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न्यूज क्लिपिंग्स् | शराब की नई नीति पर हाईकोर्ट ने स्वीकार की जनहित याचिका

शराब की नई नीति पर हाईकोर्ट ने स्वीकार की जनहित याचिका

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published Published on Mar 1, 2017   modified Modified on Mar 1, 2017
रायपुर/बिलासपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। शराब का मसला सड़क और सदन के बाद अब हाईकोर्ट पहुंच गया है। राजधानी की सामाजिक कार्यकर्ता ममता शर्मा व इंदरजीत छाबड़ा ने राज्य सरकार की नई शराब नीति में संविधान के अनुच्छेद 47 के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए जनहित याचिका लगाई। डीबी में जज प्रीतिंकर दिवाकर व संजय अग्रवाल ने याचिका को स्वीकार करते हुए सरकार को नोटिस देकर दो हफ्ते में जवाब देने कहा है। अगली सुनवाई 21 मार्च को होगी।


'नईदुनिया' महा अभियान के दरमियान ममता शर्मा ने सरकार के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाने की बात कही थी। इस पर कायम रहते हुए उन्होंने इसमें कहा है कि सरकार संविधान की व्यवस्था लागू में गंभीर नहीं है। सरकार ने शराब दुकानों का संचालन करने कॉर्पोरेशन बनाने का फैसला लेकर संविधान का मजाक उड़ाया है।


नर्धारित समयावधि से पहले ही शराब दुकानों के निर्माण का टेंडर जारी कर दिया है। इसमें भी शर्तों का उल्लंघन कर समयावधि 21 दिन के बजाय नगरीय निकायों को निर्देशित कर 10 दिन कर दिया। निकायों का काम राजस्व को जन कल्याणकारी योजनाओं में लगाने का है, न कि नशे का कारोबार करना, दुकान बनाकर देना। ये हित में नहीं है।


दुकान का निर्माण शासकीय कार्य कैसे...? : याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट को बताया कि अहिवारा में शराब दुकान निर्माण का विरोध करने वाले करीब 24 ग्रामीणों के खिलाफ पुलिस ने शासकीय कार्य में बाधा का मामला दर्ज किया है। उन्होंने सवाल उठाया कि शराब दुकान का निर्माण किस मापदंड के आधार पर शासकीय कार्य की श्रेणी में माना जा रहा है?


सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- ऐसी गलती न करें : अशोक लेंका विरुद्ध ऋषि दीक्षित केस में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य शासन के निर्णय के खिलाफ तल्ख टिप्पणी की थी, याचिकाकर्ताओं ने उसकी भी कॉपी लगाई। वर्ष 2005 में ठेकेदारों ने लाइसेंस शुल्क नहीं पटाया और भाग गए। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि लगता है कि राज्य सरकार को संविधान की कार्यप्रणाली के बारे में सही ढंग से ज्ञात नहीं है। संविधान प्रदत्त व्यवस्था को सरकार ने राजस्व बढ़ाने की प्रक्रिया समझ लिया है, जिसमें वे सफल भी रहे। हम उम्मीद करते हैं कि सरकार व मशीनरी अगली बार से ऐसी गलती नहीं करेंगे।


जज ने फटकारा : याचिकाकर्ता ममता शर्मा ने बताया कि डिविजन बेंच के जस्टिस ने सरकारी वकील को दो हफ्ते में जवाब पेश करने का आदेश दिया। वकील ने ओआईसी नियुक्त नहीं होने का हवाला देते हुए छह हफ्ते का समय मांगा तो जज ने फटकार लगाते हुए कहा कि सरकारी अधिकारी दस्तावेज लेकर आएगा और न ही आप दस्तावेज लेनेजाएंगे। फिर इतना लंबा समय लेने की क्या जरूरत है?


अनुच्छेद 47 में राज्य सरकार के कर्तव्य : संविधान के अनुच्छेद 47 में स्पष्ट प्रावधान है कि राज्य सरकार को अपने राज्य की जनता के हितों का ख्याल रखना है। जनता को पोषण आहार और शिक्षा देकर जीवन स्तर को ऊंचा करना है। सरकार की जिम्मेदारी नशे के प्रभाव की रोकथाम करना है।

 


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