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न्यूज क्लिपिंग्स् | विकसित देशों कम है देश में कृषि रसायनों की खपत

विकसित देशों कम है देश में कृषि रसायनों की खपत

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published Published on Feb 2, 2010   modified Modified on Feb 2, 2010
हिसार, जागरण संवाददाता हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कीट वैज्ञानिकों के मुताबिक देश में हालाकि विकसित देशों के मुकाबले कीटनाशक रसायनों की कृषि में खपत बहुत कम है फिर भी कृषि उत्पादों तथा पर्यावरण में इन हानिकारक रसायनों के अवशेष मिलना आम बात है जोकि मानव स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा है। खाद्य पदार्थो तथा पर्यावरण में कीटनाशक रसायनों के निर्धारित सुरक्षित मात्रा से अधिक अवशेष पाए जाने पर उन्होंने चिंता व्यक्त की है। विश्वविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग की अध्यक्षा डॉ. सुचेता खोखर ने बताया कि भारत में कृषि के लिए कुल 217 पेस्टीसाइड्स पंजीकृत है। देश में प्रति हैक्टेयर 380 ग्राम कीटनाशक रसायनों का इस्तेमाल हो रहा है जो अमेरिका (1 किग्रा प्रति हैक्टेयर) व जापान (10 किग्रा प्रति हैक्टेयर) जैसे विकसित देशों के मुकाबले बहुत कम है। बावजूद इसके यहा खाद्य पदार्थो व पर्यावरण में यह रसायन निर्धारित सुरक्षित मात्रा से अधिक पाए जाते है। उन्होंने कहा कि भारत जबसे विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में शामिल हुआ है तब से कीटनाशक अवशेषों की समस्या ज्यादा प्रमुख हो गई है। डॉ. खोखर के मुताबिक किसान यदि कीटनाशक दवाओं का सावधानी पूर्वक प्रयोग करें तो इस समस्या का सरलता से समाधान हो सकता है। उन्हें खेत में फसलों पर कीड़ों व बीमारियों की वास्तविक स्थिति जान कर ही कीटनाशकों, फफूंदनाशकों व खरपतवार नाशकों का प्रयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कीटनाशकों के हानिकारक अवशेषों के दुष्प्रभाव से बचाव हेतु विभिन्न फसलों, फल व सब्जी आदि के लिए एक निर्धारित सुरक्षित अंतराल होता है जिसका पालन बहुत जरूरी है। ऐसे बचा जा सकता है कीटनाशकों के प्रभाव से हिसार: कीट विज्ञान विभाग की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. वीना कुमारी तथा इंदु चोपड़ा ने कहा कि उपभोक्ता यदि कृषि उत्पादों को खाने से पूर्व धोने, छीलने व पकाने की प्रक्रिया अपनाते है तो वह कीटनाशक अवशेषों से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले कुप्रभाव से बच सकते हैं। उन्होंने बताया कि साफ पानी में धोने मात्र से सब्जियों (बैंगन, भिंडी, गोभी आदि) से 20-44 प्रतिशत आर्गेनोक्लोरीन, 26-31 प्रतिशत सिंथेटिक पाइरेथ्राईड तथा 50-77 प्रतिशत आर्गेनोफास्फ ट रसायन कम हो जाते है। इसी प्रकार उन्हे पकाने पर 36-61 प्रतिशत आर्गेनोक्लोरीन, 37-40 प्रतिशत सिंथेटिक पाइरेथ्राईड तथा 100 प्रतिशत आर्गेनोफास्फ ट रसायन जबकि फलों व सब्जियों को छीलने से 35 से 100 प्रतिशत अवशेषों को कम किया जा सकता है।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/haryana/4_6_6149440_1.html
 

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