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न्यूज क्लिपिंग्स् | सामान्य छात्रों के बीच बैठकर पढ़ती हैं 11 दृष्टिबाधित छात्राएं

सामान्य छात्रों के बीच बैठकर पढ़ती हैं 11 दृष्टिबाधित छात्राएं

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published Published on Jul 1, 2014   modified Modified on Jul 1, 2014
रायपुर । दृष्टि न होना कोई अभिशाप नहीं है। दृष्टि न हो, तब भी इच्छा-शक्ति और लगन के बल पर वह सबकुछ हासिल किया जा सकता है, जो सामान्य व्यक्ति कर सकता है। बस जरूरत है इनके मनोबल को बढ़ाने की, इन्हें बताने की कि ये कमजोर नहीं हैं। शासकीय दूधाधारी महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय (डिग्री गर्ल्स कॉलेज) ने यही काम किया। यहां ऐसी 11 छात्राएं पढ़ रही हैं, जो दृष्टिबाधित हैं। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इनके लिए कोई अलग पाठ्यक्रम नहीं है और न ही इन्हें सामान्य छात्राओं से अलग बैठाकर शिक्षा दी जाती है, बल्कि ये 11छात्राएं सामान्य छात्राओं के साथ बैठकर पढ़ाई करती हैं। इन सभी के अपने सपने हैं, इनमें से एक छात्रा तो आईएएस बनना चाहती है।

छह साल पहले हीरापुर स्थित प्रेरणा संस्था ने डिग्री गर्ल्स कॉलेज प्रबंधन से संपर्क किया। पूछा कि क्या इस कॉलेज में दृष्टिबाधित छात्राओं के लिए स्नातक की शिक्षा की सुविधा है? यह सुनते ही कॉलेज प्रबंधन एक बार तो सोच में पड़ गया, क्योंकि सामान्य छात्राओं के बीच दृष्टिबाधित छात्राओं को अध्ययन देना क्या मुमकिन होगा? अगर यह मुमकिन हो भी जाता है तो क्या दृष्टिबाधित छात्राएं अध्ययन कर पाएंगी।

लेकिन छात्राओं की इच्छा-शक्ति देखकर कॉलेज ने फैसला लिया कि छात्राओं को दाखिला दिया जाएगा, वह भी निःशुल्क और वे सामान्य छात्राओं के बीच बैठकर पढ़ाई करेंगी। छह साल से यह सिलसिला जारी है। दो छात्राएं तो बीए करने के बाद एमए कर रही हैं। अब कॉलेज प्रबंधन इनके भविष्य को लेकर चिंतित है और इनके लिए नौकरी की तलाश कॉलेज की करियर काउंसिलिंग सेल के माध्यम से कर रहा है। एक अहम बात कि इनसे मिलकर आपको एहसास भी नहीं होगा कि ये दृष्टिबाधित हैं, क्योंकि ये इनका व्यवहार सामान्य छात्राओं की तरह ही है।

टाइपिस्ट की तरह चलती हैं उंगलियां-

इन छात्राओं की प्रतिभा को देखते हुए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने इन्हें लैपटॉप भी दिए हैं, जिसमें एक ऐसा सोफ्टवेयर लगा हुआ है कि की-बोर्ड पर उंगली पड़ते ही वह उस शब्द का उच्चारण करता है, जिस पर उंगली पड़ी है, जिसकी मदद से इन छात्राओं के अंदर एक सेंस विकसित हो गया है। पहले ये आवाज सुनकर धीरे-धीरे टाइपिंग करती थीं, लेकिन अब तो इनकी उंगलियां की-बोर्ड पर एक सामान्य टाइपिस्ट से भी तेज दौड़ती हैं।

नाम कक्षा

1- आकृति चंद्राकर बीए- फर्स्ट ईयर

2- अंबालिका सेन बीए- फर्स्ट ईयर

3- भोज कुमारी बीए- फर्स्ट ईयर

4- चंपाकली साहू बीए- फर्स्ट ईयर

5- अर्चना देवी वर्मा बीए- फर्स्ट ईयर

6- बनीता प्रधान बीए- थर्ड ईयर

7- रेवती साहू बीए- थर्ड ईयर

8- रुकसार शाहीन बीए- थर्ड ईयर

9- मंजू उइके बीए- थर्ड ईयर

10- रुकमनी सेन एमए (इतिहास)

11- खिलेश्वरी एमए (हिन्दी)

बगैर किसी की मदद के बढ़ रहीं आगे-

ये छात्राएं प्रेरणा संस्थान की बस में बैठकर रोजाना कॉलेज पहुंचती हैं। इन्हें पता है कि कॉलेज का मुख्य द्वार कहां है। इनकी कक्षा कहां लगनी है। इतना ही नहीं, इनके अंदर एक ऐसा सेंस विकसित हो चुका है कि ये आहट एक सेकंड से भी कम समय में पहचान लेती हैं। कॉलेज में इन्हें किसी भी काम के लिए किसी की जरूरत नहीं पड़ती है। हालांकि कक्षा की दूसरी छात्राएं इनकी हर संभव मदद करती हैं और कॉलेज प्राचार्य से लेकर स्टाफ के लोग भी इनका पूरा ध्यान रखते हैं।

प्राथमिकता दी जाएगी

हमारे यहां 11दृष्टिबाधित छात्राएं अध्ययनरत हैं। मुझे गर्व है कि इन छात्राओं पर क्योंकि दृष्टि न होने के बाद भी इन्होंने न सिर्फ उच्च शिक्षा प्राप्त करने की इच्छा जताई, बल्कि ये अव्वल नंबरों से पास भी हो रही हैं। उदाहरण हैं उन छात्रों के लिए जो सामान्य होने के बावजूद पढ़ाई से भागते हैं। इन सभी की शिक्षा निःशुल्क है। दृष्टिबाधित छात्रा जिसने 12वीं पास की है, अगर वह उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहती है तो डिग्री गर्ल्स कॉलेज में संचालित किसी भी पाठ्यक्रम में उसे पहली प्राथमिकता दी जाएगी।

-डॉ. अरविंद गिरोलकर, प्राचार्य, डिग्री गर्ल्स कॉलेज रायपुर

http://naidunia.jagran.com/special-story-among-common-students-sit-reading-the-11-visually-impaired-students-130713


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