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न्यूज क्लिपिंग्स् | मोदी के आरसीईपी पर अच्छे राजनीतिक कदम का मजाक न उड़ाएं, यह इन दिनों दुर्लभ है - योगेंद्र यादव

मोदी के आरसीईपी पर अच्छे राजनीतिक कदम का मजाक न उड़ाएं, यह इन दिनों दुर्लभ है - योगेंद्र यादव

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published Published on Nov 6, 2019   modified Modified on Nov 6, 2019
सात साल से चल रही बातचीत पर मंजूरी की मोहर लगाने के लिए बुलाए गए बैंकॉक सम्मेलन के ऐन बीच में क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) से बाहर रहने का फैसला लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गहरी राजनीतिक सूझ-बूझ का परिचय दिया है.

आरसीईपी से बाहर रहना सचमुच बहुत बड़ा फैसला है. आरसीईपी मुक्त-व्यापार का कोई साधारण समझौता नहीं. यह चीन, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के साथ-साथ दक्षिण-पूर्वी एशिया तथा पूर्वी एशिया के मुल्कों को मिलाकर दुनिया के कुल 16 देशों का क्षेत्रीय स्तर का सबसे बड़ा व्यापारिक समझौते का रूप ले सकता था. अगर भारत इस समझौते में शामिल हो जाता तो दुनिया की तकरीबन आधी आबादी और विश्व की 35 फीसदी जीडीपी आरसीईपी के दायरे में चली आती. यह सिर्फ वस्तुओं के आयात-निर्यात से जुड़ा समझौता भर नहीं. इसके दायरे में सेवा, सामान, निवेश तथा बौद्धिक संपदा अधिकार सरीखी कई बातें शामिल हैं. इसका असर भारत की अर्थव्यवस्था के प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक क्षेत्रों में सालों से सक्रिय कई करोड़ नागरिकों पर होता. 
 
इस कथा को विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें   

योगेंद्र यादव, The Print, 6 November, 2019 https://hindi.theprint.in/opinion/decision-on-rcep-was-very-difficult-and-wins-political-needs/95284/
 

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