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न्यूज क्लिपिंग्स् | राज्य और केंद्र के झगड़े में भुगतेंगे बिहार के किसान

राज्य और केंद्र के झगड़े में भुगतेंगे बिहार के किसान

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published Published on Aug 8, 2016   modified Modified on Aug 8, 2016
पटना : प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की प्रीमियम राशि को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के झगड़े में राज्य के 16 लाख से अधिक किसानों को बीमा का लाभ इस साल नहीं मिल पायेगा. राज्य सरकार को इस बीमा योजना पर साढ़े छह सौ करोड़ रुपये खर्च करना होगा. इतनी ही राशि केंद्र सरकार भी वहन करेगी. 15 अगस्त तक राज्य सरकार को बीमा कंपनियों का चयन कर लेना है.

लेकिन, बिहार सरकार का आरोप है कि यूपी में अगले साल चुनाव के कारण केंद्र सरकार ने वहां इस योजना की प्रीमियम राशि मात्र 4.09 प्रतिशत तय की है. जबकि बिहार के लिए 14.92 प्रतिशत निर्धारित की गयी है. राज्य सरकार ने इस पर आपत्ति जतायी है. इस कारण राज्य सरकार ने अब तक बीमा कपंनियों का चयन नहीं किया है. अब सोमवार को सहकारिता विभाग के प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा केंद्र के समक्ष बिहार का पक्ष रखेंगे. इसके बाद ही कोई आधिकारिक निर्णय हो पायेगा. सूत्र बताते हैं कि यदि एक-दो दिनों में फसल बीमा पर निर्णय नहीं लिया गया तो राज्य के 16 लाख किसानों का फसल बीमा संभव नहीं होगा. ऐसे में किसानों की फसल की क्षति हुई तो उन्हें इस साल इसके एवज में कोई मदद नहीं मिल सकेगी.

क्या है झगड़ा का कारण

केंद्र सरकार ने राज्यों को 10 बीमा कंपनियों की सूची उपलब्ध करायी है. इसमें तीन कंपनियां बिहार मे पहले से ब्लैक लिस्टेड हैं. बाकी की छह कंपनियों ने बिहार में खेती को लेकर रिस्क फैक्टर को आधार बनाते हुए न्यूनतम प्रीमियम दर 14.92 प्रतिशत तय किया. बीमा योजना पर बिहार में कुल पंद्रह सौ करोड़ रुपये खर्च होंगे जिसमें साढे छह सौ करोड़ राज्य और इतनी ही राशि केंद्र को वहन करना होगा. दो सौ करोड़ रुपये किसानों को देने होंगे. केंद्र सरकार को लिखे पत्र में कहा गया है कि यूपी में प्रीमियम का दर लगभग चार प्रतिशत है.

वहीं उसी कंपनी द्वारा बिहार के जिलों को छह कलस्टर में बांटकर छह बीमा कंपनियों द्वारा प्रीमियम तय किया है. पहले कलस्टर के लिए 18.56 प्रतिशत, दूसरे के लिए 11.97 प्रतिशत, तीसरे कलस्टर के लिए 27.42 प्रतिशत, चौथे के लिए 18.89 प्रतिशत, पांचवें के लिए 10.37 प्रतिशत और छठे जिलों के कलस्टर के लिए 13.38 प्रतिशत प्रीमियम तय किया गया. इसे राज्य सरकार ने अधिक और अतार्किक बताया है.सहकारिता विभाग के अधिकारी ने बताया कि नयी पीएम फसल बीमा योजना में राज्य सरकार को लगभग दो गुणा से अधिक राज्यांश मद में खर्च करना होगा. खरीफ फसल में प्रीमियम मद में अब तक राज्य सरकार को अधिकतम 192.22 और बीमा क्षति पूर्ति मद में 685.06 करोड़ रुपये देना पड़ा है.

पीएम फसल बीमा के विकल्प पर हो रहा है मंथन

राज्य में पीएम फसल बीमा योजना को लागू नहीं होने की स्थिति में राज्य सरकार किसानों को बीमा के विकल्प पर विचार कर रही है. सूत्र ने बताया कि किसानों को सुखाड़ की स्थिति में पिछले साल भी लगभग दो सौ करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था. किसानों को इसी तर्ज पर फसल क्षति अनुदान दिया जायेगा. ताकि किसानों को बीमा नहीं होने पर घाटा का सामना न करना पड़े.

पिछले दो साल का भी नहीं मिला है किसानों को बीमा

बिहार के किसानों को पिछले दो साल के बीमा का भी भुगतान नहीं हो सका है. रबी फसल के लिए 2014-15 में राज्य के 8.82719 किसानों के 761.96 करोड़ रुपये का भुगतान अब तक नहींं हुआ है. 2015-16 में भी खरीफ फसल के 16.55 लाख किसानों के लगभग 877.78 करोड़ रुपये का भुगतान भी नहीं हुआ है.

पीएम फसल बीमा पर आज मीणा रखेंगे बिहार का पक्ष

राज्य में पीएम फसल बीमा योजना पर गतिरोध काे दूर करने के लिए केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय और राज्य सरकार के अधिकारी के साथ सोमवार को बैठक होगी. बैठक में बिहार सरकार का पक्ष विभागीय प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा रखेंगे.

बीमा प्रीमियम राशि को लेकर अड़े केंद्र और राज्य

फसल बीमा का नाम हो 'केंद्र राज्य किसान योजना'

पटना : फसल बीमा योजना पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि जितनी राशि केंद्र को देनी है, उतना राज्य को भी देना है. ऐसे में इस योजना का नाम प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना क्यों है? इंटर स्टेट काउंसिल कि बैठक में भी उन्होंने Â बाकी पेज 19 पर

फसल बीमा का नाम...

यह मांग रखी थी कि प्रीमियम दर में एकरूपता होनी चाहिए. विधान मंडल के मानसून सत्र के अंतिम दिन उन्होंने सदन के बाहर संवाददाताओं से बातचीत में कहा था कि इस योजना का नाम ''केंद्र, राज्य किसान योजना'' होना चाहिए, क्योंकि प्रीमियम तीनों को देना है.

राजनीतिक कारणों से भाग रही है बिहार सरकार

कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा कि बिहार सरकार राजनीतिक कारणों से पीएम फसल बीमा योजना लागू नहीं कर रही है. सीएम ऐसा तर्क दे रहे हैं जैसे लगता है कि बिहार देश से अलग हो. सभी राज्य प्रीमियम के 50: 50 फार्मूले पर तैयार हैं, पर बिहार बहाने बना रहा है.

केंद्र विशेष दर्जा भी नहीं दे रहा और प्रीमियम भी अधिक

सहकारिता मंत्री आलोक मेहता ने कहा कि केंद्र बिहार को विशेष राज्य का दर्जा भी नहीं‍ दे रहा व दूसरे राज्यों की तुलना में यहां प्रीमियम राशि भी अधिक है. उन्होंने कहा कि हम किसानों के लाभ के लिए बीमा चाहते हैं न कि बीमा कंपनियों Â बाकी पेज 19 पर

केंद्र विशेष दर्जा भी नहीं दे...

के लाभ के लिए. बिहार का बक्सर और बलिया जिले के मौसम, मिट्टी, वातावरण आदि सब एक समान है. एक ही रिस्क फैक्टर है, पर बक्सर के लिए प्रीमियम दर 14 प्रतिशत और बलिया की प्रीमियम दर चार प्रतिशत तय की गयी है.

इसे कैसे स्वीकार किया जाये? उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार से पूर्व में ही हमलोगों ने कहा था कि प्रीमियम दर में सिलिंग और एकरूपता होना चाहिए. इसे केंद्र सरकार ने अनसुना कर दिया. मेहता ने कहा कि पूर्वी राज्यों के काउंसिल की बैठक में भी मुख्यमंत्री ने इसे गंभीरतापूर्वक उठया था, लेकिन केंद्र सरकार ने इसे नहीं माना. उन्होंने कहा कि बीमा के लिए अब राज्य में अधिकतम 650 करोड़ रुपये खर्च किया गया है. बीमा कंपनियों के वर्तमान दर से 1500 करोड़ रुपये खर्च करना होगा. ऐसे में इस बीमा का कोई मतलब नहीं होगा.


http://www.prabhatkhabar.com/news/patna/story/841402.html


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