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न्यूज क्लिपिंग्स् | लुधियाना सेंट्रल जेल में कैदी ने फंदा लगाया

लुधियाना सेंट्रल जेल में कैदी ने फंदा लगाया

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published Published on Oct 15, 2009   modified Modified on Oct 15, 2009

लुधियाना -महानगर की केंद्रीय जेल में बुधवार को मोहन सिंह नामक एक 42 वर्षीय कैदी ने फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। उसका शव बाथरूम में लटकता हुआ मिला।

चार बच्चों के पिता इस कैदी से एक सुसाइड नोट भी मिला है। इसमें उसने अपनी मौत के लिए दो साथियों को जिम्मेदार ठहराया है।

जेल के उप-अधीक्षक एसपी खन्ना ने बताया कि मोहन सिंह ने आज प्रात: करीब छह बजे बाथरूम में फांसी लगा ली। उसके काफी देर तक बाहर न निकलने पर गारद को शक हुआ। खटखटाने पर भी जब दरवाजा न खुला, तो उसे तोड़ दिया गया।

बाथरूम में कैदी ने रोशनदान की लोहे की ग्रिल से अपने कपड़े बांध कर फांसी लगा ली थी। इससे पहले मोहन सिंह ने पाठ भी किया और फिर नहाने के लिए चला गया। मृतक से बरामद सुसाइड नोट में उसने अपनी मौत का जिम्मेदार दो साथियों जगजीत सिंह व इंद्रजीत सिंह को ठहराया है।

जगजीत सिंह नामक पहला शख्श भी उसके साथ ही गिरफ्तार हुआ था। वह भी सजा काट रहा था। कुछ माह पहले उसने अपनी जमानत करा ली थी और रिहा हो गया, जबकि इंद्रजीत सिंह किसी अन्य मामले में जेल में बंद है।

खन्ना ने बताया कि सुसाइड नोट में लिखा गया है कि उसके परिजनों ने जगजीत सिंह को उसकी जमानत के लिए जो हजारों रुपये दिए थे, उनसे उसने अपनी जमानत करा ली, जबकि वह अभी तक जेल में ही सड़ रहा है। जगजीत सिंह का उसके परिवार में भी दखल बढ़ता जा रहा है, इन सबसे वह काफी परेशान है।

इंद्रजीत सिंह के बारे में उसने लिखा है कि वह काले इल्म का ज्ञाता है। उसने सेब पर काला इल्म करके उसे खिला दिया है। इन कारणों से वह आत्महत्या कर रहा है। सुसाइड नोट की कापी थाना डिवीजन नंबर सात के प्रभारी बलविंदर सिंह को भेज दी गई है।

गौरतलब है कि पुलिस थाना रायकोट के अंतर्गत आते गांव लोड़वद्दी के रहने वाले मोहन सिंह व जगजीत सिंह को रायकोट थाना पुलिस ने 15 अगस्त 2002 को गांव ललादडू के पास से गिरफ्तार किया था। इनके ट्रक से दो क्विंटल भुक्की बरामद हुई थी। पिछले साल 26 जुलाई को अदालत ने दोनों को दोषी करार देते हुए दस-दस साल की सजा सुनाई थी।

मोहन सिंह अपने पीछे अपनी पत्नी गुरपाल कौर व चार बेटे छोड़ गया है। उसका बड़ा पुत्र कमलप्रीत 17 जबकि सबसे छोटा बेटा जगदीप सिंह 12 साल का है। उसकी मौत पर गांव वालों ने गहरा रोष व्यक्त किया है। गांव के सरपंच ने इस सबके लिए जेल प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है। ग्रामीणों ने सिविल अस्पताल में रोष प्रदर्शन भी किया है।


दैनिक जागरण, 15 अक्तूबर 2009
 

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