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न्यूज क्लिपिंग्स् | वैज्ञानिको को गंगा-यमुना में मिले माइक्रोप्लास्टिक की मौजूदगी के सबूत, मैदानी इलाकों के लिए बन सकते हैं खतरा

वैज्ञानिको को गंगा-यमुना में मिले माइक्रोप्लास्टिक की मौजूदगी के सबूत, मैदानी इलाकों के लिए बन सकते हैं खतरा

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published Published on Mar 21, 2024   modified Modified on Mar 21, 2024

मोंगाबे हिंदी, 21 मार्च

भारतीय वैज्ञानिको को गंगा, यमुना में माइक्रोप्लास्टिक की मौजूदगी के सबूत मिले हैं, जो सिंधु-गंगा के मैदानी इलाकों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकते है। इस बारे में डॉक्टर महुआ साहा के नेतृत्व में राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान (एनआइओ) और राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद से जुड़े वैज्ञानिकों के दल ने एक नया अध्ययन किया है, जिसके नतीजे जर्नल ऑफ हैजर्डस मैटेरियल्स में प्रकाशित हुए हैं।

रिसर्च में शोधकर्ताओं को गंगा में हरिद्वार से पटना तक माइक्रोप्लास्टिक के अंश मिले हैं। जो कहीं न कहीं इस बात को दर्शाता है कि इन पवित्र नदियों का पानी किस कदर दूषित हो चुका है। यह माइक्रोप्लास्टिक्स नदियों के सभी हिस्सों जैसे सतह, जल स्तंभ और तलछट में बड़े पैमाने पर पाए गए हैं।  

गौरतलब है कि गंगा न केवल भौतिक, बल्कि आध्यात्मिक कल्याण के दृष्टिकोण से भी बेहद महत्वपूर्ण है, लेकिन उसमें मौजूद प्लास्टिक प्रदूषण के बारे में अभी भी बहुत ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है। यही वजह है कि अपने इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने गंगा और यमुना नदी में मौजूद मैक्रो और माइक्रोप्लास्टिक की मौजूदगी की जांच की है। इसके साथ ही वैज्ञानिकों ने प्लास्टिक के इन महीन कणों के मौसमी और स्थानिक वितरण को भी समझने का प्रयास किया है।

अध्ययन में वैज्ञानिकों ने न केवल जीआईएस बल्कि साथ ही क्षेत्रीय सर्वेक्षणों का भी सहारा लिया है, ताकि उन संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान की जा सके जहां प्लास्टिक की मौजूदगी का सबसे ज्यादा खतरा है।

इस अध्ययन के जो निष्कर्ष सामने आए हैं उनके मुताबिक शुष्क मौसम की तुलना में बरसात के दौरान माइक्रोप्लास्टिक्स का स्तर बेहद ज्यादा था। इसके साथ ही सतही जल में बारिश के मौसम के दौरान प्लास्टिक के इन महीन कणों की मौजूदगी हरिद्वार में सबसे अधिक, जबकि पटना में सबसे कम पाई गई। वहीं शुष्क मौसम के दौरान, आगरा में माइक्रोप्लास्टिक का स्तर सबसे अधिक, जबकि पटना और हरिद्वार में कम था।
पूरी खबर- मोंगाबे हिंदी


मोंगाबे हिंदी, 21 मार्च, https://www.downtoearth.org.in/hindistory/river/ganga/scientists-found-evidence-of-presence-of-microplastics-in-ganga-and-yamuna-can-become-a-threat-to-the-plains-95137
 

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