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न्यूज क्लिपिंग्स् | सामान्य मानसून की भविष्यवाणी से बढ़ी ब्याज दर में कमी की उम्मीद

सामान्य मानसून की भविष्यवाणी से बढ़ी ब्याज दर में कमी की उम्मीद

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published Published on Apr 20, 2017   modified Modified on Apr 20, 2017
नई दिल्ली। मौसम विभाग की तरफ से सामान्य मानसून की भविष्यवाणी ने चालू वित्त वर्ष में भी किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी की उम्मीदें बढ़ा दी हैं, बल्कि लोगों की जेब पर ईएमआई के बोझ के हल्का होने की संभावनाएं भी बना दी हैं।


अच्छे मानसून से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगा। यही नहीं, लगातार दूसरे साल ऐसा होने से देश की आर्थिक विकास दर की रफ्तार भी बढ़ेगी।


माना जा रहा है कि अगर सब कुछ भविष्यवाणी के अनुरूप रहा तो अगली तिमाही में ब्याज दरों में और कटौती हो सकती है। बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक रिजर्व बैंक (आरबीआई) अगस्त में नीतिगत ब्याज दर यानी रेपो रेट में 0.25 फीसद की कमी कर सकता है। रेपो रेट वह दर है जिस पर बैंक आरबीआई से कम अवधि के कर्ज प्राप्त करते हैं।


रिपोर्ट कहती है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मांग में सुधार अभी देखने को मिलने लगा है। खरीफ से होने वाली किसानों की आमदनी में पिछले साल के मुकाबले 26 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। बैंक का मानना है कि रबी की फसल भी किसानों की आमदनी में 13 फीसद तक की वृद्धि कर सकती है।


बेहतर मानसून महंगाई के खतरे को भी कम करेगा। रिपोर्ट के मुताबिक यदि इस साल भी मानसून की बारिश अच्छी हुई तो खुदरा महंगाई की औसत दर चालू वित्त वर्ष 2017-18 में चार फीसद के आसपास रहने की उम्मीद है।


सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी के पुराने आधार पर देखें तो अर्थव्यवस्था 4.5-5 फीसद की रफ्तार पर चल रही है। इसके सात फीसद तक पहुंचने की प्रबल संभावना है। ऐसे में मांग बढ़ेगी तो उसका महंगाई की दर पर कुछ असर पड़ सकता है। मगर इसके बावजूद अगस्त में ब्याज दर में चौथाई फीसद की कमी की गुंजाइश बनती है।


इसी महीने छह तारीख को मौद्रिक नीति समीक्षा में रिजर्व बैंक ने रेपो दर को यथावत रखा था। मगर रिवर्स रेपो रेट को चौथाई फीसद बढ़ाकर छह फीसद कर दिया था। केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीति की अगली समीक्षा जून में करेगा।


बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच की रिपोर्ट के मुताबिक महंगाई का जोखिम अब खत्म हो गया है।


एक तरफ विकास की धीमी रफ्तार कीमतों को नीचे रखेगी, तो दूसरी तरफ खाद्य उत्पादों की महंगाई में उतार-चढ़ाव आता रहेगा। चूंकि अल नीनो का जोखिम बना रहेगा, इसलिए रिजर्व बैंक ने अपने नीतिगत बयान में आपूर्ति प्रबंधन को अहम बताया है। हालांकि बैंक ने अपनी रिपोर्ट में माना है कि साल 2017 में कमोडिटी की कीमतें आमतौर पर स्थिर रहेंगी।

 


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