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न्यूज क्लिपिंग्स् | हंगामेदार होगा मॉनसून सत्र-- नीरजा चौधरी

हंगामेदार होगा मॉनसून सत्र-- नीरजा चौधरी

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published Published on Jul 18, 2018   modified Modified on Jul 18, 2018
आज से शुरू हो रहे संसद के मॉनसून सत्र के सुचारु रूप से चलने पर संदेह है. इस बार काम भी ज्यादा है, क्योंकि बिल बहुत हैं. लोकसभा में 60 से ज्यादा बिल पेंडिंग हैं, जबकि 40 बिल राज्यसभा में पेंडिंग हैं. दो दर्जन बिल पास किये जाने के लिए सूचीबद्ध हैं. 18 नये बिल पेश किये जाने हैं. और इनमें कुछ बिल ऐसे भी हैं, जिनको लेकर हंगामा होना तय है. इस हंगामे में कुछ बिल पास हो जायेंगे, लेकिन इस बात की उम्मीद कम दिख रही है कि यह सत्र सुचारु रूप से चल पायेगा.

विपक्ष चाह रहा है कि संसद इस बार अच्छे से चले. दरअसल, तेलुगुदेशम पार्टी (टीडीपी) इस बात को लेकर बहुत गंभीर है कि वह अविश्वास प्रस्ताव लायेगी. टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने इसके लिए विपक्ष की बाकी पार्टियों से समर्थन भी मांगा है और कुछ पार्टियों ने समर्थन दिया भी है. चंद्रबाबू नायडू ने कहा है कि केंद्र सरकार का रवैया बहुत हठी है, इसलिए टीडीपी ने मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया है.

यहां पर भाजपा के लिए थोड़ी परेशानी पैदा होनेवाली है, क्योंकि एनडीए गठबंधन के कई घटक दल उससे नाराज चल रहे हैं और कुछ ने तो खुद को उससे अलग भी कर लिया है. इसलिए ऐसा लगता है कि अविश्वास प्रस्ताव के चलते संसद कुछ दबाव में आ जाये, लेकिन यह दबाव कितना और कैसा होगा, यह तो बाकी दलों का टीडीपी के समर्थन पर टिका हुआ होगा.

हालांकि, अविश्वास प्रस्ताव से केंद्र सरकार किसी बड़ी मुश्किल में आयेगी या फिर समय से पहले चुनाव कराये जाने की हालत बनेगी, ऐसा कुछ भी अभी नजर नहीं आ रहा है. क्योंकि बमुश्किल छह महीने बचे हैं मोदी सरकार के और मोदी अपना कार्यकाल पूरा करना चाहेंगे. जिन राज्यों में चुनाव होने हैं, उनमें मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में थोड़ी टक्कर है, लेकिन राजस्थान में भाजपा की हालत खराब है.

इसलिए मुझे लगता है कि सिर्फ एक राज्य के लिए मोदी समय से पहले चुनाव का रिस्क नहीं लेंगे. वे अपना कार्यकाल पूरा कर ही चुनाव करायेंगे. अभी से तमाम राज्यों में उनके दौरे शुरू हो गये हैं और एक तरह से यह आगामी चुनाव की तैयारी ही है. मॉनसून सत्र के बाद विपक्षी दलों को किसी न किसी मुद्दे पर घेरने की तैयारी भाजपा की रहेगी, ताकि बाकी बचा समय खींचतान के पूरा किया जा सके.

पिछले दिनों एक सभा में नरेंद्र मोदी ने कहा था कि विपक्ष संसद नहीं चलने देता. हालांकि, संसद के चलने देने की जिम्मेदारी पक्ष और विपक्ष दोनों की है.

इसलिए भाजपा विपक्ष पर आरोप लगायेगी ही, ताकि यह डर दिखाकर वह अपने घटक दलों को संभाले रखे. आगर टीडीपी अविश्वास प्रस्ताव ले आती है और उसे कुछ विपक्षी दलों का समर्थन मिल जाता है, तो यहां यह भी देखना होगा कि इस प्रस्ताव में एनडीए के घटक दलों की क्या भूमिका होगी. उनकी नाराजगी कितनी जाहिर होती है, इसका पता चल जायेगा. अविश्वास प्रस्ताव से खुद भाजपा भी अपने ऊपर कितना दबाव महसूस करती है, यह भी देखा जाना है.

विपक्ष भले यह कह रहा हो कि वह चाहेगा कि संसद चले, क्योंकि विपक्ष को पता है कि संसद चलने में उसका फायदा है. विपक्ष जानता है कि भाजपा कभी नहीं चाहेगी कि अविश्वास प्रस्ताव आये और इसलिए अविश्वास प्रस्ताव को रोकने के लिए भाजपा की रणनीति यह होगी कि हंगामा करने के लिए वह एनडीए के घटक दलों में से किन्हीं दलों को आगे कर दे. इस तरह भाजपा विपक्ष पर संसद न चलने देने का अारोप लगा सकती है और सदन में बड़े मुद्दों पर बहस से बच सकती है. फिलहाल भाजपा की रणनीति यही दिख रही है. जाहिर है, संसद चलेगी, तो अविश्वास प्रस्ताव भी आयेगा और मुद्दों पर बहस भी होगी. ऐसे में इस सत्र का न चलना ही भाजपा के लिए फायदेमंद हो सकता है.

विपक्ष यह भी चाहेगा कि अविश्वास प्रस्ताव जरूर आये, लेकिन इसके साथ ही वह हर हाल में सरकार को कुछ बड़े मुद्दों पर घेरने की कोशिश करेगा. महंगाई एक बड़ा मुद्दा है, किसानों के मुद्दे हैं, दलितों और अल्पसंख्यकों के मुद्दे हैं, बैंकों के घोटाले हैं, एनपीए का बढ़ता जाना है, युवाओं के लिए रोजगार भी एक बड़ा मुद्दा है, अर्थव्यवस्था और उसके बाकी क्षेत्रों में कमजोर हालत से लेकर रुपये के कमजोर होने तक ऐसे तमाम मुद्दे हैं, जो विपक्ष की नजर में तो हैं, लेकिन देखना यह है कि विपक्ष इन मुद्दों पर सरकार को घेरने में कितना कामयाब रहता है.

हालांकि, आम चुनाव नजदीक है, इसलिए विपक्ष अपनी पूरी कोशिश करेगा कि वह सरकार को हर मोर्चे पर घेरे. इसलिए इस सत्र के हंगामेदार होने की पूरी संभावना है.

सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह से केंद्र और राज्य सरकारों से कहा है कि लिंचिंग पर सरकारें दिशा-निर्देश जारी करें और कानून बनाकर इसे रोकें, मुझे लगता है कि यह एक बड़ा मुद्दा हो सकता है विपक्ष के लिए, जो संसद के न चलने देने का सबब बन सकता है. अफवाहों के चलते बच्चा चाेरी के नाम पर इतनी जघन्यता समाज के लिए ठीक नहीं है, इसलिए इस पर संसद में बहस के आसार हैं.

कुल मिलाकर भाजपा की रणनीति होगी कि वह मुद्दों पर भटकाये, ताकि संसद न चले और विपक्ष की रणनीति होगी कि संसद चलती रहे, ताकि सरकार को ज्यादा-से-ज्यादा घेरकर आगामी चुनावी की जमीन तैयार की जाये. इस तरह से संसद हंगामों की भेंट चढ़ जायेगी.


https://www.prabhatkhabar.com/news/columns/story/1183886.html


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