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न्यूज क्लिपिंग्स् | सैटेलाइट से मकानों की गिनती का खर्च 1.63 करोड़, सूची पर भरोसा नहीं

सैटेलाइट से मकानों की गिनती का खर्च 1.63 करोड़, सूची पर भरोसा नहीं

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published Published on Sep 28, 2015   modified Modified on Sep 28, 2015
रायपुर। सैटेलाइट से मकानों की गिनती (जीआईएस सर्वे) का खर्च केवल रायपुर नगर निगम क्षेत्र का ही 1.63 करोड़ रुपए पहुंच गया है। इसके बावजूद सर्वे रिपोर्ट और मकानों की संख्या की सूची पर नगर निगम भरोसा नहीं कर पा रहा है। एक तरफ गणना में गड़बड़ी बताई जा रही है तो दूसरी तरफ हजारों मकानों के छूटने की बात सामने आई है।

सर्वे करने वाली एजेंसी ने एक वार्ड को छोड़कर 69 वार्डों में दो लाख दो हजार 300 मकान होने की जानकारी दी है। एजेंसी ने ऐसे मकानों की भी गणना कर ली है, जो संपत्तिकर के दायरे से बाहर हैं। रेंडम चेक करने पर यह खुलासा हुआ है। इसके अलावा एजेंसी ने पांच साल के सर्वे में पीछे पलटकर यह नहीं देखा कि कितने नए मकान बने हैं।

मुख्य बिंदु

0 नगर निगम क्षेत्र में 2,02,300 मकान होने की जानकारी दी गई

0 पांच साल में एजेंसी 69 वार्डों का सर्वे कर पाई, एक वार्ड छूटा

0 सर्वे आगे बढ़ा तो पीछे और मकान बनते गए, उनकी गिनती नहीं

0 हर वार्ड में औसतन चार-पांच फीसदी मकान बढ़ने का अनुमान

0 संपत्तिकर के दायरे में नहीं आने वाले मकानों को भी गिन लिया

राज्य सरकार ने नगरीय निकायों में शत-प्रतिशत मकानों पर संपत्तिकर लगाने के उद्देश्य से पांच साल पहले जीआईएस कंपनी से सर्वे शुरू कराया था। जीआईएस कंपनी यह काम खुद नहीं कर रही। उसने स्थानीय एजेंसी आर्यन्स को यह जिम्मेदारी दी है। सैटेलाइट से वार्डवार, क्षेत्रवार और मार्गों के अनुसार मकानों की तस्वीरें निकाली गईं।

इसके बाद एजेंसी के लोगों को एक-एक मकानों में पहुंचकर जमीन का क्षेत्रफल, मकान का आकार, रहवासियों की जानकारी जुटानी थी। सूची में केवल उन्हीं मकानों को शामिल करना था, जिन पर संपत्तिकर लगता। इस काम के लिए एजेंसी को 81 रुपए प्रति मकान के हिसाब से भुगतान होना है। निगम अधिकारियों से पता चला है कि एजेंसी ने शहीद ब्रिगेडियर उस्मान वार्ड के पार्षद के विरोध के कारण यहां के मकानों को छोड़ दिया। शेष 69 वार्डों में सर्वे का काम पूरा कर लिया गया है।

नगर निगम अधिकारियों के अनुसार राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में एक लाख 76 हजार मकान हैं, जिनसे पिछले वित्तीय वर्ष में संपत्तिकर वसूल किया गया है। एजेंसी ने राजस्व विभाग के आंकड़े से 26 हजार 300 मकान ज्यादा होना बताया है। सर्वे पर सवालिया निशान तब लगा, जब हर वार्ड के दस फीसदी मकानों का रेंडम चेक किया गया। पता चला कि एजेंसी ने धार्मिक स्थलों, सरकारी भवनों और बीएसयूपी के मकानों को भी शामिल कर लिया है, जबकि इन मकानों पर संपत्तिकर नहीं लगता है। निगम अधिकारियों के मुताबिक हर वार्ड में पांच सौ से छह सौ मकानों का परीक्षण किया गया, उसमें से 40 से 45 मकान संपत्तिकर के दायरे से बाहर वाले मिले। ऐसी स्थिति में एजेंसी की सूची में 10 हजार से अधिक मकान गलत सर्वे के कारण शामिल होने का अनुमान है। सर्वे रिपोर्ट में दूसरा सवालिया निशान यह है कि हजारों मकान छोड़ दिए गए हैं। इसकी वजह सर्वे की गति का धीमा होना है। पांच साल में हर वार्ड में चार से पांच फीसदी मकान बढ़े हैं। राजस्व विभाग के आंकड़ों के आधार पर अनुमानित साढ़े आठ हजार से अधिक मकान सूची में शामिल नहीं हो सके हैं।

अब नए मकानों का होगा सर्वे

नगर निगम के राजस्व विभाग ने नए मकानों के छूटने की बात एजेंसी से की है। निगम अधिकारियों के मुताबिक एजेंसी सभी वार्डों में नए मकानों का फिर से सर्वे करने के लिए तैयार है। इस कारण जल्द ही यह काम शुरू कर दिया जाएगा।

...तो 14 करोड़ बढ़ेगा संपत्तिकर

नगर निगम के राजस्व विभाग ने पिछले वित्तीय वर्ष में 28 करोड़ 86 लाख 65 हजार रुपए संपत्तिकर वसूल किए थे। राज्य सरकार 50 फीसदी संपत्तिकर बढ़ाने की तैयारी में है। अगर ऐसा हो जाता है तो नगर निगम की संपत्तिकर से आय लगभग 14 करोड़ 43 लाख रुपए बढ़ जाएगी।

जीआईएस सर्वे 69 वार्डों में पूरा हो चुका है। निगम के अधिकारी वार्डवार दस फीसदी मकानों को रेंडम चेक भी कर चुके हैं। इसमें 40 से 45 फीसदी मकान ऐसे पाए गए हैं, जो कि संपत्तिकर के दायरे से बाहर हैं। इसके अलावा वर्तमान में हर वार्ड में औसतन चार से पांच फीसदी मकान बढ़े हैं, उन्हें भी सूची में शामिल नहीं किया गया है।

- सुंदरलाल गुप्ता

प्रभारी अधिकारी, जीआईएस सर्वे (नगर निगम)

पहले तो राज्य सरकार को मकानों की सही तरीके से गणना करानी चाहिए। इससे यह तय हो पाएगा कि संपत्तिकर से आय में कितनी वृद्धि होगी। जिन मकानों पर संपत्तिकर लगा हुआ है, उन्हीं पर 50 फीसदी कर और बढ़ाना गलत है। इससे संपत्तिकर 43 करोड़ रुपए तक पहुंचेगा, लेकिन इतनी वृद्धि से वसूली का लक्ष्य फिर भी पूरा नहीं होगा। आय बढ़ाने के लिए और भी उपाय हैं।

- प्रमोद दुबे महापौर, रायपुर

 


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