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न्यूज क्लिपिंग्स् | सरकारी हस्तक्षेप से आधे आजाद हुए बैंक!

सरकारी हस्तक्षेप से आधे आजाद हुए बैंक!

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published Published on Jan 7, 2015   modified Modified on Jan 7, 2015
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। अब सरकारी बैंकों के निदेशक बोर्ड में राजनीतिक दलों की तरफ से भर्तियां नहीं होंगी। लोन देने या फंसे कर्ज की वसूली में कड़ाई कर रहे बैंकों को नरमी बरतने का आदेश दिया जाएगा। कोई भी कर्मचारी ट्रांसफर व पोस्टिंग के लिए राजनीतिक रसूख का सहारा भी नहीं लेगा।

प्रधानमंत्री के वादे पर अमल करते हुए वित्त मंत्रालय ने बैंकों को यह भरोसा दिलाते हुए कहा है कि उनके कामकाज में अब बाहरी हस्तक्षेप नहीं होगा। मंत्रालय ने सोमवार देर रात इस बारे में सर्कुलर जारी कर दिया। हालांकि बैंकिंग उद्योग इसे अभी "आधी आजादी" के तौर पर देख रहा है। बैंकिंग से जुड़े सूत्रों की मानें तो सरकारी बैंकों के कामकाज में आजादी का सिलसिला यहीं नहीं थमने वाला है। आगामी आम बजट में इस संबंध में कई अहम घोषणाएं होंगी।

यह बात लगभग तय है कि प्राथमिकता वाले क्षेत्र को कर्ज देने संबंधी नियम बदले जाएंगे। ज्यादा उम्मीद है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली बजट में इसका एलान करेंगे। इसके बाद वार्षिक मौद्रिक नीति 2015 में विस्तृत दिशानिर्देश की घोषणा होगी। इसके अलावा लघु व मझोले उद्यमों (एसएमई) को कर्ज देने और उनसे ब्याज वसूलने को लेकर भी बैंकों को ज्यादा आजादी मिलेगी। लेकिन सबसे अहम होगा कृषि क्षेत्र को दिए जाने वाले कर्ज को लेकर इसकी सीमा और ब्याज दर तय करने की अनुमति मिलना।

पंजाब नैशनल बैंक के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर राम एस संगपुरे ने दैनिक जागरण को बताया, "प्रधानमंत्री ने तीन दिन पहले वादा किया था और वित्त मंत्रालय ने उसे अमल में लाने का निर्देश जारी कर दिया है। हमें विश्वास है कि ट्रांसफर व पोस्टिंग और लोन मंजूरी जैसे मसलों के लिए ऊपर से फोन नहीं आएगा। लेकिन बैंकों के प्रदर्शन में बड़ा सुधार तब आएगा जब प्राथमिकता क्षेत्र को कर्ज देने समेत तमाम अन्य मुद्दों पर सरकार स्वायत्तता देगी।" संगपुरे ने भरोसा जताया कि वित्त मंत्रालय व रिजर्व बैंक मिलकर अन्य मुद्दों पर भी जल्द फैसला करेंगे ताकि सरकारी बैंक बगैर किसी बाहरी हस्तक्षेप से काम कर सकें।

बैंक ऑफ महाराष्ट्र के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर आरआर गुप्ता मानते हैं कि दिन प्रतिदिन के कामकाज में सरकारी हस्तक्षेप नहीं होने से ही काफी फर्क पड़ेगा। कई बार फंसे कर्ज की वसूली बाहरी हस्तक्षेप से प्रभावित होती है। अब बैंक बगैर किसी बाहरी दबाव के कर्ज वसूली के लिए सख्त कदम उठा सकेंगे। बैंक के कर्मचारियों के प्रदर्शन पर भी असर पड़ेगा, क्योंकि अब वह रसूख का इस्तेमाल कर दंड के लिए दी गई पोस्टिंग को नहीं रोक सकेंगे।


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