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न्यूज क्लिपिंग्स् | सात साल में कितना बदला देश में पहले हैबिटेट राइट्स वाला बैगाचक?

सात साल में कितना बदला देश में पहले हैबिटेट राइट्स वाला बैगाचक?

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published Published on Jul 15, 2022   modified Modified on Jul 15, 2022

मोंगाबे हिंदी, 14 जुलाई 

देश में पहली बार 2015 में मध्यप्रदेश के बैगाचक के सात गांवों में वन अधिकार क़ानून के अंतर्गत पर्यावास अधिकार यानी हैबिटेट राइट्स दिए गये थे। लेकिन इस इलाके के लोगों को अब भी इसका ठीक-ठीक मतलब नहीं पता है।
जिन सात गांवों को हैबिटेट राइट्स दिए गए थे, आज तक उनका एक प्रामाणिक नक्शा तक नहीं बन पाया है।
देश में हैबिटेट राइटस से संबंधित दिशा-निर्देश के लिए बनाई गई कमेटी की रिपोर्ट अब तक सार्वजनिक नहीं की गई है।
घुमावदार रास्तों से सिलपिड़ी गांव में पहुंचने के बाद हमें चर्रा सिंह रठूरिया का घर तलाशने में थोड़ी मुश्किल इसलिए हुई कि पिछली बार की हमारी मुलाकात गांव के एक दूसरे आदिवासी के घर में हुई थी। 2015 में मध्य प्रदेश के डिंडौरी ज़िले का यह इलाका इसलिए चर्चा में था क्योंकि देश में पहली बार किसी गांव को वन अधिकार क़ानून के तहत पर्यावास अधिकार यानी हैबिटेट राइट्स दिया गया था। चर्रा सिंह रठूरिया उन थोड़े से लोगों में थे, जो इस हैबिटेट राइट्स को लेकर आदिवासियों में जागरुकता फैलाने का काम कर रहे थे।

गांव के स्कूल के सामने एक नौजवान ने हाथ से नीचे ढ़लान की ओर इशारा किया। गाड़ी में उनके घर तक जाना मुश्किल था। हमने छह साल पहले खिंची गई उनकी ढेर सारी तस्वीरों के प्रिंट, अपना कैमरा और रिकार्डर संभाला और उनके घर की ओर चल पड़े।

पूरी रिपोर्ट पढ़िए मोंगाबे हिंदी पर

 


मोंगाबे हिंदी, 14 जुलाई https://hindi.mongabay.com/2022/07/14/how-is-baigachak-after-seven-years-of-getting-first-habitat-rights/
 

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