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न्यूज क्लिपिंग्स् | रिसाव से 950 करोड़ का पानी हो रहा बर्बाद

रिसाव से 950 करोड़ का पानी हो रहा बर्बाद

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published Published on Nov 8, 2009   modified Modified on Nov 8, 2009

राजस्थान को पंजाब से पानी देने वाली इंदिरा गांधी नहर और राजस्थान व पंजाब दोनों को पानी देने वाली सरहिंद फीडर में से हर वर्ष 945 करोड़ रुपए का पानी रिसाव के कारण खत्म हो जाता है। एक-एक बूंद पानी को तरस रहे राजस्थान के किसान आंदोलन करने को मजबूर हैं। यह पानी इस क्षेत्र के किसानों के लिए अमृत से कम नहीं है। लेकिन इन दिनों नहरों में बर्बाद हो रहे पानी को बचाने के लिए राजस्थान व पंजाब की सरकारें गंभीर नहीं है। रिसाव के कारण सेम की समस्या पैदा हो रही है। सेम के कारण हजारों एकड़ जमीन खेती लायक नहीं रही है। इस समस्या के निपटारे के लिए योजनाएं तो बनी, लेकिन कागजों में ही सिमट कर रह गई। योजनाएं बने हुए लंबा अरसा हो गया, लेकिन इन्हें सिरे नहीं चढ़ाया जा रहा। अब 2010 में इन नहरों का जीर्णोद्धार शुरू होने के बाद रिसाव बंद होने की उम्मीद है। इंदिरा नहर व सरहिंद फीडर में लगभग 1350 क्यूसेक पानी रिसाव में बर्बाद हो जाता है। इतने पानी से लगभग चार लाख 50 हजार एकड़ क्षेत्र में सिंचाई की जा सकती है। सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि इतने बड़े क्षेत्र में फसलों की बिजाई हो तो किसानों के साथ-साथ राज्य सरकारों को भी कितना बड़ा आर्थिक लाभ मिलेगा। हाल ही पंजाब में नहरी विभाग और ऊर्जा खोज संस्थान से इन दोनों नहरों का तकनीकी रूप से अध्ययन-सर्वेक्षण किया। सर्वेक्षण की रिपोर्ट में बताया गया है कि लगभग 1350 क्यूसेक पानी फिरोजपुर हैडवर्कस से इन नहरों में राजस्थान की सीमा तक पहुंचते-पहुंचते जमींदोज हो जाता है। एक क्यूसेक पानी कितना महत्तव रखता है, इसका अंदाजा इस बात से लगता है कि एक साल में 85 करोड़ 14 लाख 72 हजार लीटर पानी। एक क्यूसेक पानी की कीमत 70 लाख रुपए आंकी जाती है। पंजाब में तीन क्यूसेक पानी से एक हजार एकड़ क्षेत्र में सिंचाई की जा रही है। अगर बर्बाद हो रहे 1350 क्यूसेक पानी की बचत की जाए तो चार लाख 50 हजार एकड़ क्षेत्र में सिंचाई की जा सकती है। इन योजनाओं पर अरबों रुपए खर्च किए गए, परंतु समस्या को खत्म करने के लिए कोई कारगर योजना सिरे नहीं चढ़ाई गई। कारगर योजनाएं बनाई अवश्य गई, परन्तु यह कागजों में दबी पड़ी है। मोटे अनुमान के अनुसार अब तक 25 हजार करोड़ रुपए का पानी बर्बाद हो चुका है। यदि नुकसान का और आंकलन किया जाए तो इस पानी से उत्पादित होने वाली फसलों की कीमत का अंदाजा लगाना ही मुश्किल है। पंजाब में इंदिरा गांधी नहर और सरहिंद फीडर के लाईनिंग अनेक स्थानों पर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई है। कई जगहों पर रेत के बोरे लगाकर नहर को टूटने से बचाया जा रहा है। पंजाब में मुक्तसर जिले में भुल्लर गांव के समीप सरहिंद फीडर के क्षतिग्रस्त टुकड़े को ठीक करने के लिए कुछ दिन पहले कार्य प्रारंभ किया गया तो सेम का पानी निकल आया। किसानों का भी कहना है कि थोड़ी सी खुदाई करने पर ही सेम का पानी निकल आता है। इस कारण जमीन खराब हो रही है।

 


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/rajasthan/4_9_5924373.html
 

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