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न्यूज क्लिपिंग्स् | साल 2012: शहर और गांव दोनों में अपराध का ग्राफ बढ़ा

साल 2012: शहर और गांव दोनों में अपराध का ग्राफ बढ़ा

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published Published on Jan 4, 2013   modified Modified on Jan 4, 2013
शीशपाल सिंह, नोएडा। जिले में अपराध का ग्राफ पिछले पांच साल में करीब दो गुना बढ़ा है।

इससे जाहिर होता है कि पुलिस अपराधों पर शिकंजा कसने में नाकामयाब साबित हो रही है। अपराधी धड़ल्ले से वारदात को अंजाम दे रहे हैं। इससे लोग अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। शहरी क्षेत्र के मुकाबले देहात क्षेत्र में वाहन चोरी की वारदातें बढ़ी हैं।
पुलिस आंकड़ों के मुताबिक जहां 2008 में लूट की 28 वारदातें हुई, वहीं 2012 में 183 घटनाएं सामने आई हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पांच साल में छह गुना से भी अधिक लूट की वारदातें हुई हैं। हत्याओं के मामले में भी इजाफा हुआ है। जहां 2008 में 54 हत्या के मामले सामने आए थे, वहीं 2012 में 77 हत्या के मामले दर्ज हुए हैं। डकैती के भी 2012 में पांच मामले सामने आए हैं। पिछले पांच साल में जनता भी काफी आक्रोशित हुई है। जहां 2008 में जनता के खिलाफ बलवे के 49 मामले समाने आए थे, वहीं 2012 में इसकी संख्या 110 पहुंच गई है। हालांकि पुलिस ने दुष्कर्म जैसे जघन्य मामलों को नियंत्रण करने में कामयाबी पाई है। दुष्कर्म के 2012 में 19 मामले सामने आए हैं, जो 2008 के बराबर है। इससे पुलिस अपनी पीठ थपथपा सकती है। अक्तूबर 2012 में कोतवाली सेक्टर-24 क्षेत्र के तहत एक रात में बदमाशों ने दो लूट की वारदातों को अंजाम दिया था। मोटरसाइकिल सवार हथियार बंद बदमाश कैश वैन लूटकर ले गए थे। कुछ देर बाद कैश वैन तो मिल गई थी, लेकिन अभी तक बदमाशों का और लुटे गए करीब पंद्रह लाख रुपए का कोई सुराग नहीं लगा है। उसी रात सेक्टर-31-25 चौराहे पर मेरठ के रहने वाले व्यापारी से भी बदमाशों ने पंद्रह लाख रुपए लुटे थे। यह महज दो मामला ही नहीं है, इनके अलावा लूट के अनेक मामलों का अभी तक खुलासा नहीं हो पाया है। भंगेल गांव में मंदिर वाली गली में रामकुमार त्यागी रहता था। वह भंगेल की कालू मार्किट में शीतलपेय की एजंसी चलाता था। वहां मूलरूप से बलिया का रहने वाला जितेंद्र भी काम करता था। आरोप है कि 13 सितंबर 2011 की रात आरोपी जितेंद्र ने गंड़ासे से वार कर रामकुमार की हत्या कर दी और घर से लाखों रुपए के जेवर व लगभग तीन लाख रुपए कैश लूट कर ले गए। परिजनों ने कोतवाली फेस-दो में जितेंद्र के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। आरोपी लगातार मोबाइल नंबर व जगह बदलकर पीड़ित परिवार के यहां काम करने वाले दूसरे नौकर (मूलरूप से सहारनपुर का रहने वाले) ब्रजमोहन सिंह उर्फ पोलो को धमकी दे रहा है कि उसे एक लाख रुपए दे, नहीं तो उसके अन्य परिजनों को मार देगा। इससे पीड़ित परिवार सहमा हुआ है। वह अपने ही घर में असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। पुलिस लगातार जांच का हवाला देते हुए छापामारी का दावा कर रही है। लेकिन, पुलिस को अभी तक कोई कामयाबी हासिल नहीं हुई है।
एक नजर आकंड़ों पर दे तो 2008 व 2012 में लूट की क्रमश: 28 व 183, हत्या के 54 व 77, बलवा के 49 व 110, दुष्कर्म के 19 व 19, डकैती के 0 व 5-पिछले पांच साल के कुछ अपराध के आकंडेÞ इस तरह हैं। 2012 में 6032, 2011 में 5670, 2010 में 4991, 2009 में 4133, और 2008 में 2755 अपराध की घटनाएं हुई। 
इधर, देहात क्षेत्रों में भी वाहन चोरी का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। पिछले साल वाहन चोरी के छह सौ मामले दर्ज किए गए। लग्जरी गाड़ियों से बाइक तक सभी पर बदमाशों की नजर रही। अधिकतर मामलों में पुलिस चोरी हुए वाहनों को बरामद करने में नाकाम रही है। आबादी बढ़ने के साथ शहर में वाहनों की संख्या तेजी से बढ़ी है। इसकी वजह से पार्किंग की दिक्कत बढ़ी है। घरों में वाहनों को खड़े करने की जगह न होने की वजह से लोग गेट के बाहर गाड़ियां खड़ी करते हैं। कालेजों में छात्रों को परिसर में गाड़ियां ले जाने पर प्रतिबंध है। वहीं सोसाइटी में भी केवल रजिस्टर्ड वाहनों को अंदर जाने की अनुमति मिलती है। अल्फा कामर्शियल बेल्ट, जगत फार्म, प्राधिकरण कार्यालय आदि जगहों पर लोग भगवान भरोसे वाहन को छोड़ते हैं। लोगों की इस मजबूरी ने वाहन चोर के लिए मन मांगी मुराद पूरी कर दी है। महंगी लग्जरी गाड़ियों से लेकर छोटी कार, बाइक आदि पर वाहन चोर हाथ साफ कर रहे हैं। शहर में वाहन चोरी की वारदात में जबरदस्त इजाफा हुआ है।
पिछले साल करीब छह सौ वाहन चोरी के मामले दर्ज किए गए हैं। यह आंकड़ा पुलिस का है, जबकि यह सर्वविदित है कि कोतवाली में रपट दर्ज कराने वाले फरियादी की रपट दर्ज करने में पुलिस कितनी गंभीर होती है। अधिकतर मामलों में पुलिस चोरी हुए वाहनों की बरामदगी करने में नाकाम साबित हुई। वाहन चोरी के मामले को लेकर पुलिस की उदासीनता ने बदमाशों के हौंसलों को और बढ़ाया है। पुलिस स्टाफ की कमी व महत्त्वपूर्ण कामों में व्यस्तता की लाचारगी बताकर जीपीएस व सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपकरण लगाने की सलाह देकर इतिश्री कर लेती है। तीन साल में वाहन चोरी की वारदात हुई जो इस तरह है। दादरी में वाहन चोरी की 2010 में 107, 2011 में 80, 2012 में 95, ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में वाहन चोरी की 2010 में 319, 2011 में 330, 2012 में 445, दनकौर क्षेत्र में वाहन चोरी 2010 में 16, 2011 में 23, 2012 में तीस, जेवर क्षेत्र में वाहन चोरी की 2010 में 16, 2011 में 24, 2012 में 11, 2011 में 23 घटनाएं हुईं।


http://www.jansatta.com/index.php/component/content/article/37-yearender2012/35945--2012-


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