Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | संकट में कर्नाटक के कॉफी किसान, बाढ़, सूखे से परेशान होकर बागान बेच रहे या आत्महत्या कर रहे

संकट में कर्नाटक के कॉफी किसान, बाढ़, सूखे से परेशान होकर बागान बेच रहे या आत्महत्या कर रहे

Share this article Share this article
published Published on Jan 14, 2020   modified Modified on Jan 14, 2020
इस कड़ाके की ठंड में हमें गरमा-गरम कॉफी खूब भाती है। इसके लिए हम किसी रेंस्त्रा या कॉफी हाउस में 200-400 रुपए बड़ी आसानी से खर्च भी कर देते हैं, लेकिन क्या कभी कॉफी पीते समय हमने कॉफी की खेती करने वाले किसानों के बारे में सोचा है ? शायद आपका जवाब ना में ही आये। तो आपको बता दूं कि देश के सबसे बड़े कॉफी उत्पादक प्रदेश कर्नाटक के कॉफी किसान बढ़ती लागत, घटती आमदनी और जलवायु परिवर्तन से इतना परेशान हो चुके हैं कि वे अब या तो अपने बागान बेच रहे हैं या फिर मौत को गले लगा रहे हैं।

भारत में कच्ची कॉफी की कीमत 26 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुकी है। कर्नाटक के 1.5 लाख कॉफी उत्पादक और इससे जुड़े 15 लाख लोगों को सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। कर्नाटक ग्रोवर्स फेडरेशन की एक रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2001 से 2011 के बीच प्रदेश के 150 कॉफी किसान खुदकुशी कर चुके हैं।

वर्ष 1994 में अंतरराष्ट्रीय बाजारों में एक किलो कच्चे अरेबिका कॉफी की कीमत 147.87 अमरिकी सेंट (103.50 रुपए) थी जो इस समय 100.07 अमरिकी सेंट (70 रुपए) है। इसी तरह रोबस्टा की कीमत 1994 में 119.46 अमरिकी सेंट (83.62 रुपए) थी जो अब 73.98 अमरिकी सेंट (51.78 रुपए) है। 
भारत में अरेबिका और रोबस्टा (कॉफी की किस्में) की खेती ज्यादा होती है और दूसरे देशों में इन्हें पसंद किया जाता है। इन दोनों के दाम अंतरराष्ट्रीय बाजारों में गिरने से भारत ही नहीं दुनियाभर के कॉफी किसान परेशान हैं।
 
"आठ साल पहले कॉफी की जो कीमत थी आज किसानों को उसका तीसरा हिस्सा भी बड़ी मुश्किल से मिल पा रहा है। किसानों को कॉफी के बदले इतने पैसे भी नहीं मिल पा रहे हैं कि उनकी लागत ही निकल जाये। जबकि रेंस्त्रा और कॉफी हाउस में मिलने वाली कॉफी की कीमत हर साल बढ़ती है। कीमत न मिलने से छोटे उत्पादक कॉफी की खेती से मुंह मोड़ रहे हैं। शहरों में रहने वाले कॉफी के शौकीनों को तो पता ही नहीं होगा कि उसकी खेती करने वाले किसान कितने संकट में हैं।" कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा बताते हैं।

अगर सरकार व्यवसाइयों का 80 हजार करोड़ रुपए माफ कर सकती है तो कॉफी किसानों का 8 हजार करोड़ रुपए क्यों माफ नहीं हो सकता।" देविंदर शर्मा आगे कहते हैं। जिस एक कॉफी के लिए हम 200-400 रुपए खर्च कर देते हैं तो उसमें से कॉफी उत्पादकों को कितना पैसा मिलता है यह जानना भी जरूरी है। फाइनेंसियल टाइम्स की जुलाई 2019 में आई रिपोर्ट के अनुसार जब हम किसी रेस्त्रां या कॉफी हाउस में 200 रुपए की एक कप कॉफी पीते हैं तो किसानों को इसमें से एक रुपए से भी कम मिलता है।

पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

मिथलेश दुबे, https://www.gaonconnection.com/desh/karnatakas-coffee-farmers-in-distress-troubled-by-floods-drought-selling-plantations-or-committing-suicide-46949


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close