Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | विस्थापन का विकास- भारत डोगरा

विस्थापन का विकास- भारत डोगरा

Share this article Share this article
published Published on Oct 17, 2012   modified Modified on Oct 17, 2012
हमारे देश में विकास के मौजूदा दौर में विस्थापन की समस्या बहुत विकट हो गई है।  एक ओर पहले हुए विस्थापन से त्रस्त लोगों को अभी न्याय नहीं मिल पाया है, तो दूसरी ओर उससे भी बड़े पैमाने पर किसान और विशेषकर आदिवासी किसान नए सिरे से विस्थापित हो रहे हैं। हाल ही में जन सत्याग्रह संवाद के कार्यक्रम के अंतर्गत देश के लगभग साढ़े तीन सौ जिलों में भूमि संबंधी समस्याओं को नजदीक से देखने-समझने का जो प्रयास किया गया, उसमें अनेक जन-सुनवाइयों और जन-सभाओं में विस्थापन संबंधी इन समस्याओं की गंभीरता बहुत उभर कर सामने आई।

जमशेदपुर जिला मुख्यालय से बीस किलोमीटर की दूरी पर स्थित तुरंगी गांव में आयोजित जन-सभा में गांववासी अर्जुन समत ने कहा कि यहां यूरेनियम खनन के लिए 304 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया जिससे गांव की बहुत-सी सामुदायिक भूमि भी चली गई। खनन के लिए किए जा रहे विस्फोटों से गांव की बहुत दुर्दशा हो गई है। इस कारण अधिकतर आवासों में दरारें आ गई हैं। विरोध करने पर गांववासियों को झूठे मुकदमों में फंसा दिया जाता है। चार व्यक्तियों को तो जेल भेज दिया गया है।

खुंटी जिले के तकबरा गांव में ‘कोयल कारो’ जनसंगठन द्वारा आयोजित जन सुनवाई में इस संगठन के प्रवक्ता रेनडिंग गुडिया ने बताया कि प्रस्तावित कोयल कारो बांध परियोजना में छप्पन हजार एकड़ भूमि डूबने और 256 गांवों के डेढ़ लाख लोगों के विस्थापित होने की आशंका थी। इस परियोजना के विरोध में अहिंसक आंदोलन किया गया। पुलिस ने दो फरवरी 2001 को आंदोलनकारियों पर गोली चलाई जिसमें आठ आंदोलनकारी मारे गए और पैंतीस गंभीर रूप से घायल हुए। काफी उत्पीड़न सहने के बाद यह आंदोलन इस परियोजना का काम रुकवाने में सफल हुआ। इस तरह बड़े पैमाने पर विस्थापन यहां रुक तो गया, पर अभी तक आशंका बनी हुई है।

गुमला जिले के पलकोट क्षेत्र में एकता परिषद द्वारा आयोजित जनसभा में तबकरा गांव के बुद्धेश्वर ताना भगत ने बताया कि पलकोट अभयारण से तीन हजार आदिवासी परिवार विस्थापित हुए थे, जिनमें से अभी एक परिवार का भी उचित पुनर्वास नहीं हुआ है। लातेहार जिले के चोरमुढा गांव में जनसभा का आयोजन नेतरहाट फायरिंग रेंज का विरोध करने वाली जनसंघर्ष समिति की ओर से किया गया। समिति के वरिष्ठ कार्यकर्ता पीटर मिंज ने बताया कि इस परियोजना से 1471 वर्ग किलोमीटर से ढाई लाख आदिवासी विस्थापित होने थे। व्यापक जन-विरोध के कारण इस परियोजना को अस्थायी तौर पर रोक दिया गया है।

हजारीबाग जिले के केरेडारी गांव में आयोजित जन सुनवाई में सामाजिक कार्यकर्ता प्रीतम साव ने बताया कि चतरा जिले के टंडवा और हजारीबाग जिले के केरेडारी क्षेत्र में प्रस्तावित औद्योगीकरण से छिहत्तर पंचायतों के लोगों की जमीन छिन जाएगी। इस प्रक्रिया में बीस हजार किसान भूमिहीन हो जाएंगे। भूमि-अधिग्रहण के लिए पांच हजार एकड़ वनभूमि और गैर-मजरुआ जमीन भी चिह्नित हो चुकी है। इस विस्थापन के दौर में हिंसा, दलाली और विवाद बहुत बढ़ गए हैं। विस्थापन पर जो जन-सुनवाइयों का आयोजन होता है, वह नियमपूर्वक और न्यायसंगत ढंग से कतई नहीं होता। ऐसी एक जन सुनवाई के दौरान तेईस लोगों पर मुकदमे किए गए और उन्हें प्रताड़ित किया गया है।

रांची में आयोजित एक संवाद में कोलहान क्षेत्र के आदिवासी मुखिया किशोर चंद मार्डी ने बताया कि आज भी झारखंड में विभिन्न बड़ी कंपनियों के पास अधिग्रहण की गई लगभग बीस हजार एकड़ भूमि ऐसी है जिसका उन्होंने उपयोग भी नहीं किया। इसे अब गरीबों में बांट देना चाहिए। दलित नेता अमृतलाल जोशी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में नए रायपुर में राजधानी के नाम पर एक सौ बीस गांवों की लगभग एक लाख एकड़ भूमि सरकार और भू-माफियाओं द्वारा हासिल की जा रही है।
भुवनेश्वर के सामाजिक कार्यकर्ता मनोज दास ने ज्वलंत मुद्दे की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि छह सौ से अधिक सामाजिक कार्यकर्ता विभिन्न जेलों में बंद हैं। उन्होंने बताया कि पास्को संघर्ष के अभय साहू सहित विभिन्न साथियों की गिरफ्तारी के साथ अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं पर भी हमले जारी हैं।

सुंदरगढ़ जिले (ओड़िशा) के केंदुरी गांव में आयोजित जन सुनवाई में कार्यकर्ता लोथर उरांव ने बताया कि वेत्तर्णी और ब्राह्मणी नदियों के बहाव जैसे इस विशेष पर्यावरणीय महत्त्व के क्षेत्र में सत्रह स्पांज लोहे के संयंत्र पहले ही लग चुके हैं और अब छह हजार एकड़ का क्षेत्र खनन के लिए दिया जा रहा है। लौह अयस्क के खनन से यहां बासठ गांवों के एक लाख लोग विस्थापित होंगे। आदिवासी नेता सिंगराई मुंग ने कहा कि यह पहाड़ी भुइया का क्षेत्र है और ज्वलंत सवाल यह है कि क्या तीस वर्ष का खनन सैकड़ों वर्षों से रह रहे इस आदिवासी समुदाय के अस्तित्व को संकट में डाल देगा?

कंधोल गांव (देवगढ़) में आयोजित जन-सुनवाई में रंगालीबांध संघर्ष के प्रसन्न कुमार ने बताया कि इस बांध परियोजना में 263 गांवों के 10616 परिवार पूर्ण या आंशिक रूप से विस्थापित हुए और 99479 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया। अभी तक इन विस्थापितों का उचित पुनर्वास नहीं हुआ। यहां तक कि सरकार ने इस संदर्भ में स्वयं नियुक्त की गई उच्चस्तरीय समिति की सिफारिशों को भी क्रियान्वित नहीं किया है।

जगतसिंहपुर जिले के दिनकियागांव में पास्को संघर्ष समिति द्वारा आयोजित जनसभा में यह सवाल उठाया गया कि अगर रोजगार देने के सरकार के दावे को मान लिया जाए   तो भी खनन कंपनी में आखिर कब तक रोजगार मिलेगा, जबकि यहां की उपजाऊ भूमि की उन्नत कृषि से टिकाऊ रोजगार सदा उपलब्ध रहेगा। पास्को विरोधी संघर्ष से जुड़ी मनोरमा ने बताया कि संघर्ष समिति के सदस्यों के विरुद्ध बारह सौ केस दर्ज किए गए और पचास सदस्यों को जेल में डाल दिया गया, जिनमें से अभय साहू, नारायण रेड््डी, जयंत आदि अब भी जेल में हैं। कलिंगनगर (जिला जाजपुर) में विस्थापन विरोधी मंच द्वारा आयोजित श्रद्धांजलि सभा में बताया गया कि यहां वर्ष 2006 में विस्थापन विरोधी संघर्ष में चौदह आदिवासी पुलिस की गोली से मारे गए। यह संघर्ष अभी जारी है।

इसी जिले में कलिंगनगर किसान संघर्ष समिति द्वारा आयोजित जन सभा में बताया गया कि कलिंगनगर और धानगोजी के बीच नौ लौह कंपनियों के लिए दस हजार एकड़ भूमि ली गई, जिसमें से बहुत-सी दो फसलों की जमीन थी, जबकि रिकार्ड में 7042 एकड़ दिखाई गई। जो जमीन सैंतीस हजार रुपए प्रति एकड़ ली गई वह अब पंद्रह से बीस लाख रुपए प्रति एकड़ बेची जा रही है। बहुत जोर-जबर्दस्ती से जमीन ली गई और कई लोगों को विरोध की आवाज बुलंद करने के कारण झूठे मुकदमों में फंसाया गया। भूमि अधिग्रहण संभव बनाने के लिए ग्राम सभा के विरोध प्रकट करने वाले कागजात में फेरबदल किया गया।

क्योेंझर जिले के मुख्यालय में आयोजित वार्ता में वरिष्ठ कार्यकर्ता वीरोबन नायक ने बताया कि पिछले एक दशक में यहां लगभग एक लाख एकड़ भूमि विभिन्न निजी कंपनियों को दी गई जिससे लाखों टन लौह अयस्क, बाक्साइट, मैगनीज अयस्क आदि का खनन और निर्यात प्रतिवर्ष होता है। इस कारण आदिवासियों, विशेषकर ज्यांग आदिवासियों के लिए अस्तित्व का संकट उत्पन्न हो गया। ज्यांग आदिवासियों के छप्पन गांवों में से अब मात्र उन्नीस बचे हैं। सामाजिक कार्यकर्ता मुलेकुमार पांडा ने बताया कि इन आदिवासियों का सांस्कृतिक पुनर्वास तो संभव ही नहीं है।

कटनी जिले (मध्यप्रदेश) के विजयगढ़ क्षेत्र में आयोजित संवाद में बचकंजा और दुकारिया के गांववासियों ने बताया कि भूमाफियाओं और शासन की जमीन छीनने की नीतियों से तंग आकर उन्होंने गांवों के चारों ओर चिताएं बना ली हैं। उन पर बारह सौ एकड़ जमीन छोड़ने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। जमीन बचाने के लिए गांववासी जान देने को तैयार हैं।

मध्यप्रदेश के सतना जिले के मैहर क्षेत्र में आयोजित जनसभा में एकता परिषद की क्षेत्रीय समन्वयक कस्तूरी पटेल ने बताया कि यह क्षेत्र बड़ी कंपनियों द्वारा बड़े पैमाने पर भूमि अधिग्रहण से त्रस्त है। कंपनियों के दलालों और शासन की नीतियों से दुखी होकर लोग पलायन कर रहे हैं। कंपनियों के दबाव से ही यहां वनाधिकार कानून लागू नहीं किया गया है। सीधी जिले (मध्यप्रदेश) के जमुआ गांव में आयोजित जन-सभा में पूर्व विधायक केके सिंह ने कहा कि बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के नाम पर हजारों हेक्टेयर भूमि हस्तांतरित हो रही है जबकि विस्थापित होने वाले परिवारों के लिए कोई ठोस योजना अब तक लागू नहीं की गई है। राष्ट्रीय उद्यान सुरक्षा के लिए पूर्व सैनिकों की नियुक्ति के बाद आदिवासियों का उत्पीड़न और बढ़ गया है।

उमरिया जिला मुख्यालय (मध्यप्रदेश) में आयोजित जनसभा में सामाजिक कार्यकर्ता डामरशाह ने कहा कि इस जिले में बांध परियोजना के नाम पर लगभग तीस गांवों को विस्थापित किया जा रहा है जिनके पुनर्वास की कोई व्यवस्था अभी नहीं की गई है।

उन्होंने कहा वन्यजीव संरक्षण के नाम पर सदियों से वन्य जीवों के साथ रहने वाले समुदायों को ही प्रताड़ित किया जा रहा है। राजू भाई बसोड़ ने कहा कि वनों से बांस न मिल पाने के कारण बंसोड़ समुदाय की रोजी-रोटी छिन रही है। उमरिया जिले में आठ हजार बंसोड़ है जिनमें से अनेक भीख मांगने को मजबूर हैं। अनिल प्रजापति ने कहा कि इसी तरह मिट््टी न मिलने के कारण कुम्हार परिवार भी विस्थापित हो रहे हैं।

महेंद्रगढ़ जिले (हरियाणा) के रिवास माजरा गांव में आयोजित जनसभा में किसान संघर्ष समिति के ओमप्रकाश यादव ने बताया कि इस क्षेत्र में आठ हजार एकड़ भूमि का अधिग्रहण प्रस्तावित है जिसका 95 प्रतिशत हिस्सा कृषि भूमि है। अधिग्रहीत कृषि भूमि मात्र आठ हजार रुपए प्रति गज की दर से खरीद कर लगभग 66 लाख रुपए प्रति एकड़ की दर से बेची जा रही है।

रोहतक जिला मुख्यालय में अखिल भारतीय किसान सभा के द्वारा आयोजित गोष्ठी में किसान नेता सुनील ने कहा कि भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में पहले दलालों के द्वारा दबावपूर्ण अवैध खरीदी की जाती है। इसका विरोध करने वाले किसानों को बर्बरता से कुचला जाता है। हरियाणा में अब तक पचास से अधिक स्थानों पर किसान और प्रशासन के बीच हिंसात्मक टकराव हो चुके हैं। किसान संगठन एकजुट होकर शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखना चाहते हैं, मगर दलालों और प्रशासनिक रुख के चलते यह संभव नहीं हो पा रहा है।

जन सत्याग्रह संवाद के दौरान हुई इन जन-सुनवाइयों और जन-सभाओं से पता चलता है कि विस्थापन का खतरा विभिन्न स्तरों पर कितना गंभीर हो चुका है और विस्थापन की समस्या को न्यूनतम करने के लिए उचित नीतियां बनाना कितना जरूरी हो गया है।

http://www.jansatta.com/index.php/component/content/article/20-2009-09-11-07-46-16/30346-2012-10-11-05-49-59


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close