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न्यूज क्लिपिंग्स् | लघु उद्योगों को संवारने का है संकल्प - कलराज मिश्र

लघु उद्योगों को संवारने का है संकल्प - कलराज मिश्र

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published Published on Jul 3, 2015   modified Modified on Jul 3, 2015
नरेंद्र मोदी ने जब प्रधानमंत्री के रूप में कामकाज संभाला और गांधी जयंती के मौके पर पहली बार रेडियो के माध्यम से 'मन की बात" की तो उन्होंने खादी के महत्व का बखान करते हुए हर देशवासी को खादी का एक उत्पाद अवश्य खरीदने की अपील की। इसका व्यापक असर हुआ और खादी की बिक्री में ऐतिहासिक बढ़ोतरी दर्ज की गई। इस अपील के बाद सबका ध्यान सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्रालय की ओर खिंचा, जबकि अमूमन यह मंत्रालय कम महत्व का माना जाता रहा है, लेकिन जब मुझे यह जिम्मेदारी मिली तो मैंने तय किया कि जो क्षेत्र देश की जीडीपी में 8 फीसद, विनिर्माण में 45 फीसद और निर्यात में 40 फीसद योगदान करता है, उसे देश की प्रगति के साथ जोड़ना आवश्यक है।

एमएसएमई क्षेत्र में 3.6 करोड़ उद्योग हैं और सीधे तौर पर 8.5 करोड़ लोगों को रोजगार मिला हुआ है। हमारी योजना बजट में आवंटित राशि का शत-प्रतिशत इस्तेमाल करने की है। हमारे लिए 'मेक इन इंडिया" महज एक नारा न होकर वचनबद्धता है। विश्व में सबसे अधिक युवा आबादी हमारे देश में है, जो एक बहुत बड़ी शक्ति है। हमें हर साल एक करोड़ से अधिक रोजगार जुटाने होंगे। इसी सोच के साथ हमने बेरोजगारी से स्वरोजगार की यात्रा का संकल्प लिया है। कौशल विकास के लिए सरकार का जोर तकनीकी स्कूलों की स्थापना पर है। फिलहाल करीब दस हजार युवाओं को प्रशिक्षित करने की योजना है। इसके अलावा हम सभी जिलों का इंडस्ट्रियल प्रोफाइल और स्किल मैपिंग भी कर चुके हैं, ताकि उद्योगों की जरूरत के मुताबिक प्रशिक्षण दे सकें। 'मेक इन इंडिया" घरेलू अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने व भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने पर केंद्रित है। इसके तहत देश में सवा लाख उद्योगों की सहायता की गई है। इसी तरह चार लाख सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यमियों की मदद की गई है।

आज के युग में डिजिटल टेक्नोलॉजी का काफी महत्व है और उसको ध्यान में रखते हुए हमने ई-गवर्नेंस की दिशा में अनेक कदम उठाए हैं, जिनके जरिए छोटे उद्यमियों को अपना रोजगार बढ़ाने के लिए मदद की जा रही है। हमने कंज्यूमर पोर्टल स्थापित करके उद्यमियों के लिए नए रास्ते खोले हैं। इसके अतिरिक्त अपने मंत्रालय में ई-ऑफिस को लागू करके ऑनलाइन सुविधाएं देने की शुरुआत की गई है। ई-बिज के साथ जुड़कर हमने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन जैसी सुविधाएं उद्यमियों को प्रदान करना शुरू किया है। जिस तरह बड़ी-बड़ी नौकरियों के लिए बैंकिंग, आईटी क्षेत्र में कई सर्च इंजन हैं, उसी तरह मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में ई-बिज पोर्टल शुरू किया गया है। इस पोर्टल के माध्यम से दक्ष व्यक्ति अपना रजिस्ट्रेशन कर सकेंगे एवं उन्हें अपनी जरूरत की जानकारी मिल सकेगी। इससे 'स्किल्ड इंडिया" और 'मेक इन इंडिया" अभियान को सफल बनाने में भी मदद मिलेगी।

अगर एक साल की उपलब्धियों की बात करें तो यह अभी एक शुरुआत भर है। सोशल मीडिया के साथ कदमताल करते हुए फेसबुक, टि्वटर आदि के माध्यम से जनता से संवाद शुरू किया गया है। यह भी कम महत्वपूर्ण नहीं कि सोशल मीडिया पर हमारे मंत्रालय को जितने लोग फॉलो करते हैं, उनमें 70 फीसद 18 से 34 आयुवर्ग के हैं। युवाओं का रुझान निश्चित ही इस मंत्रालय के कामकाज को आगे बढ़ाने में मदद करेगा। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय ने उद्यमियों की मदद के लिए नि:शुल्क हेल्पलाइन नंबर भी शुरू किया है। गांवों में उद्योगों को पुनर्जीवित करने और व्यावसायिक कुशलता के लिए स्फूर्ति स्कीम को नए बदलाव के साथ लागू किया गया है।

तकरीबन 25 हजार कारीगरों के क्लस्टर को कवर करने वाले ग्रामीण उद्योगों को अब आठ करोड़ की सहायता मिल सकेगी, जो पहले एक करोड़ रुपए तक सीमित थी। जूट क्षेत्र में मूल्य संवर्द्धन तथा आधुनिक तकनीकों को

बढ़ावा देने के मकसद से क्रेडिट सबसिडी स्कीम शुरू की गई है। एमएसएमई एक्ट-2006 में पुनरुद्धार और पुनर्वास योजना को बढ़ावा दिया गया है, जिसके तहत कोई भी उद्यम राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों, विशेषज्ञों और अन्य सदस्यों वाली एक समिति के माध्यम से पुनरुद्धार और पुनर्वास के लाभ की मांग कर सकता है। यह ढांचा कर्ज लेने वाले और कर्ज देने वाले के हितों को संतुलित करने वाला है।

ग्रामीण युवाओं को रोजगार के अवसर देने के लिए ग्रामीण आजीविका व्यवसाय योजना की शुरुआत की गई है। निवेश को बढ़ावा देने और प्रौद्योगिकी में सुधार को बेहतर बनाने के उद्देश्य से एमएसएमई ने विनिर्माण के लिए आरक्षित 20 व्यवसायों को अनारक्षित कर दिया है। 3.60 लाख युवाओं को रोजगार के अवसर देने के लिए 48,168 से अधिक इकाइयां स्थापित की जा चुकी हैं। इसी तरह एमएसएमईडी एक्ट-2006 में संशोधन कर संयंत्रों और मशीनरी में निवेश की सीमा को बढ़ाने का प्रस्ताव है।

उद्यम लगाने के लिए आवेदन फाइल करने के लिए 13 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में एक राष्ट्रीय पोर्टल शुरू किया गया है। ईएसडीपी की पहल के रूप में मंत्रालय ने युवाओं को उद्योग के लिए तैयार करने और स्वयं का उद्योग स्थापित करने के लिए ईडीआई के माध्यम से 2065 लाख युवाओं को प्रशिक्षित करने की योजना तैयार की है। इस दिशा में 18 प्रौद्योगिकी विकास केंद्रों के माध्यम से 1.70 लाख युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है। विश्व बैंक की सहायता से 15 नए टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट सेंटर्स खोले जाएंगे। एशियन डेवलपमेंट बैंक की मदद से केआरडीपी प्रोजेक्ट के माध्यम से खादी संस्थाओं को सशक्त किया जा रहा है व अपेक्षित सुधार किए जा रहे हैं ताकि इन संस्थाओं का जीर्णोद्धार हो सके।

हाल ही में मुद्रा बैंक की स्थापना की गई है। यह बैंक सूक्ष्म उद्योगों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। यह संस्था छोटे-छोटे उद्यमियों को आसानी से ऋण उपलब्ध कराने में मदद करेगी। खुशहाल व विकसित भारत की कल्पना को साकार करने के लिए सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग विकास की नई राह प्रशस्त कर सकते हैं। सरकार इस सपने को साकार करने के लिए निरंतर प्रयासरत है।

-लेखक केंद्रीय सूक्ष्‍म, लघु व मध्‍यम उद्योग मंत्री हैं।

 


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