Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | लिफ्ट सिंचाई में नई उम्मीद व पुरानी बाधाएं- भारत डोगरा

लिफ्ट सिंचाई में नई उम्मीद व पुरानी बाधाएं- भारत डोगरा

Share this article Share this article
published Published on Nov 24, 2014   modified Modified on Nov 24, 2014
देश में बड़ी संख्या में ऐसे किसान हैं,  जो नदियों के बहते पानी को पंप से लिफ्ट करके सिंचाई करते हैं। जब तक विभिन्न किसान यह प्रयास व्यक्तिगत स्तर पर करते रहे,  इसमें कई कठिनाइयां रहीं,  पर अनेक किसान सामूहिक प्रयास से अब काफी सफलता प्राप्त कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में बांदा जिले के कुछ गांवों में अंडरग्राउंड पाइप डालकर इस पानी को पहले की अपेक्षा काफी अधिक खेतों तक पहुंचाया जा रहा है,  जिसका खास फायदा दिखाई दिया है। कुछ किसानों की उपज कई गुणा बढ़ी है। इससे मौसम प्रतिकूल होने पर भी अब कुछ फसलें जरूर बच जाती हैं।

इसके आगे अब एक और बड़ी संभावना यह खुली है कि डीजल और बिजली का उपयोग किए बिना ही बहते पानी की ऊर्जा का उपयोग कर पानी लिफ्ट किया जाए। इसके लिए ललितपुर के एक ग्रामीण वैज्ञानिक ने ऐसा टरबाइन तैयार किया है,  जो सफलता के साथ इस्तेमाल हो रहा है। इसका पेटेंट भी करा लिया गया है। आईआईटी दिल्ली और विज्ञान शिक्षा केंद्र ने अपनी एक रिपोर्ट में इस तकनीक को पूरे देश में फैलाने की बात कही है। सिंचाई के अतिरिक्त यह अनेक कुटीर उद्योगों में भी सहायक है। इस रिपोर्ट ने कहा है कि इस तकनीक की एक बड़ी विशेषता यह है कि इसे तैयार करना ग्रामीण स्तर पर भी संभव है। पर्यावरण रक्षा की दृष्टि से इसकी बड़ी उपयोगिता यह है कि इसके व्यापक स्तर पर उपयोग से ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन बहुत कम होगा।

एक अध्ययन में यह भी अनुमान लगाया गया है कि यह टरबाइन अगर 15 वर्ष तक कार्य करे,  तो अपने जीवनकाल में 1,25,400 लीटर डीजल की बचत करेगा,  जो 335 टन ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन में कमी के बराबर है। हालांकि, किसानों के लिए इसकी तात्कालिक उपयोगिता यह है कि इससे उनकी सिंचाई लागत बहुत कम हो जाती है। गांवों को पेयजल उपलब्ध कराने में भी यह बहुत उपयोगी हो सकता है। लेकिन ऐसी तकनीक के साथ एक दिक्कत हमेशा यह होती है कि वे अपने प्रचार-प्रसार के लिए पूरी तरह से सरकार के प्रोत्साहन पर निर्भर होती हैं और उसी की बाट जोहती रहती हैं।

यह माना जा सकता है कि इस तकनीक की उपयोगिता को देखते हुए लोग इसे अपनाएंगे ही,  लेकिन इसे लोगों तक पहुंचाना भी एक बड़ी चुनौती तो है ही। इसके लिए परंपरागत ग्रामीण हाट-बाजार का इस्तेमाल भी उपयोगी हो सकता है। जहां एक ओर ऐसी संभावनाओं का बेहतर उपयोग जरूरी है,  वहां नदियों की बढ़ती समस्याओं को दूर करना और भी जरूरी है। आखिर सिंचाई तभी हो सकेगी,  जब नदियों में पर्याप्त पानी बचेगा। कहीं अधिक खनन के कारण,  तो कहीं अन्य कारणों से,  नदियों का पानी कम होने से गांववासियों द्वारा उनका जल सीधे प्राप्त करना कठिन होता जा रहा है। नदियों की रक्षा व उनकी अविरलता को प्राथमिकता मिलने से ही सिंचाई भी बढ़ सकेगी।
 (ये लेखक के अपने विचार हैं)

http://www.livehindustan.com/news/editorial/guestcolumn/article1-Country-farmers-rivers-water-pump-irrigation-57-62-461312.html
 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close