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न्यूज क्लिपिंग्स् | राजग की सरकार बनी तो किसानों को बिना ब्याज कृषि कर्ज: गडकरी

राजग की सरकार बनी तो किसानों को बिना ब्याज कृषि कर्ज: गडकरी

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published Published on Jul 16, 2012   modified Modified on Jul 16, 2012


भोपाल, 16 जुलाई (एजेंसी)। भाजपा के अध्यक्ष नितिन गडकरी ने वादा किया है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में राजग की सरकार बनी, तो किसानों को बिना ब्याज कृषि कर्ज दिया जाएगा।
गडकरी ने रविवार को यहां जंबूरी मैदान पर मध्यप्रदेश भाजपा की आयोजित ‘अटल किसान महापंचायत’ को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश सहित भाजपा शासित राज्य जब किसानों को बिना ब्याज के कृषि  कर्ज उपलब्ध करा सकते हैं, तो केंद्र की कांग्रेस नीत यूपीए सरकार ऐसा क्यों नहीं कर सकती। अगर अगले लोकसभा चुनाव में राजग की सरकार बनी, तो वह किसानों को बिना ब्याज कृषि कर्ज देगी।
राज्य सरकार के किसानों को एक अप्रैल से बिना ब्याज के कृषि कर्ज देने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का अभिनंदन करने और केंद्र सरकार के हाल में रासायनिक खाद के दाम बढ़ाने का विरोध करने के लिए पार्टी की तरफ से आयोजित इस महापंचायत में भारी संख्या में किसान मौजूद थे। इस अवसर पर गडकरी के अलावा लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज व पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह विशेष रूप से मौजूद थे।
भाजपा अध्यक्ष ने केंद्र की यूपीए सरकार पर आरोप लगाया कि उसकी गलत नीतियों के कारण किसानों का शोषण हो रहा है। उसके साथ अन्याय किया जा रहा है। इसकी वजह से वह कर्ज के बोझ से दबकर आत्महत्या कर रहा है। खाद की बढ़ी         कीमतें उसकी इन्हीं गलत नीतियों का परिणाम है। यह उद्योगपतियों के दबाव में बढ़ाई गई हैं। गडकरी ने कहा कि खाद की बढ़ी हुई कीमतें वापस लेने की मांग को लेकर भाजपा संसद के अंदर और बाहर आवाज उठाएगी। इसके लिए एक सशक्त देशव्यापी आंदोलन की रूपरेखा जल्द बनाई जाएगी। उन्होंने मध्यप्रदेश में कृषि विकास दर 18 फीसद करने के लिए राज्य सरकार की प्रशंसा करते हुए कहा कि गुजरात जैसे विकसित राज्य में भी यह 12 फीसद ही है।
उन्होंने महंगाई और भ्रष्टाचार के लिए यूपीए सरकार को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि 2013 में मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा और 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव में जनता भाजपा और उसके नेतृत्व वाले राजग पर ही भरोसा करेगी, क्योंकि अब वह अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्वकाल में राजग सरकार के अच्छे दिनों को महसूस करने लगी है। वहीं, मध्यप्रदेश में भाजपा ने शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में विकास के

जो आयाम कायम किए हैं, उसे लोगों ने खुले दिल से सराहा है।
लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने राज्य सरकार के ‘खेती को लाभ का धंधा’ बनाने के लिए उठाए जा रहे कदमों की सराहना करते हुए कहा कि किसान ही देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। वह मजबूत रहेगी, तो ही पूरे देश की सेहत अच्छी रहेगी।  उन्होंने कहा कि यह इसी परिश्रम का नतीजा है कि प्रदेश में सात लाख एकड़ कृषि योग्य रकबे को बढ़ाकर 22 लाख एकड़ करने में सफलता मिली है। इस साल प्रदेश में हुए रिकार्ड गेहूं पैदावार का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह बड़ी बातें करते हैं, लेकिन वह बताएं कि उनके शासनकाल में क्या गेहूं का एक भी दाना खरीदा गया था। पिछले साल के 48 लाख टन की तुलना में इस साल 85 लाख टन गेहूं पैदा किया गया है। इस दिशा में मध्यप्रदेश ने हरियाणा और पंजाब जैसे प्रमुख गेहूं उगाने वाले राज्यों को टक्कर दी है। उन्होंने खाद के दाम बढ़ाने को लेकर भी केंद्र सरकार पर तीखे आरोप लगाए और कहा कि हम संसद के आने वाले सत्र में इसे लेकर कड़ा विरोध करेंगे और सरकार को इसे वापस लेने पर मजबूर करेंगे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री चौहान ने किसानों के लिए कई घोषणाएं करते हुए कहा कि राज्य सरकार गेहंू की तरह अब धान की खरीद पर भी समर्थन मूल्य के अलावा किसानों को प्रति क्विंटल सौ रुपए बोनस देगी, कृषि कार्य के दौरान किसान की मौत होने पर दिया जाने वाला मुआवजा अब 50 के बजाए एक लाख रुपए मिलेगा। किसान की गंभीर बीमारी पर समूचा चिकित्सा खर्च राज्य सरकार उठाएगी। ट्यूबवेल पर अनुदान 24 हजार से बढ़ाकर 40 हजार रुपए किया जाएगा। अगले साल जून से गांवों में चौबीस घंटे बिजली दी जाएगी। खेती-किसानी के लिए आठ घंटे बिजली दी जाएगी।
उन्होंने केंद्र सरकार से खाद की बढ़ी कीमत वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि इसके लिए सोमवार से शुरू  हो रहे विधानसभा के मानसून सत्र में एक संकल्प पारित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को किसानों के लिए पाले को प्राकृतिक आपदा घोषित करना चाहिए, व्यावहारिक फसल बीमा योजना लागू करनी चाहिए, कपास की आयात-निर्यात नीति पारदर्शी करनी चाहिए और किसान को वृद्धावस्था पेंशन दी जानी चाहिए।

जो आयाम कायम किए हैं, उसे लोगों ने खुले दिल से सराहा है।
लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने राज्य सरकार के ‘खेती को लाभ का धंधा’ बनाने के लिए उठाए जा रहे कदमों की सराहना करते हुए कहा कि किसान ही देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। वह मजबूत रहेगी, तो ही पूरे देश की सेहत अच्छी रहेगी।  उन्होंने कहा कि यह इसी परिश्रम का नतीजा है कि प्रदेश में सात लाख एकड़ कृषि योग्य रकबे को बढ़ाकर 22 लाख एकड़ करने में सफलता मिली है। इस साल प्रदेश में हुए रिकार्ड गेहूं पैदावार का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह बड़ी बातें करते हैं, लेकिन वह बताएं कि उनके शासनकाल में क्या गेहूं का एक भी दाना खरीदा गया था। पिछले साल के 48 लाख टन की तुलना में इस साल 85 लाख टन गेहूं पैदा किया गया है। इस दिशा में मध्यप्रदेश ने हरियाणा और पंजाब जैसे प्रमुख गेहूं उगाने वाले राज्यों को टक्कर दी है। उन्होंने खाद के दाम बढ़ाने को लेकर भी केंद्र सरकार पर तीखे आरोप लगाए और कहा कि हम संसद के आने वाले सत्र में इसे लेकर कड़ा विरोध करेंगे और सरकार को इसे वापस लेने पर मजबूर करेंगे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री चौहान ने किसानों के लिए कई घोषणाएं करते हुए कहा कि राज्य सरकार गेहंू की तरह अब धान की खरीद पर भी समर्थन मूल्य के अलावा किसानों को प्रति क्विंटल सौ रुपए बोनस देगी, कृषि कार्य के दौरान किसान की मौत होने पर दिया जाने वाला मुआवजा अब 50 के बजाए एक लाख रुपए मिलेगा। किसान की गंभीर बीमारी पर समूचा चिकित्सा खर्च राज्य सरकार उठाएगी। ट्यूबवेल पर अनुदान 24 हजार से बढ़ाकर 40 हजार रुपए किया जाएगा। अगले साल जून से गांवों में चौबीस घंटे बिजली दी जाएगी। खेती-किसानी के लिए आठ घंटे बिजली दी जाएगी।
उन्होंने केंद्र सरकार से खाद की बढ़ी कीमत वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि इसके लिए सोमवार से शुरू  हो रहे विधानसभा के मानसून सत्र में एक संकल्प पारित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को किसानों के लिए पाले को प्राकृतिक आपदा घोषित करना चाहिए, व्यावहारिक फसल बीमा योजना लागू करनी चाहिए, कपास की आयात-निर्यात नीति पारदर्शी करनी चाहिए और किसान को वृद्धावस्था पेंशन दी जानी चाहिए।

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