पर 75 प्रतिशत लोग शौचालय विहीन हैं. स्वच्छता नाम की कोई चीज नहीं है.
रंजन कुमार, स्थानीय ग्रामीण

निर्मल ग्राम के विरोध में ग्रामीण आंदोलन के मूड में हैं. निर्मलता की मुहर लग जाने से लोगों को स्वच्छ भारत मिशन योजना से वंचित होना पड़ रहा है. शौचालय प्रोत्साहन राशि भी नहीं मिल पायेगी.

वाल्मीकि सिंह, मुखिया, ग्राम पंचायत राज कैथ

घर में शौचालय नहीं है. घर की बहू-बेटी खुले में शौच जाने को विवश है. सरकार को यह सब दिखायी नहीं दे रही.

सुदामा देवी, गृहणी, बरैठ (कैथ)

निर्मल ग्राम घोषित होने पर स्वच्छता योजना का लाभ नहीं मिल सकता है. किस परिस्थिति में निर्मल का दर्जा दिया गया है, इसकी जांच होनी चाहिए. आवास योजना के तहत नये मकान के साथ शौचालय बनाने पर राशि का भुगतान किया जा सकता है.
रविशंकर कुमार, बीडीओ, बेगूसराय


http://www.prabhatkhabar.com/news/begusarai/village-open-defecation-my-tradition/1023826.html


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