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न्यूज क्लिपिंग्स् | सऊदी अरब ने मुश्किल की भारतीय बासमती की राह

सऊदी अरब ने मुश्किल की भारतीय बासमती की राह

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published Published on Dec 22, 2009   modified Modified on Dec 22, 2009
नई दिल्ली : आर्थिक संकट से प्रभावित सऊदी अरब ने बासमती के लिए भारत के न्यूनतम निर्यात मूल्य का कम स्तर देखते हुए इसके आयात पर सब्सिडी को वापस लेने का फैसला किया है। इसके अलावा कुछ सप्ताह पहले ईरान ने भी बासमती चावल के आयात पर करों में वृद्धि की है। इन दोनों वजहों से भारत के बासमती निर्यात पर काफी असर पड़ने की आशंका है। इधर घरेलू बाजार में कुछ समय तक नरम रहने के बाद बढ़ती घरेलू मांग और बड़े किसानों द्वारा फसल की जमाखोरी के कारण पंजाब और हरियाणा में बासमती धान की कीमत में 20 से 25 फीसदी की तेजी आई है।

सऊदी अरब के फैसले से उन निर्यातकों के लिए भी मुश्किलें बढ़ने वाली हैं जो बासमती चावल के निर्यात के बदले उससे दोगुनी मात्रा का गैर बासमती चावल आयात करते थे। परंपरागत रूप से भारतीय बासमती के सबसे बड़े खरीदार सऊदी पर अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संकट का असर दिखने लगा है। इसके फलस्वरूप क्रूड का बेहतरीन उत्पादन करने वाले इस देश ने 29 नवंबर से प्रति टन 267 डॉलर की आयात सब्सिडी वापस लेने का फैसला किया है। इसकी वजह से खुले बाजार में चावल की कीमतें चढ़ सकती हैं क्योंकि निर्यातकों के लिए बासमती निर्यात के बदले गैर-बासमती चावल का आयात मुश्किल हो जाएगा।

सऊदी सरकार के इस फैसले को उस संदर्भ में भी देखा जा रहा है जिसमें भारत सरकार ने बासमती चावल के लिए न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) में वृद्धि नहीं करने का फैसला किया है। इस समय बासमती का प्रभावी एमईपी 788 डॉलर प्रति टन है। सऊदी के उपभोक्ता मामलों के विभाग की ओर से जारी एक निर्देश के अनुसार, आयातकों के लिए यह जरूरी कर दिया गया है कि बासमती चावल का उपभोक्ता मूल्य आने वाले कम से कम छह महीने तक पिछले साल के 1,350 डॉलर प्रति टन से बढ़ाया नहीं जाना चाहिए।

लिहाजा भारतीय निर्यातकों को 1,100 डॉलर प्रति टन पर सऊदी अरब को बासमती बेचना पड़ सकता है ताकि आयातकों के कमीशन पर चोट न पड़े। निर्यातकों का कहना है कि उच्च गुणवत्ता वाले बासमती के लिए उनकी कीमत 1800 डॉलर प्रति टन से काफी कम है।

इस बीच व्यापारियों के अनुसार, पंजाब और हरियाणा में पूसा 1121 किस्म की कीमत फसल आवक के आरंभ के समय से बढ़कर 23-24 रुपए प्रति किलो हो गयी है जो पहले 15 से 18 रुपए प्रति किलोग्राम के स्तर पर थी। उन्होंने बताया कि पारंपरिक पूसा 1 किस्म की कीमत 25 से 27 रुपए प्रति किलोग्राम के मुकाबले बढ़कर 28 से 35 रुपए प्रति किलोग्राम हो गयी है। एक अन्य बासमती किस्म एचबीसी 19 की कीमत भी 1.50 रुपए प्रति किलोग्राम की तेजी के साथ 18.50 रुपए प्रति किलोग्राम हो गयी है।

एक चावल निर्यातक ने कहा, 'बासमती चावल की किस्मों में तेजी कारण घरेलू मांग का बढ़ना और उससे भी अधिक चावल कीमतों में अधिक तेजी के समय बेहतर लाभ हासिल करने के मकसद से किसानों द्वारा इसकी जमाखोरी करना है।' इस वर्ष फसल आवक के समय बासमती किस्मों की कीमत विशेष रूप से पूसा 1121 किस्म की कीमत में पिछले वर्ष के मुकाबले 40 फीसदी तक की गिरावट आई थी, जिसकी वजह इसकी अत्यधिक आपूर्ति थी। पंजाब और हरियाणा में खरीफ सत्र 2009-10 में बासमती किस्म के धान की खेती का क्षेत्रफल 20 से 55 फीसदी के दायरे में बढ़ा है, जिसमें पूसा 1121 किस्म की बहुलांश हिस्सेदारी है।
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