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न्यूज क्लिपिंग्स् | सेलेब्रिटी और न्याय की जद्दोजहद - अद्वैता काला

सेलेब्रिटी और न्याय की जद्दोजहद - अद्वैता काला

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published Published on Apr 12, 2018   modified Modified on Apr 12, 2018

न्यायिक तंत्र के साथ सलमान खान का अभी हाल में जो पाला पड़ा है, उस पर तमाम टीका-टिप्पणियां हुई हैं। मसलन मशहूर हस्तियां यानी सेलेब्रिटी अगर ऐसे हालात में फंस जाएं तो उसके क्या फायदे-नुकसान हैं। इस पर लोगों की राय भी बहुत ज्यादा बंटी हुई थी। कुछ लोगों का मानना था कि उन्हें जेल में होना चाहिए तो कुछ लोगों की राय में उनके साथ कुछ ज्यादती हुई है और उन्हें बख्श दिया जाए। इसमें दिलचस्प बात यही रही कि नजरियों में अंतर के इन दोनों सिरों के बीच एक बात समान थी यानी सेलेब्रिटी होने का उनका दर्जा। इसमें एक तबका मान रहा था कि वह सेलेब्रिटी होने की वजह से इससे छुटकारा पा रहे हैं, तो दूसरे की राय में उन्हें सेलेब्रिटी होने की कीमत सख्त सजा के रूप में चुकानी पड़ी। आखिर इनमें कौन सही है और कौन गलत? चलिए इस मामले पर गौर करते हैं। यह 1998 का वाकया है जब जोधपुर में फिल्म की शूटिंग के दौरान कलाकारों का एक जत्था रात में शिकार के लिए जंगल गया, जिसने दो काले हिरणों का शिकार किया। वह 1990 का दशक था जब स्मार्टफोन वाला दौर नहीं था तो सोशल मीडिया और चौबीसों घंटे वाले खबरिया चैनल भी नहीं थे। ऐसे में यह वाकया (हालांकि यह आपराधिक वृत्ति का ही था) आसानी से भुला दिया जाता, लेकिन किसी ने बिश्नोई समुदाय के ऐसे आग्र्रही रवैये का अनुमान नहीं लगाया था। बिश्नोई वर्ग को भारत के मूल पर्यावरण संरक्षक का दर्जा दिया जा सकता है। इसे पुष्ट करने की तमाम मिसालें मौजूद हैं। एक प्रकरण तो 1731 का है, जब खेजरी वृक्षों की सलामती के लिए इस समुदाय के 363 लोगों ने अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। यह हमारे दौर के चिपको आंदोलन की मूल प्रेरणा माना जाता है। काले हिरण की पूजा करने वाले बिश्नोई समुदाय ने बीस वर्षों तक इस मामले में मजबूती से संघर्ष किया।

 उधर पिछले दो दशकों के दौरान एक मुश्किल दौर के बावजूद सलमान खान एक बहुत बड़े सितारे के रूप में उभरे हैं। उनकी तीन फिल्मों ने 300 करोड़ रुपए से अधिक का कारोबार किया है। उनकी फिल्मों ने एक तरह से सौ करोड़ रुपए कमाई का एक नया प्रतिमान स्थापित किया। उन पर सैकड़ों करोड़ रुपए का दांव लगा है और वह शायद ऐसे सुपरस्टार भी हैं, जिन्होंने बॉक्स ऑफिस को पायरेसी की प्रेतबाधा से भी मुक्त कराया है। सलमान के प्रशंसक भी बेहद कट्टर किस्म के हैं जिन्हें उनके अलावा कोई और सितारा रास नहीं आता। उनके स्टारडम की तुलना रजनीकांत के साथ की जा सकती है। इसी वजह से मीडिया की उन पर पैनी नजर बनी रही और उनसे जुड़े हरेक लम्हे की व्यापक रिपोर्टिंग हुई और यहां तक कि टीवी चैनल पर बैठे पैनल ने भी फैसले पर अपना रुख-रवैया सामने रखा। यदि कोई चैनल यह दिखा रहा था कि वह बाहर आ रहे हैं तो दूसरा इस बात की पड़ताल में जुटा था कि दो दिनों में वह कितने कमजोर हो गए हैं। पल-पल की इस कवरेज पर तभी विराम लगा जब सलमान ने अपने गैलेक्सी अपार्टमेंट वाले फ्लैट की बालकनी से हाथ हिलाकर प्रशंसकों का अभिवादन कर उन्हें घर जाकर आराम से सोने के लिए कहा। बहरहाल, इस पूरे वाकये में इस सितारे की पेशानी पर तनाव की लकीरें साफ नुमाया हो रही थीं और जब फ्रेम में उनका भतीजा दाखिल हुआ तभी उनके चेहरे के भाव संयत हुए, लेकिन तब भी वह खामोश और चिंतित ही नजर आए। 

बॉलीवुड सितारों को लेकर साजिश भरी कहानियां तैरती रहती हैं, मगर इस बार कुछ नामचीन लोगों ने ही कहानी के दूसरे पहलुओं पर बात करनी शुरू कर दी। ऐसा ही एक नाम सिमी ग्र्रेवाल का है जिन्होंने दावा किया कि जिन कारतूसों से काले हिरण मारे गए उन्हें सलमान ने नहीं, बल्कि किसी और ने दागा था। बॉलीवुड के गलियारों में इस तरह की अफवाहें और अटकलें काफी समय से तैर रही हैं जो किसी तरह से सार्वजनिक दायरे में नहीं थीं। इस बार सलमान को पांच साल की सजा के बाद ये आम लोगों के बीच भी पहुंच गईं। यहां तक कि दस साल पहले एक लोकप्रिय टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में सलमान ने भी ऐसी संभावनाओं से इनकार नहीं किया था।

किसी दूसरे शूटर वाली कहानी में भी 'भाई की विराट छवि ही वजह दिखती है, जहां उनके प्रशंसकों के लिए एकदम फिल्मी अंदाज में यह अनुमान लगाना बेहद आसान है कि उनके करिश्माई सलमान खान ने किसी और का इल्जाम अपने ऊपर ले लिया होगा। इससे वह और बड़े नायक की छवि हासिल कर लेते हैं जो सड़कों पर लोगों के उस हुजूम में झलकती भी है, जब जेल में दो दिन गुजारने के बाद रिहाई के समय उनके लिए लोगों का जमावड़ा लग गया।

उम्मीद के मुताबिक बॉलीवुड में जीव संरक्षण अभियान की मुहिम चलाने वाले तबके ने इस फैसले पर जश्न मनाने से परहेज ही किया, जो फैसला अपने आप में ऐतिहासिक और इस लिहाज से मिसाल है कि किसी जीव विशेषकर किसी विलुप्तप्राय प्रजाति के खिलाफ अपराध कितना संगीन हो सकता कि उसमें एक सुपरस्टार को भी कोई रियायत नहीं मिलती। यह सलमान को एक उदाहरण बनाने से नहीं जुड़ा है, क्योंकि जीव संरक्षण अधिनियम के तहत बाघ के साथ ही काला हिरण भी अधिसूचित जीव है। वास्तव में सलमान प्रकरण के साथ इस आंकड़े पर भी मुहर लग गई कि इस कानून के तहत 71 फीसदी मामलों में अपराध सिद्ध हो जाता है। इसमें सलमान के साथ भी अलग सुलूक नहीं किया गया। उनके साथ भी वही हुआ, जो अमूमन ऐसे मामलों में आम लोगों के साथ होता है।

जहां तक उनकी जमानत की बात है तो उसमें भी किसी तरह का विशेषाधिकार नहीं है। प्रत्येक नागरिक जमानत हासिल करने का हकदार है। कानूनी विवेक भी यही कहता है कि 'जमानत नियम है और जेल अपवाद। सलमान ने भी अपने वकीलों की टीम के साथ विधि द्वारा उपलब्ध कराए गए विकल्प का उपयोग किया।

यहां मुद्दा यह नहीं है कि सलमान को क्यों जमानत मिल गई, बल्कि यह है कि यह विधिक विकल्प अधिकांश लोगों को सही तरह से उपलब्ध नहीं है। वर्ष 2015 की एक रिपोर्ट के अनुसार 62 प्रतिशत कैदी विचाराधीन मामलों में जेल में बंद हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि जिन लोगों के पास आजादी का हक है, उन्हें विधायी शिथिलता के चलते इस हक से वंचित किया जा रहा है। सलमान अब जेल से बाहर हैं और कानूनी तंत्र के साथ उनकी कश्मकश अभी कुछ और वर्षों तक जारी रहेगी, जहां अदालतों में अपील दायर होंगी तो उनकी पेशी भी लगेगी। बहरहाल पिछले कुछ दिनों में जो कुछ हुआ उसमें हमारे लिए सबक होना चाहिए कि शिकार की चाह रखने वाले यह समझ लें कि हमारे कानून बेहद सख्त हैं जो किसी को नहीं बख्शते। तात्कालिक मसला यही है कि उन सभी को कानूनी सहायता मिलनी ही चाहिए, जो विचाराधीन कैदी के रूप में वर्षों से जेल में हैं। इससे जेल भी क्षमता से अधिक कैदियों के बोझ तले कराह रही हैं। यह भयंकर किस्म का मानवाधिकार उल्लंघन है।


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